हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना मंत्रिमंडल विस्तार किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने एक नया मंत्रालय भी बनाया है। जिसका नाम सहकारिता मंत्रालय है। सहकारिता मंत्रालय का दायित्व देश के गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा गया है। यह मंत्रालय को-ऑपरेटिव संगठनों के लिए ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस’ में सहयोग करेगा और साथ ही साथ अनेक राज्यों में सहकारी संगठनों की सहभागिता को बढ़ावा देगा।
सहकारिता मंत्रालय से अमित शाह का नाम जुड़ते ही भ्रष्टाचारियों के पसीने छूटने लगे हैं। हम बात कर रहे हैं एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की। शरद पवार ने इस मंत्रालय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र को राज्य द्वारा तैयार किए गए कानून में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
पवार ने कहा, “सहकारिता क्षेत्र से संबंधित कानून महाराष्ट्र विधानसभा में बनाए गए हैं। केंद्र को महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा तैयार किए गए कानूनों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।’’
शरद पवार ने आगे कहा “केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय राज्य सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी नहीं कर सकता है क्योंकि यह मामला संवैधानिक रूप से राज्य सरकार का है। बहु-राज्य का अधिकार यानी एक संस्था जो दो राज्यों में चलती है, उसका अधिकार केंद्र सरकार के पास जाता है।’’ आपको बता दें कि एनसीपी नेताओं के साथ लेफ्ट और कांग्रेस नेताओं ने भी सहकारिता मंत्रालय का विरोध किया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह विरोध क्यों? दरअसल, भारत के 1,500 से अधिक शहरी सहकारी बैंकों में से लगभग एक तिहाई महाराष्ट्र में हैं। राज्य में 497 शहरी सहकारी बैंक और 31 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक हैं, जिनकी कुल जमा राशि 2.93 लाख करोड़ रुपये है। इन बैंकों पर बड़ी संख्या में एनसीपी नेताओं का नियंत्रण है।
साल 2019 में महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला उजागर हुआ था। यह घोटाला 25,000 करोड़ रुपए का था। इस घोटाले के मुख्य आरोपी शरद पवार हैं। उसके बाद जनवरी 2020 में महाराष्ट्र पुलिस ने एनसीपी नेता अनिल शिवाजी राव भोसले को सहकारी बैंक घोटाले में गिरफ्तार किया। कुल मिलाकर एनसीपी महाराष्ट्र के सहकारी बैंकों में दशकों से ‘घपलेबाजी’ करती आ रही है।
केंद्र सरकार सहकारी बैंकों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए व्यवस्थित ढंग से तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार सहकारिता मंत्रालय गठित करने से पहले आरबीआई के माध्यम से नया कानून लेकर आई थी। आरबीआई का नया कानून सहकारी बैंकों को अपने अधीन लाता है। जिससे उनकी जवाबदेही बढ़ेगी और उन्हें जांच के दायरे में लाया जाएगा।
आरबीआई के इस नए कानून के विरोध में एनसीपी नेताओं ने एक टास्क फोर्स तैयार किया है। जिससे वो आरबीआई के नए कानून के खिलाफ़ लड़ेंगे।
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इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन किया और उसकी कमान गृह मंत्री अमित शाह को थमा दी। केंद्र सरकार द्वारा चली गई इस चाल ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को पस्त कर दिया है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि अब सहकारी बैंकों में चल रही ‘घपलेबाजी’ पर पूर्ण विराम लगेगा।