मिज़ोरम के साथ सीमा विवाद को लेकर हुई हिंसा के बारे में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि हिंसा के पीछे का कारण, नशीले पदार्थों की तस्करी पर कार्रवाई, मवेशियों के वध और उपभोग एवं परिवहन को नियंत्रित करने वाले नए कानून भी हो सकते है। असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि, ड्रग रैकेट पर हुई कार्रवाई की वजह से non- state actors यानि गैर- राज्य अभिकर्ता भड़क उठे है, और हो न हो हिंसा में उन्हीं का हाथ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, ड्रग म्यांमार से मिज़ोरम आता है, फिर असम के बराक वैली होते हुए पंजाब तक जाता है। सरमा ने सवाल करते हुए कहा कि, यह कैसे संभव है कि बार्डर के पास रहने वाली जनता के पास बुलेट प्रूव वेस्ट और स्नाइपर राइफल हथियार मौजूद हो! असम के मुख्यमंत्री ने मिज़ोरम के मुख्यमंत्री Zoramthanga से इस मामले में जांच करने के लिए आग्रह किया।
सरमा ने कहा कि, असम सरकार ने म्यांमार से आने वाली शरणार्थियों को शरण नहीं दिया है, इससे भी मिज़ोरम राज्य का एक समूह असम सरकार ने नाराज है, ऐसे में इस हिंसा में उनका भी हाथ हो सकता है। बता दें कि Indo-Chin पहाड़ी श्रृंखला उत्तर-पश्चिमी म्यांमार में एक पहाड़ी क्षेत्र है। यह उन जनजातियों का घर था जो जनजाति के नीचे आते हैं – जैसे चिन, कुकी, मिज़ो, ज़ोमी, पैतेई, हमार, लुशी, राल्ते, पावी, लाई, मारा, गंगटे, थडौ आदि। इन जनजतियों और मिज़ोरम के बीच घनिष्ठ नाता है।
असम मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, “मैं मिज़ोरम सरकार से पहले ही साफ कर चुका हूँ कि, मैं म्यांमार से आने वाली शरणार्थियों को असम के Demi Haso जिले में शरण नहीं दूंगा; हो सकता है मेरा यह फैसला मिज़ोरम के कुछ जनजातियों को पसंद न आया हो”।
पत्रकारों ने जब असम सरकार से गौ- सुरक्षा कानून को लेकर पूछा तो, असम मुख्यमंत्री ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, क्षेत्र में अफवाह फैली हुए है कि हम अन्य राज्यों में भी गौ- मांस पर प्रतिबंध लगा सकते है। चूंकी मिज़ोरम ईसाई बहुमूल्य राज्य है, ऐसे में हो सकता है इस मामले ने भी हिंसा को भड़काने में अहम भूमिका निभाई हो।
आपको बता दें कि हिमंता बिस्वा सरमा ने असम में ड्रग माफियाओं की कमर तोड़ दी है। हाल ही में असम मुख्यमंत्री ने खुले में 170 करोड़ के नशीले पदार्थों को आग के हवाले कर, राज्य के ड्रग माफ़ियों को कड़ा संदेश दिया था। असम सरकार के अधिकारी ने न्यूज़ 18 से कहा कि, सभी को यह लग रहा है कि यह विवाद दशकों से चली आ रही सीमा विवाद की वजह से हुआ है, लेकिन सच ये है कि, यह हिंसा ड्रग कारटेल्स पर चल रही कार्रवाई से संबंधित है। अधिकारी ने कहा कि, ड्रग माफिया बार्डर के दूसरी ओर यानि मिज़ोरम में अपना डेरा जमा कर बैठे है।
अधिकारी ने आगे यह भी बताया कि, कार्रवाई ने बर्मा के ड्रग माफियाओं को झकझोर कर रख दिया है, जिनके मिजोरम में राजनीतिक दलों के साथ संबंध हैं, और “गोलीबारी की घटना” उनकी “बढ़ती चिंता” का नतीजा है।
दरअसल, बात यह है कि कछार (असम) -कोलासिब (मिजोरम) चौकी की सीमा से लगे एक आरक्षित जंगल के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए एक पसंदीदा मार्ग है, जहां सोमवार को हिंसा भड़की थी। ड्रग माफिया पेड़ों की अवैध कटाई और सुपारी की खेती को भी प्रोत्साहित करते हैं, जबकि असम क्षेत्र की पारिस्थितिकी को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
असम की अधिकारियों ने गोलीबारी वाले दिन 200 पुलिसकर्मियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद इलाके का दौरा किया था । वे ड्रग्स और मवेशियों के संभावित तस्करी मार्ग का निरीक्षण कर रहे थे, और इसके तुरंत बाद भी हिंसा की घटना सामने आई थी।
असम के मुख्यमंत्री और अधिकारियों, की बातों को मानें तो यह हिंसा ड्रग माफ़ियाओं और गौ- तस्करों ने मिलकर दशकों पुरानी सीमा विवाद की आँड़ मे अंजाम दिया है। दोनों राज्य सरकारों को इस मामले से जुड़े हर पहलू को लेकर जांच कराने की आवश्यकता है।