महाराष्ट्र के बड़े नेता और पूर्व कृषि मंत्री रहे शरद पवार ने हाल ही में अपने वक्तव्य में केंद्र के कृषि कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र को केंद्र के बिल को खारिज करने की आवश्यकता नहीं है, केवल आवश्यक सुधार से भी काम हो सकता है। उनके इस वक्तव्य पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपनी प्रतिक्रिया दी एवं पवार की बात का स्वागत किया। अब अपने वोट बैंक बिगड़ने के डर से NCP सफाई दे रही है कि पवार की बात को गलत अर्थ में लिया गया है और उन्होंने केंद्र के कृषि कानून का कोई समर्थन नहीं किया है।
दरअसल, दो दिन पहले शरद पवार ने कहा था पूरे कृषि कानून को खारिज करने की बजाय हम उस भाग में संशोधन की मांग कर सकते हैं, जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है। पवार ने बालासाहब थोरात के साथ नए कृषि कानून को महाराष्ट्र में लागू करना है या नहीं इस संदर्भ में बात की थी। इसके बाद उन्होंने मीडिया में अपनी बात रखी।
शरद पवार ने कहा अब जबकि केंद्र ने नियम पारित कर दिया है तो राज्यों को बिल पास करने से पहले, उन बिंदुओं पर एक बार बात करनी चाहिए जो आपत्तिजनक हैं और तब निर्णय लेना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि यह दो दिन के सत्र में सदन ( विधानसभा ) के सामने आएगा। अगर आता है तो इसपर चर्चा होनी चाहिए। मंत्रियों का एक समूह इसपर काम कर रहा है। अगर वो प्रासंगिक बदलावों के साथ सामने आते हैं तब इन कानूनों के विरुद्ध रिजोल्यूशन लाने का कोई अर्थ नहीं है।” पवार के कहने का यही मतलब था कि आवश्यक बदलावों के साथ इस कानून को स्वीकार किया जा सकता है, इसे खारिज करने की आवश्यकता नहीं है।
उनके बयान के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि केंद्र सरकार उनकी बात से बिल्कुल सहमत है। हमने किसान यूनियनों के साथ इसपर 11 बार बात भी की है। भारत सरकार उन बिंदुओं पर जिनसे (कथित किसानों को) समस्या है, खुले मन से पुनर्विचार करने के लिए तैयार है।”
पवार पर नरेंद्र सिंह तोमर के वक्तव्य के तुरंत बाद नवाब मलिक ने सफाई दी। टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार, NCP नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा है केंद्र सरकार लोगों को कृषि कानून पर दिए गए शरद पवार के एक वक्तव्य के संदर्भ में गुमराह कर रही है। उन्होंने केंद्र के कानून की बात नहीं कि थी। वह महाराष्ट्र के कानून (कृषि कानून) की बात कर रहे थे।
मलिक की सफाई एक दम निराधार है। पवार का बयान खुद बताता है कि कृषि कानूनों के महत्व की समझ NCP के मुखिया को है।इतना अवश्य है कि NCP में इतनी हिम्मत नहीं कि अपनी राजनीति के विरुद्ध जाकर बिल का समर्थन करे।
पवार खुद कृषि मंत्री रहे हैं। उन्हें कृषि सुधारों की पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से ही कृषि क्षेत्र में आवश्यक सुधार लागू करने की संस्तुति, विभिन्न कमेटियां करती रही हैं। केंद्र ने एक लंबी चर्चा, समितियों की रिपोर्ट और बैठकों के बाद कानून पारित किया था, लेकिन यह कानून राजनीतिक उठापठक के कारण अनावश्यक ही बदनाम हो गया। शरद पवार का वक्तव्य इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह महाविकास अघाड़ी की सबसे प्रमुख कड़ी हैं। NCP नहीं चाहती कि पवार का एक वक्तव्य कांग्रेस NCP के लिए मुसीबत बने।