केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जो वर्तमान में राज्यसभा सदन के उप-नेता हैं, भारतीय जनता पार्टी की ओर से अब राज्यसभा में सदन के नेता होंगे। यह पद वरिष्ठ नेता थावरचंद गहलोत के इस्तीफे के बाद से खाली है, जो अब कर्नाटक के राज्यपाल हैं। वैसे इस पद के लिए तीन और अहम नामों की चर्चा थी जिनमें निर्मला सीतारमण, भूपेंद्र यादव और मुख़्तार अब्बास नकवी का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा था, अंततः भाजपा ने ये ज़िम्मेदारी पीयूष गोयल जैसे अनुभवी नेता को देना उचित समझा।
एक कुशल प्रबंधक, वरिष्ठ सांसद और वक्ता होने के लिहाज़ से इस पद पर उन्हें लाने की मंशा आने वाले सत्रों में साफ ज़रूर हो जाएगी, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के फैसलों में हमेशा दूरगामी सोच का बड़ा महत्व रहा है। ये गोयल के प्रबंधन का ही परिणाम था जो तीन तलाक और अनुच्छेद 370 जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराया जा सका।
हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें कपड़ा मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय जैसे 3 मंत्रालयों का प्रभार दिया गया है। गोयल, महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं और अन्य दलों के नेताओं के साथ एक उत्कृष्ट तालमेल साझा करते हैं। वह हालिया मंत्रिमंडल विस्तार से पूर्व रेल मंत्री भी थे।
संगठन में प्राप्त लम्बे अनुभव और अपनी राजनीतिक समझ की वजह से ही पीयूष गोयल प्रधानमंत्री मोदी की राज्यसभा सदन के नेता जैसे बड़े दायित्व की पसंद बन गए। 2014 के कार्यकाल में केंद्र सरकार में प्रमुख पोर्टफोलियो संभालने वाले पीयूष गोयल 2010 से राज्यसभा में सदस्य हैं। वर्ष 2014 में मंत्री बनने से पहले गोयल पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष थे। वह भाजपा की चुनाव प्रबंधन गतिविधियों में भी शामिल रहे हैं, जिसके बाद पार्टी को कई राज्यों में बढ़त और जीत हासिल हुई।
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ये तो तय है कि, राज्यसभा सदन में थावरचंद गहलोत के बाद पीयूष गोयल बतौर नेता सदन अपने प्रदर्शन और आवाज़ को और मुखरता से रखते हुए नज़र आएंगे। ज्ञात हो कि इससे पूर्व की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने अपनी उपलब्धियों से अपनी उपयोगिता को ज़रूर साबित किया है। उनकी बेहतरीन कार्यप्रणाली के कारण ही उन्हें यह स्थान मिला है। पीयूष गोयल एक समय में कई पदभारों को कुशलता से संभालने के लिए जाने जाते हैं, इससे पहले वो बिजली, कोयला, नई और नवीकरणीय ऊर्जा (2014-2017) और खानों (2016-17) के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। पीयूष गोयल के कार्यकाल में भारत के बिजली क्षेत्र में परिवर्तनकारी परिवर्तन हुए। इसी के साथ उनके कार्यकाल के दौरान 2018 तक, 80% से अधिक आबादी के पास बिजली पहुंची थी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री 19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले सदन के नेता के तौर पर पीयूष गोयल के नाम को मंजूरी प्राप्त कराने के लिए राज्यसभा के सभापति के समक्ष प्रस्ताव रखेंगे। राज्यसभा सदन के नेता का पद एक प्रतिष्ठित पद है जहां ट्रेजरी बेंच और विपक्ष के बीच बहस के दौरान महत्वपूर्ण हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।