TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अतुल लिमये संघ के सह सरकार्यवाह हैं

    अरुण कुमार की जगह सह सरकार्यवाह अतुल लिमये संभालेंगे संघ-भाजपा के बीच समन्वय की कमान, संगठन में बदलाव से पहले मिली भाजपा-संघ संबंधों को साधने की बड़ी जिम्मेदारी

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    तेजस्वी का प्रण बनाम एनडीए का संकल्प: बिहार में ‘वोटर मोहिनी’ का खेल और जीत का गणित

    तेजस्वी का प्रण बनाम एनडीए का संकल्प: बिहार में ‘वोटर मोहिनी’ का खेल और जीत का गणित

    बसादगी की सरकार, शीशे के महल में बंद: दिल्ली से चंडीगढ़ तक केजरीवाल की चमचमाती सादगी की कहानी

    सादगी की सरकार, शीशे के महल में बंद: दिल्ली से चंडीगढ़ तक केजरीवाल की चमचमाती सादगी की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    इस्तांबुल में पाकिस्तान की कूटनीतिक हार: जब झूठ, दोहरापन और ‘ब्लेम इंडिया’ की नीति ने उसे दुनिया के सामने नंगा कर दिया

    इस्तांबुल में पाकिस्तान की कूटनीतिक हार: जब झूठ, दोहरापन और ‘ब्लेम इंडिया’ की नीति ने उसे दुनिया के सामने नंगा कर दिया

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अतुल लिमये संघ के सह सरकार्यवाह हैं

    अरुण कुमार की जगह सह सरकार्यवाह अतुल लिमये संभालेंगे संघ-भाजपा के बीच समन्वय की कमान, संगठन में बदलाव से पहले मिली भाजपा-संघ संबंधों को साधने की बड़ी जिम्मेदारी

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    तेजस्वी का प्रण बनाम एनडीए का संकल्प: बिहार में ‘वोटर मोहिनी’ का खेल और जीत का गणित

    तेजस्वी का प्रण बनाम एनडीए का संकल्प: बिहार में ‘वोटर मोहिनी’ का खेल और जीत का गणित

    बसादगी की सरकार, शीशे के महल में बंद: दिल्ली से चंडीगढ़ तक केजरीवाल की चमचमाती सादगी की कहानी

    सादगी की सरकार, शीशे के महल में बंद: दिल्ली से चंडीगढ़ तक केजरीवाल की चमचमाती सादगी की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    श्रीनगर एयरस्ट्रिप की ‘कड़कड़ाती रात’: जब RSS के स्वयंसेवकों ने उठाई बंदूक, बर्फ हटा कर भारतीय सेना को कराया लैंड

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    पीएम मोदी की हत्या की साजिश: ढाका की रहस्यमयी घटनाओं से ASEAN तक फैली साजिश का खुलासा

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    12 दिनों तक सूखती रहेगी मुनीर की हलक: जब पाकिस्तान की सरहदों पर गरजेगा भारत का ‘त्रिशूल’

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    भारत ने मारा चाबहार-बड़गाम कॉम्बो शॉट! अमेरिका, ईरान, अफगानिस्तान सब साथ, पाकिस्तान की चौधराहट हुई ध्वस्त

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    इस्तांबुल में पाकिस्तान की कूटनीतिक हार: जब झूठ, दोहरापन और ‘ब्लेम इंडिया’ की नीति ने उसे दुनिया के सामने नंगा कर दिया

    इस्तांबुल में पाकिस्तान की कूटनीतिक हार: जब झूठ, दोहरापन और ‘ब्लेम इंडिया’ की नीति ने उसे दुनिया के सामने नंगा कर दिया

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    हिंदू महिलाओं के खिलाफ जिहाद, मसूद अजहर का नया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की वैचारिक प्रतिघोषणा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

प्राचीन भारतीय कपड़ों का स्वर्णिम इतिहास। अध्याय 1 – पगड़ी

जानें पगड़ी, साफा, पग, शिरावस्त्र, सनातन परंपरा का अभिन्न अंग कैसे अस्तित्व में आया!

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
29 July 2021
in इतिहास
पगड़ी का इतिहास
Share on FacebookShare on X

पगड़ी का सम्पूर्ण इतिहास

पगड़ी भारत वर्ष की बहुआयामी स्वदेशी संस्कृति और परिधान रीति का एक का आंतरिक तत्व रही है। पगड़ी का इतिहास न सिर्फ सदियों पुराना है बल्कि सहश्त्रों वर्ष पहले का है। इसे कपालिका, शिरस्त्राण, शिरावस्त्र या शिरोवेष, पाग, तथा साफा जैसे कई नामों से जाना जाता है। आज के दौर में भी देखे तो उत्तर भारतीय परिधान में विभिन्न प्रकार की पगड़ी दिखाई देती हैं।

राजस्थान में अलग तो पंजाब में अलग, उत्तर प्रदेश में सामान्य तो, बिहार में भी पगड़ी का एक अलग स्वरुप दिखाई देता है। प्राचीन समय से चली आ रही यह पगड़ी की प्रथा अब विकसित हो कर अपने नए स्वरुप में भी पोशाक-संस्कृति को सुन्दरता प्रदान करती है।

संबंधितपोस्ट

अरुण कुमार की जगह सह सरकार्यवाह अतुल लिमये संभालेंगे संघ-भाजपा के बीच समन्वय की कमान, संगठन में बदलाव से पहले मिली भाजपा-संघ संबंधों को साधने की बड़ी जिम्मेदारी

जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

और लोड करें

अब यहाँ यह सवाल उठता है कि

भारतवर्ष में पगड़ी की उत्पति कहाँ से हुई और इसका हमारे संस्कृति में महत्व क्या है?

डॉक्टर गौतम चटर्जी ने अपने शोध में बताया है कि पगड़ी या हेड ड्रेस का पहला संदर्भ प्रागैतिहासिक शैल चित्रों में मिलता है और पगड़ी का इतिहास लगभग दस से तीस हजार साल पहले शिकारी मनुष्यों द्वारा बनाए गए थे। कुमाऊं, भीमबेटका या केरल में शैल कला स्थलों पर मुख्य रूप से शिकार और नृत्य को दर्शाते हुए चित्र के रिकॉर्ड हैं, जिसमें सिर की पोशाक महत्वपूर्ण जान पड़ती है। भारत में पड़गी का प्रचलन और इतिहास यूरोप से कई हजार वर्ष पहले ही शुरू हो चुका था।

भारतीय इतिहास में पगड़ी का उल्लेख भारत के वेदों में भी मिलता है। ऋग वेद में यज्ञ के दौरान पगड़ी का सन्दर्भ मिलता है। इसी तरह मोहनजोदाडो और हरप्पा में भी पगड़ी के कई सन्दर्भ मिले हैं। ऐतिहासिक तौर पर पगड़ी को शिरोस्त्राण कहा जता है।

पशुपतिनाथ सील, मोहनजोदड़ो

पगड़ी के उपयोग और इतिहास का विस्तृत दृश्य प्रमाण – डॉ गोविंद सदाशिव घुर्ये की किताब

डॉ गोविंद सदाशिव घुर्ये ने अपनी किताब Indian Costume में बताया है कि मध्य भारत की मूर्तिकला पगड़ी के उपयोग और इतिहास के विस्तृत दृश्य प्रमाण प्रदान करती है। भरहुत, भाजा के पुरातात्विक साक्ष्यों से, तथा उत्तरी भारत में बोधगया, सांची, मथुरा से और बाद के वर्षों में दक्षिण में महाबलीपुरम, से यह पता चलता है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए शिरोस्त्राण या पगड़ी सामान्य थे।

भरहुत

शुरुआती शिरोस्त्राण बड़ा होता था और पगड़ी को सिर के ऊपर ढीले कढ़ाई वाले सिरे के साथ लपेटा जाता था। ये शिरोस्त्राण मूल रूप से राजघरानों और संतों द्वारा पहने जाते थे। यही नहीं इसे सत्ता की समृधि और भव्यता को प्रदर्शित करने के लिए भी पहना जाता था।

हालांकि पगड़ी मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा पहनी जाती है, साहित्यिक साक्ष्य से पता चलता है कि अतीत में कई अवसरों पर महिलाओं द्वारा भी उनका उपयोग किया जाता था। डॉ घुर्ये ने बताया है कि इंद्र की पत्नी इंद्राणी, उस्निसा के नाम से जानी जाने वाली पगड़ी पहनती थीं।

Pagdi in Ancient Texts

और पढ़े : जिंजी दुर्ग की विजय गाथा, जिसने मुग़ल साम्राज्य के पतन की नींव रखी

प्राचीन संस्कृत नाटकों में पगड़ी का वर्णन

प्राचीन संस्कृत साहित्य पगड़ी के संदर्भों से भरी हुई है और आमतौर पर उसे उष्निशा, किरीता, पट्टा, वेस्ताना, वेस्तानपट्टा, शिरोस्त्राण आदि कहा जाता था। ये पगड़ी आमतौर पर सफेद रंग की होती थी और पहनने वालों की स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार अलंकृत होती थी।

बनभट्ट की कादंबरी में पगड़ी का वर्णन मिलता है। उन्होंने लिखा है: “पांडुरिका की मृत्यु के समय चंद्रमा से उत्पन्न व्यक्ति ने सफेद महीन रेशम से अपने शिरस्त्राण की गांठें बना ली थीं।”

सी आर देवोधर ने प्राचीन संस्कृत नाटकों में भाषा की भूमिका का विश्लेषण करते हुए शिरस्त्राण के विषय पर बताया था। उन्होंने 1937 में लिखा था कि उज्जैन के राजा और उनके सैनिकों ने सफेद पगड़ी “पांडुरबधापट्ट” पहनी थी। प्रसिद्ध लेखक बनभट्ट की कादंबरी में सिर-पोशाक को ‘किरीता’ भी कहा जाता था। मैत्रायणी संहिता में बताया गया है कि उष्निशा राजा द्वारा पहनी जाती थी, जो विशेष रूप से राजसूय और वाजपेगा यज्ञों के दौरान एक प्रकार का मुकुट था।

आर एन सालेटोर ने अपने प्रसिद्ध भारतीय संस्कृति के विश्वकोश में बताया है कि राजा उष्निशा रोज पहनते थे। उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए भी बताया है कि मौर्या साम्राज्य के दौरान भी पगड़ी का महत्व था।
गुप्ता काल में, शाही परिवार और उच्च अधिकारी जैसे मंत्री, सैन्य अधिकारी और नागरिक अधिकारी के पगड़ी पहनने का उल्लेख मिलता है।

गुप्त काल में पगड़ी
गुप्त वंश

गुप्त काल में पगड़ी (कुलई) का वर्णन

गुप्त काल के सिक्कों में कुषाण राजा के हेलमेट को हेड-गियर के रूप में दिखाया गया था जो तत्कालीन सैन्य पोशाक को दर्शाता था। 6वीं और 7वीं शताब्दी के दौरान पल्लव राजाओं ने एक शंक्वाकार या नुकीला किस्म की पगड़ी पहनी थी, जिसे विजयनगर राजवंश के कुलीनों ने भी पहना और बाद में तमिल के अभिजात्य वर्ग द्वारा अपनाया गया था।
इसे ‘कुलई’ पगड़ी के नाम से जाना जाता था जो उत्तर भारत में प्रचलित पगड़ी के समान थी। यह दर्शाता है कि इस अवधि के दौरान उत्तर और दक्षिण के बीच सांस्कृतिक संचार आम बात थी।

गुप्त काल में पगड़ी (कुलई)
कुलई

अजंता गुफा के चित्र भी समकालीन पगड़ी पर कुछ प्रकाश डालते हैं जो आकार में छोटे थे। कहा जाता है कि इस प्रकार की टोपी को उस काल के कुलीन वर्गों ने प्रचलित किया था।
इस्लामी युग ने भारतवर्ष में पगड़ी में कई बदलाव किए। मुसलमान अपने स्वरुप की पगड़ी जिसे फारसी/अरब संस्कृति के बाद शैलीबद्ध किया गया था, पहनते थे। जमीला बृज भूषण के अनुसार मुग़ल काल में ‘पहनने वाली टोपियाँ कई आकृतियों की होती थीं।’ अकबर ने पगड़ी को अत्यधिक महत्व दिया। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पगड़ी शैली को मुगलई से बदलकर हिंदुस्तानी कर लिया था। बाद में औरंगजेब (17वीं शताब्दी) ने गैर-मुस्लिम आबादी द्वारा पगड़ी पहनने की प्रथा को दबाने की कोशिश की थी।

फारसी पगड़ी

गुरु गोबिंद सिंहजी ने पगड़ी को एक नई परिभाषा दी। उन्होंने ही ‘खालसा’ की दूरदर्शी अवधारणा को बढ़ाया, जो मुस्लिम हमले के खिलाफ लड़े और खोए हुए गौरव को फिर से स्थापित करने के लिए आगे बढे। उस दौरान भी पगड़ी गर्व और युद्ध क्षेत्र में गौरव का प्रतीक था । यहां तक ​​कि नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर ने सिख गुरु के बारे में लिखा था कि उन्होंने अपने बाल काटने की अनुमति देने के बजाय अपना सिर बलिदान किया।

राजस्थानी की शान साफा 

डॉ चटर्जी बताते हैं कि 17 वीं शताब्दी के दौरान राजस्थान रंगीन पगड़ियों का एक प्रसिद्ध राज्य बन चुका था। इस अवधि के दौरान जयपुर और उसके आसपास मध्यवर्गीय राजस्थान सूती पगड़ी पहना जाता था जिसे ‘चिरा और फेंटा’ कहा जाता था। दूसरी ओर समाज में पगड़ी का रंग रूप बदलता रहा। कुछ पगड़ी 25 मीटर लंबे और 20 सेंटीमीटर चौड़े भी थे।

राजस्थान की कुछ प्रसिद्ध शैलियाँ जयपुर पगड़ी और गज शाही पगड़ी हैं, जिसके कपड़े को पाँच विशिष्ट रंगों में रंगा जाता है और इसे जोधपुर शाही परिवार के महाराजा गज सिंह द्वितीय द्वारा विकसित किया गया था। साफे को मालवा में अलग प्रकार से तो राजस्थान में अलग प्रकार का साफा बांधा जाता है। इसे पगड़ी या फेटा भी कहते हैं। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गुजरात में यह अलग होता है, तो तमिलनाडु में अलग।

इक्कीसवीं सदी में पगड़ी ने अधिक समकालीन रूप प्राप्त कर लिया है। यद्यपि यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपने अधिक पारंपरिक रूप में मौजूद है, परन्तु विभिन्न फैशन डिजाइनरों ने इसे और अधिक फैशनेबल दिखने के लिए पगड़ी को आजे के समय के अनुसार अनुकूलित किया है, जिससे यह एक लोकप्रिय फैशन बन गया है।

पगड़ी का समाजिक और धार्मिक महत्त्व

पगड़ी सिर पर धारण किया जाने वाला एक साधारण आवरण नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक-धार्मिक महत्व भी था। पगड़ी का हर आकार, या रंग के पीछे एक गुप्त अर्थ होता है जो पहनने वाले की उत्पत्ति, उसकी बोली, धर्म, जाति और साथ ही उसके पेशे को दर्शाता है।

यह पहनने वाले को एक विशेष समूह, जनजाति या समुदाय के सदस्य के रूप में पहचानने का कार्य करता है, और उनके सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक झुकाव के परिचय के रूप में कार्य करता है। राजस्थान में साफों के अलग-अलग रंगों व बांधने की अलग-अलग शैली का इस्तेमाल समय-समय के अनुसार होता है, जैसे युद्ध के समय केसरिया साफा, आम दिनों में खाकी रंग का गोल साफा तो विभिन्न समारोहों में पचरंगा, चुंदड़ी, लहरिया आदि रंग-बिरंगे साफों का उपयोग होता था।

भारत में इस हेडड्रेस को स्थानीय रूप से कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पोटिया, उष्निशा, पाग, पगड़ी, सफा और वेश्तानी कुछ ऐसे नाम हैं जिनका इस्तेमाल पगड़ी के लिए किया जाता है। सिख समुदाय के पगड़ी को दस्तर कहा जाता हैं। विश्वनाथ दिनकर नरवेने द्वारा संपादित भारतीय वबहार कोष के अनुसार हिंदी में पगड़ी के नाम से जाना जाता है। पंजाबी बोली में इसे सीरबंद, पगड़ी या दस्तर कहते हैं।

भारत की संस्कृति का अटूट हिस्सा 

उर्दू में भी पगड़ी या दस्तर ही कहा जाता है। कश्मीरी भाषा में सफू या दस्तर वहीँ इसे पतिका या पटुका के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में पगड़ी को फेटा या पगोटा कहा जाता है। गुजराती पगड़ी को पघरी कहते हैं। बंगाल, असम और उड़ीसा क्षेत्रों में थोड़े भुत भिन्न उच्चारण के साथ पगड़ी ही कहा जाता है। तेलुगु भाषी बेल्ट में तलपग, तमिल में तल्लीपग्गे कहते हैं। केरल में इसे उष्निशा या शिरो-बेस्ताना के नाम से जाना जाता है। बिहार के मिथिला क्षेत्र और मिथिला, नेपाल में इसे पाग है।

शुरुआती समय में, पगड़ी सामग्री के रूप में कपास सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा था। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां इसे सबसे ज्यादा पहना जाता था वहां, उष्णकटिबंधीय या समशीतोष्ण जलवायु में उपयोग करने के लिए सबसे आरामदायक कपड़े होने के अलावा, यह सस्ती और प्रचुर मात्रा में पाया जाता था।

पगड़ी का इतिहास में सम्मान और सम्मान की अवधारणाओं के साथ महत्वपूर्ण संबंध हैं। एक आदमी की पगड़ी उसके सम्मान और उसके लोगों के सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।
पगड़ी का आदान-प्रदान चिरस्थायी मित्रता का प्रतीक माना जाता है, जबकि किसी को पगड़ी भेंट करना सम्मान का एक बड़ा प्रतीक माना जाता है। पगड़ी का आदान-प्रदान भी एक लंबे रिश्ते को दर्शाता है और परिवारों के बीच संबंध बनाता है। इस प्रकार, पगड़ी जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी समारोहों का एक आंतरिक हिस्सा है।

इसके विपरीत, किसी अन्य व्यक्ति की पगड़ी पर पैर रखना घोर अपमान माना जाता है। यह आंतरिक रूप से एक व्यक्ति के “सम्मान” से जुड़ा हुआ है। पगड़ी उतारकर दूसरे के चरणों में रखना समर्पण और विनम्रता की अभिव्यक्ति का प्रतीक है।
आज भी मांगलिक या धार्मिक कार्यों में साफा पहने जाने का प्रचलन है जिससे कि किसी भी प्रकार के रीतिरिवाजों में एक सम्मान, संस्कृति और आध्यात्मिकता की पहचान होती है।

और पढ़े : भारतवर्ष को अंग्रेजों ने नहीं खोजा था, यह सनातन है और इसके साक्ष्य भी हैं

शेयर136ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

बकरीद सुपर स्प्रेडर और केरल बना कोरोना का सबसे बड़ा निर्यातक

अगली पोस्ट

‘असम-मिज़ोरम संघर्ष के पीछे Beef व्यापारी और ड्रग माफिया’, हिमंता बिस्वा सरमा ने खोली पोल

संबंधित पोस्ट

नगीना मस्जिद हमला
इतिहास

जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

31 October 2025

बात वर्ष 1939 की है।अंग्रेजी शासन के ख़िलाफ़ पूरे देशभर में भावनाएं उफान पर थीं जनता न सिर्फ अपने लिए ज्यादा से ज्यादा अधिकारों की...

सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया
इतिहास

सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

31 October 2025

31 अक्टूबर 2025 को पूरा भारत सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहा है। लौहपुरुष के रूप में विख्यात सरदार पटेल केवल स्वतंत्र भारत...

क्या नेताजी सचमुच 1945 में मारे गए थे? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य
इतिहास

क्या नेताजी का निधन सचमुच 1945 विमान हादसे में हुआ था? मुथुरामलिंगा थेवर और गुमनामी बाबा ने खोला रहस्य

31 October 2025

रहस्य जो आज भी जीवित है जब इतिहास की किताबों में लिखा गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1945 में विमान हादसे में मरे, तो...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Will India Finally Know The Truth About Netaji’s Death?

Will India Finally Know The Truth About Netaji’s Death?

00:08:41

When Grief Met Greed: The Shocking Story of a Father & Bengaluru’s Bribe Chain

00:07:45

How ‘Grokipedia’ Seeks to Correct Perceived Ideological Biases in India-Related Wikipedia Articles”

00:08:17

When Animal Activism Crosses the Line: The Dangerous Side of "Pet Lovers

00:07:36

The Night Before Kashmir’s Fate Was Decided — The battle of Kashmir and Role of RSS |

00:07:40
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited