जब कोई सरकार अपने एक प्रोजेक्ट पर हद से ज्यादा फ़ोकस करे तो उसमें कुछ न कुछ झोल होना तो लाज़मी सी बात है। वहीं, बात अगर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की हो, तो उनके कार्यकाल के दौरान सरकार पर भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोप लगे हैं। ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में मिली करारी हार के बाद सीबीआई ने उनके ड्रीम प्रोजेक्ट यानी गोमती रिवर फ्रंट से जुड़े मामले में भ्रष्टाचार की फाइलें खोलनी शुरू कर दी हैं। सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट से संबंधित अधिकारियों के 13 जिलों के ठिकानों पर छापेमारी की है, जो इस बात का संकेत है कि अब अखिलेश यादव की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं।
सपा सरकार के जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रशासन ने सीबीआई से गोमती रिवर फ्रंट से संबंधित घोटालों की जांच करने का अनुरोध किया था। यूपी सरकार का वही अनुरोध अब अखिलेश यादव पर भारी पड़ने वाला है। दरअसल, अखिलेश यादव के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में बड़े घोटाले की संभावना है। ऐसे में सीबीआई ने इस मामले से सिंचाई विभाग से जुड़े तत्कालीन 16 अधिकारियों के 189 फर्म कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। गौरतलब है कि ये छापेमारी केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि राजस्थान के अलवर में भी हुई है। कुल 40 ठिकानों पर हुई इस छापेमारी से सीबीआई ने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए हैं।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने दर्ज केस में इस प्रोजेक्ट से जुड़े तत्कालीन मुख्य अभियंता समेत 16 अधीक्षण अभियंताओं और 173 निजी लोगों और कंपनियों को आरोपितों की सूची में डाला था। 407 करोड़ रुपए के अखिलेश यादव के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए सिंचाई विभाग ने पानी की तरह पैसा बहाया था। ऐसे में योगी सरकार के अनुसार इस पैसे के खर्च में अनियमितताएं हैं, जिसके चलते केस दर्ज होने के बाद अखिलेश यादव की छवि पर एक बड़ा दाग लगा था।
सीबीआई द्वारा छापेमारी किेये गये शहरों की बात करें तो सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, गोरखपुर, लखनऊ, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा से लेकर अलवर और कोलकाता तक में इस केस से संबंधित लोगों के ठिकानों पर छापेमारी हुई है। सीबीआई की ताबड़तोड़ कार्रवाई अखिलेश के लिए राजनीतिक रूप से एक बड़ा झटका है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में उनके ही ड्रीम प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई होना सपा के लिए मुसीबत बन सकता है।
हाल ही में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में समाजवादी पार्टी का बीजेपी ने प्रदेश स्तर पर सफाया कर दिया है। ऐसे में अब अगर गोमती रिवर फ्रंट का मामला ज्यादा खींचता है तो इससे अखिलेश की पार्टी सपा को विधानसभा चुनावों के दौरान तगड़ा नुकसान हो सकता है।