अब भारत में थर्ड डिग्री के दम पर नहीं बल्कि वैज्ञानिक तरीके से आपराधिक जांच पर ध्यान देने पर जोर होगा। जैसे हर बीमारी का इलाज पेरासिटामोल नहीं होता, वैसे ही हर अपराध का सोल्यूशन थर्ड डिग्री नहीं होता। ऐसा हमारा ही नहीं गृह मंत्री अमित शाह का भी मानना है।
भारत की पुलिस व्यवस्था में सुधार की बातें तो बहुत वर्षों से चल रही थी, लेकिन इसे लागू करने की जिम्मेदारी उठाई है अमित शाह ने। अब थर्ड डिग्री के उपयोग के प्रावधान को निरस्त और 6 साल से ज्यादा की सज़ा वाले सभी मामलों में फोरेंसिक जांच के प्रावधान की व्यवस्था कराने का प्रावधान सुनिश्चित कराने की ओर गृह मंत्रालय काम करेगा।
जिन अपराधों में सज़ा लंबी होती है, उसमें कई बार कानून के दुरुपयोग से लोगों को फंसा दिया जाता है, जबकि केस में फोरेंसिक जांच तक नहीं होती है।
वन इंडिया की रिपोर्ट के अंश अनुसार, “शाह ने यह बात सोमवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। इस दौरान अपने भाषण में शाह ने कहा कि थर्ड डिग्री टॉर्चर के दिन खत्म हो गए हैं।
कार्यक्रम में शाह ने कहा कि केंद्र भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधियनियम में बदलाव लाने की योजना बना रहा है ताकि उन्हें वर्तमान समय की जरूरतों के लिए आधुनिक और प्रासंगिक बनाया जा सके। शाह ने कहा कि थर्ड-डिग्री टॉर्चर की जगह 6 या इससे ज्यादा साल की सजा वाले किसी भी अपराध में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है”।
ऐसा करने के पीछे का तर्क क्या है? इसके पीछे अमित शाह ने स्वयं कारण बताया है, “गृह मंत्री शाह ने कहा कि थर्ड डिग्री के दिन खत्म हो गए हैं और वैज्ञानिक साक्ष्य का उपयोग करके एक कठोर व्यक्ति को भी तोड़ा जा सकता है और अगर फोरेंसिक कार्य ठीक से किया जाए तो उसे दोषी ठहराया जा सकता है”।
थर्ड डिग्री किसी समय पर उचित था या नहीं ये तो चर्चा का विषय है, परंतु आज के समय में इसकी प्रासंगिकता अब उतनी रही नहीं है। इसके अलावा पुलिस व्यवस्था, विशेषकर जांच पड़ताल की प्रणाली में सुधार की बातें काफी पहले से की जा रही थी, परंतु इस पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया था।
हालांकि मोदी सरकार उन सरकारों में से नहीं है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार ने पुलिस सुधारों का खाका बुनना तैयार कर दिया था।
अब बतौर गृह मंत्री अमित शाह ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे एक मजबूत व्यवस्था अपने आने वाले मंत्रियों को सौंप कर जाएँ और साथ ही एक आधुनिक प्रणाली भी दें, जहां उल-जुलूल जांच पड़ताल के लिए कोई जगह न हो। अब थर्ड डिग्री जल्द ही इतिहास का हिस्सा होने जा रहा है।