पाकिस्तान विश्व पटल पर भले ही स्वयं को एक बड़ा महत्वपूर्ण देश मानता रहे, और अपने मुद्दों को आए दिन अमेरिका के आगे उठाता रहे, लेकिन अमेरिका को अब पाकिस्तान संबंधित मुद्दों से कोई मतलब नहीं रहा है; जो कि पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। अपने बयानों में भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय मुद्दों पर कुछ भी बोलने से परहेज करने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत दौरे में पाकिस्तान का लेश मात्र भी उल्लेख नहीं किया है; और पाकिस्तान को वैश्विक पटल पर उसकी हैसियत बता दी है। बाइडन के आने पर अपने सुनहरे दिनों की वापसी के ख्याली पुलाव पकाने वाले पाकिस्तान को कोई तवज्जो ही नहीं मिली है।
दो दिवसीय भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पाकिस्तान का उल्लेख न करके उसकी प्रासंगिकता को तो सबसे बड़ा झटका दिया ही है, साथ ही अफगानिस्तान में उसके समर्थन से बढ़ रहे आतंक के लिए उसे सांकेतिक तौर पर लताड़ा भी है। एंटनी ब्लिंकन ने कहा, “एक बात मैं साफ कर दूं कि अगर हम अफगानिस्तान से सेना हटा लेंगे तो भी वहां से हमारा ध्यान नहीं हटेगा।”
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ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में लोकतंत्र स्थापित होने की उम्मीद जताई है। उन्होंने ये भी कहा कि अफगानिस्तान में लगातार बिगड़ती स्थितियों पर हमारी नजर बनी हुई है। एंटनी ब्लिंकन ने कहा, “तालिबान की ओर से अफगानिस्तान में अत्याचार की खबरें हैं। यह वाकई परेशान करने वाला है। हम अफगानिस्तान के पूरे मामले को देख रहे हैं।” उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका का रिश्ता दुनिया के सबसे अहम रिश्तों में से एक है। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के साथ हमरी क्वाड और समुद्री सुरक्षा पर भी चर्चा हुई है।”
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के जाने के बाद से जो अस्थिरता बनी हुई है, उसके पीछे की मुख्य वजह पाकिस्तान को माना जा रहा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान खुद तालिबान को एक आंदोलनकारी बताते हुए उनका समर्थन कर चुके हैं। ऐसे में अफगानिस्तान के बढ़ते आतंक का उल्लेख करना पाकिस्तान के मुंह पर सांकेतिक तमाचे की तरह ही है।। पाकिस्तान का उल्लेख न करना भी पाकिस्तान के लिए ब्लिंकन द्वारा दिया गया एक ह्रदयघात है।
पाकिस्तान कश्मीर से लेकर भारत के साथ सीमा विवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका से मध्यस्थता की बात करता रहता है। इमरान खान अपने संयुक्त राष्ट्र सभा के प्रत्येक संबोधन में कश्मीर का मुद्दा अवश्य उठाते हैं। हालांकि, एंटनी ब्लिंकन पहले भी पाकिस्तान और भारत के द्विपक्षीय मुद्दों पर कुछ भी बोलने से इनकार करते रहे हैं, लेकिन अब तो भारत दौरे में उन्होंने एक बार भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, क्वाड को मजबूत करने से लेकर कोरोनावायरस से साझा लड़ाई की बात कर ब्लिंकन ने पाकिस्तान को पूरे इंडो-पैसेफिक में नजरंदाज कर दिया है।
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पाकिस्तान पिछले चार वर्षों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान सबसे बुरे वक्त से गुजरा है। उसकी उम्मीद तब जगी जब जनवरी 2021 में नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने सत्ता संभाली। पाकिस्तान को उम्मीद थी, कि अब पुनः वो कश्मीर का मुद्दा उठाएगा और उसे अमेरिका का समर्थन मिलेगा। इसके विपरीत पिछले 6 महीनों में पाकिस्तान को अमेरिका से कश्मीर संबंधी कोई खुशी नहीं मिली है, बल्कि अमेरिका इस मुद्दे से स्वयं को पूर्णतः दूर कर चुका है, जिसका संकेत भारत दौरे पर पाकिस्तान और कश्मीर मुद्दे का उल्लेख न करना ही है।