समय इंसान को पल भर में क्या से क्या बना देता है, ये आजम खान से बेहतर कौन जान सकता है। 3 दशक से ऊपर की राजनीतिक पृष्ठभूमि से वास्ता रखने वाले आजम खान को सपरिवार जेल गए हुए डेढ़ वर्ष बीत चुके हैं। 7 महीने के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और जेल में बंद आजम खान की सुध सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को अब आई है, क्योंकि चुनाव सामने हैं और मुस्लिम समुदाय के तुष्टिकरण के बिना सपा कुछ नहीं।
आजम खान के जेल जाने से पूर्व ही अखिलेश ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी थी, क्योंकि जिन आरोपों में आज़म झूल रहे थे उससे सपा को बचाने की अखिलेश की यह कवायद थी। जेल जाने के बाद तो मानो आज़म कभी सपा में थे ही नहीं। पार्टी कार्यक्रमों में उनकी चर्चा तो छोड़ो, बड़े-बड़े होर्डिंग-पोस्टरों से आज़म की छाया विलुप्त हो गई।
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2022 में यूपी विधानसभा चुनावों में तुष्टीकरण कर मुस्लिम वोट को साधने के लक्ष्य से अब फिर से अखिलेश को आजम खान की याद आई है। फिलहाल मौखिक रूप से तो नहीं पर चिन्हों का भरपूर प्रयोग कर अखिलेश यादव आजम खान की रिहाई के पक्षधर होते दिखाई दे रहे हैं। बीते बृहस्पतिवार को प्रदेश भर में पीएम मोदी और योगी सरकार के विरुद्ध हुए सपा की ओर से प्रदर्शन में मूल विषय – कोरोना-बदइंतज़ामी, किसान व नारी-उत्पीड़न, महँगाई, बेरोज़गारी, ठप्प काम-धंधे के ख़िलाफ़ रोष प्रकट करने का था।
वहीं, उन्हीं प्रदर्शनों में कई सपा समर्थक आजम खान की रिहाई की मांग हेतु बैनर हाथ में लिए नज़र आए। दिलचस्प बात ये थी कि अखिलेश ने प्रदर्शन को सफल बताते हुए ट्वीट कर कुछ तस्वीरें साझा की, जिसमें सबसे ऊपर आजम खान की रिहाई वाले बैनर की तस्वीर थी। अब चुनाव पास हैं तो आजम खान की याद तो आनी ही थी, जिससे अखिलेश यादव मुस्लिम वोटबैंक को साध सकें।
ज्ञात हो कि, आजम खान के खिलाफ भूमि अतिक्रमण और आपराधिक धमकी से संबंधित 80 कानूनी मामले दर्ज हैं। जमीन हड़पने के एक मामले की जांच कर रहे रामपुर के एसपी अजय पाल सिंह ने पुष्टि की कि शिकायतकर्ताओं के घरेलू सामान, आभूषण और घरेलू मवेशियों को लूटने के दावे सही थे। खान द्वारा स्थापित गैर सरकारी संगठन जौहर ट्रस्ट के खिलाफ जमीन हड़पने के कई मामले दर्ज हैं। 26 फरवरी 2020 को, आज़म अपनी पत्नी और बेटे के साथ अपने बेटे के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोप में जेल भेज दिये गए थे।
अब विधानसभा चुनावों में आज़म फेक्टर अखिलेश और सपा को कितना लाभ देता है, वो 2022 के चुनावी नतीजे बताएँगे पर इस नरमी से आज़म की हल्की ही सही पर आस ज़रूर मजबूत हुई होगी।