आखिर क्यों भारत विरोधी Amnesty International को अब पूर्ण रूप से बैन कर देना चाहिए

ये समय की मांग भी है!

एमनेस्टी इंटरनेशनल

PC: Mint

पेगासस के जासूसी कांड में एक बार फिर से भारत विरोधी एनजीओ एमनेस्टी इंटरनेशनल का नाम खुलकर सामने आया है। जिस प्रकार से इस वामपंथी संगठन ने इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम घसीटकर भारत सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया है, उससे स्पष्ट जगजाहिर होता है कि ये लोग तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक ये मोदी सरकार पर तानाशाही होने के अपने मिथ्या को सत्य नहीं सिद्ध  कर देते।

इसी को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट कहा है कि यही समय है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल पर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए। ANI से बातचीत के अनुसार, हिमन्ता ने कहा, “कुछ मीडिया आउटलेट्स ने कहा है कि कुछ लोगों को चिन्हित करके उनकी जासूसी की जा रही है, लेकिन वह इसकी पुष्टि नहीं कर सकते कि क्या उनकी गोपनीयता से कोई समझौता किया गया था। यह कैसी पत्रकारिता है? एमनेस्टी इंटरनेशनल और कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय समूह भारतीय लोकतंत्र और मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?”

हिमन्ता ने अपने निजी हैंडल से ट्वीट किया, “एमनेस्टी इंटरनेशनल का भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने और यहां की सरकार के खिलाफ साजिश रचने का लंबा इतिहास रहा है। मैं इस साजिश की कड़ी निंदा करता हूं और मोदी सरकार से ऐसे संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करता हूं, जो हमारे देश को बदनाम करने और नुकसान पहुंचाने पर आमादा हैं।”

Amnesty इंडिया एक मानवीय संगठन है जो काले धन को सफ़ेद भी करता है

हिमन्ता बिस्वा सरमा ने एक बार फिर तीर सही निशाने पर लगाया है। Amnesty International का इतिहास इस विषय पर काफी खराब भी रहा है। कोई भी विषय उठा लीजिए – 2002 के दंगे, अनुच्छेद 370, CAA का विरोध, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सदैव ‘मानवाधिकार’ के नाम पर भारत विरोधियों और देशद्रोही तत्वों का ही साथ दिया है। गलवान घाटी के मुद्दे पर एमनेस्टी इंडिया के तत्कालीन प्रमुख ने उलटे भारत सरकार पर ही सवाल उठाते हुए चीन के गुणगान किए और मोदी सरकार को चीन से भी बड़ा तानाशाही बताया।  हालांकि, मोदी सरकार भी इस संगठन के विरुद्ध काफी सतर्क रही है, जिसके फलस्वरूप फरवरी 2021 में एमनेस्टी इंटरनेशनल को भारत से अपना बोरिया बिस्तर हमेशा के लिए लपेटना पड़ा था।

पेगासस वाले मुद्दे पर हिमन्ता ने कहा, “मैं भारत सरकार से देश में Amnesty International के कामकाज पर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करता हूं। मुझे लगता है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ कॉन्ग्रेस पार्टी को भी केंद्र सरकार से हाथ मिलाना चाहिए। वे हमारे देश को हर समय इस तरह से बदनाम नहीं कर सकते हैं।”

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इसके अलावा एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भारत के विदेशी मुद्रा अधिनियमों का उल्लंघन करने के पीछे 2019 से ही अनेक मुकदमे चल रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार भी असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के सम्पूर्ण प्रतिबंध की मांग कर बिल्कुल सही जगह निशाना लगाया है। समस्या के विकराल रूप धारण करने से पहले ही उसे जड़ से खत्म करना बेहद आवश्यक है, और इस दिशा में हिमन्ता बिस्वा सरमा ने एक बार फिर अपनी सूझ बूझ का परिचय दिया है।

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