तमिलनाडु में 47000 एकड़ मंदिर जमीन गायब
समूचे भारत में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मंदिर है, तकरीबन 33,000 मंदिर है। ऐसे में तमिलनाडु राज्य में बीते 35 सालों में मंदिरों की 47000 एकड़ जमीन आज गायब हो गईं हैं। यानी आज उनका कोई ब्योरा नहीं है। इस मसले पर मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार से 47000 एकड़ मंदिर जमीन की स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा, जो कथित तौर पर सरकारी रिकॉर्ड से गायब है, क्योंकि 1984-85 के लिए नीति नोट में कहा गया है कि 5.25 लाख एकड़ जमीन थे, जबकि 2019-20 के लिए नोट केवल 4.78 लाख एकड़ जमीन की उपलब्धता को संदर्भित करता है।
जस्टिस N. Kirubakaran और T.V. Thamilselvi ने राज्य सरकार के वकील रिचर्ड विल्सन को Hindu Religious and Charitable Endowments विभाग की ओर से नोटिस लेने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 5 जुलाई तक एक जवाबी हलफनामा दायर किया जाए। न्यायाधीशों ने कहा, “दोनों पॉलिसी नोटों में दिए गए आंकड़ों की तुलना करने पर, ऐसा लगता है कि 47,000 एकड़ जमीन गायब है।”
इसलिए अदालत ने जोर देकर कहा कि सरकार को 1984-85 के वर्षों के दिए नीति नोट में उल्लिखित भूमि और नवीनतम नीति नोट में उल्लिखित भूमि के विवरण और सर्वेक्षण संख्या के साथ एक जवाबी हलफनामा दायर करना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि HR&CE विभाग के लिए यह जानकारी जमा करना मुश्किल नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह सभी विवरण के HR&CE के पास है।
बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा यह अंतरिम आदेश एक रिट याचिका के जवाब में पारित किया गया है, जिसमें लापता भूमि को पुनः प्राप्त करने और मंदिरों को अपना कब्जा बहाल करने पर जोर दिया गया था, ताकि उनसे प्राप्त आय का उपयोग प्रार्थना और अनुष्ठान करने के अलावा संस्थानों को बनाए रखने के लिए किया जा सके।
यही नहीं हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने साल 2015 में छपी द हिंदू की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए तमिलनाडु सरकार और राज्य के HR&CE विभाग की आलोचना करते हुए कहा कि, “भव्य और प्राचीन मंदिरों और प्राचीन स्मारकों के संरक्षक कम परेशान हैं और हमारी मूल्यवान विरासत किसी प्राकृतिक आपदा या विपदा के कारण नहीं बल्कि जीर्णोद्धार की आड़ में लापरवाह प्रशासन और रखरखाव के कारण बिगड़ रहा है।”
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मद्रास हाईकोर्ट ने एक हफ्ते के अंतराल में दो दफा तमिलनाडु सरकार और HR&CE विभाग से सफाई मांगा है। इससे यह साबित होता है कि लंबे दशक से तमिलनाडु सरकार अपने राज्य के प्राचीन एवं इतिहासिक मंदिरों के संरक्षण नहीं कर पा रही है और साथ ही मंदिरों के लिए दिए गए जमीन के गायब होने की खबरें भी आ रही है जो कि तमिलनाडु सरकार द्वारा किये गए एक बड़े भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा है।
राज्य सरकारों के ढुल मूल रैवाए के कारण आज हजारों मंदिर अपनी चमक और पहचान खो रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को हिंदू धर्म दान एक्ट 1951 को संसद में प्रस्ताव लाकर अथवा अध्यादेश द्वारा समाप्त किए जाने की जरूरत है। जिससे मंदिरों को राज्य सरकार के कब्जे से मुक्ति मिल सके और वो अपनी देखरेख खुद कर पाए।