प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार पीएम मोदी ने चीन के मुखर विरोधी दलाई लामा को उनके जन्मदिन की बधाई दी है। पीएम मोदी का दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देना, चीन को कड़ा संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।
ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं वर्षगाठ मनाई गई थी। वर्षगांठ के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कड़क अंदाज़ में कहा था, “अगर कोई भी देश चीन के ऊपर प्रभाव या दबाव डालने की कोशिश करता है तो उसकी खैर नहीं!”
पीएम मोदी ने दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर फोन पर बात करके उन्हें बधाई दी। ये बधाई सिर्फ एक बधाई भर नहीं थी बल्कि समूचे तिब्बत के लिए एक संदेश था। पीएम मोदी ने फोन पर तो बधाई दी ही इसके साथ ही ट्विटर पर भी उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा, “मैंने अभी दलाई लामा से फोन पर बात की और उनके 86वें जन्मदिन के लिए उन्हें बधाई दी। हम उनके लंबे और सुखी जीवन की कामना करते हैं।”
Spoke on phone to His Holiness the @DalaiLama to convey greetings on his 86th birthday. We wish him a long and healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2021
पीएम मोदी के बधाई देते ही मोदी सरकार के तमाम मंत्रियों ने भी तिब्बत के सबसे बड़े धर्मगुरु को जन्मदिन की बधाई देनी शुरू कर दी। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान, हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं, लेकिन सबसे अहम संदेश दिया है विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला और यूएस में भारतीय दूतावास प्रमुख अतुल केशप ने। दोनों अधिकारी विदेशों में भारत का परचम लहराते हैं ऐसे में उनका दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देने का संदेश भारत और तिब्बत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गूंजेगा।
और पढ़ें- PM मोदी ने चीन के मुखर विरोधी दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देकर चीन को कड़ा संदेश दिया है
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इस एक चाल से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को धाराशाई कर दिया है। चीन ऐसी बौखलाहट में अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का सहारा लेता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ, ग्लोबल टाइम्स ने पीएम मोदी को लेकर एक लेख लिखा है। लेख का शीर्षक है “Birthday greetings to Dalai Lama a futile attempt to show attitude to China” यानी ‘दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई, चीन को नीचा दिखाने का एक और बेकार प्रयास है।‘
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, “इस तरकीब से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने पहले ही चीन के सामने घुटने टेक दिए हैं। यह चाल उनकी सोच को दिखाता है।“ ग्लोबल टाइम्स ने अपने इस लेख में मुख्य तौर पर भारत के प्रति बौखलाहट को जाहिर किया है। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि ग्लोबल टाइम्स के शब्दों के पीछे शी जिनपिंग का भाव होता है। कूटनीति की भाषा में कहें तो पीएम मोदी की एक फोन कॉल ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है।
पिछले वर्ष गलवान में भारत और चीन के बीच खूनी संघर्ष हुआ था, इसमें चीन के कितने सैनिक मारे गए उनकी सही संख्या ‘ड्रैगन’ ने अभी भी नहीं बताई है। इस संघर्ष के बाद से ही भारत ने अपने कदमों से चीन को आर्थिक और राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए हैं, लेकिन यह हमला चीन द्वारा किए जा रहे गैर-कानूनी विस्तार के ऊपर था।
बता दें कि आज चीन तिब्बत को अपने देश का हिस्सा मानता है और अगले दलाई लामा को खुद नियुक्त करना चाहता है ताकि तिब्बत के मामलों पर उसकी पकड़ और ज़्यादा मजबूत हो सके। हालांकि, दलाई लामा और दुनियाभर में रह रहे तिब्बती लोग मानते हैं कि अगले दलाई लामा को चुनने का अधिकार चीन के पास नहीं, बल्कि तिब्बती लोगों के पास है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कदम रणनीति-संबंधी दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि पीएम मोदी तिब्बत की राजनीति में दिलचस्पी दिखा रहें है। अगर ऐसा है तो यह भारत और चीन के इतिहास में सबसे साहसी और सराहनीय कदम होगा।