क्षेत्रवाद के आधार पर भेदभाव और हीन भावना समय-समय पर कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगों द्वारा सामने आती ही रहती है, लेकिन ये मामला तब अतिसंवेदनशील हो जाता है, जब किसी राज्य का मंत्री ही अन्य राज्य के लोगों के लिए गिरी हुई भाषा का प्रयोग करे; और तमिलनाडु की डीएमके सरकार के मंत्री के एन नेहरू ने बिहार के लोगों के संबंध में कुछ ऐसा ही विवादित बयान देते हुए उन्हें मंदबुद्धि तक बता दिया है। DMK नेता ने बिहारी लोगों की अपेक्षा मलयाली लोगों को अधिक बुद्धिमान बताया है। उनका ये वक्तव्य दर्शाता है कि वो क्षेत्रवाद की निचले स्तर की मानसिकता वाले व्यक्ति हैं, ऐसे में आवश्यक है कि वो अपने शर्मनाक बयान के लिए माफी मांग लें।
बिहारी नागरिकों के लिए हमेशा ही हीन भावना के वक्तव्य सामने आते रहते हैं, लेकिन इस बार तो हद ही हो गई है। तमिलनाडु के नगर पालिका प्रशासन मंत्री केएन नेहरू ने आरजेडी के पूर्व नेता और रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के संबंध में कहा कि लालू ने बिहार के अक्षम कामगारों को रेलवे में भर्ती करवा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जो नौकरियां तमिलनाडु के लोगों को मिलने वाली थीं, वो सारी बिहारियों को ही मिल गईं, जबकि बिहारी लोग मंदबुद्धि होते हैं।
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उन्होंने कहा, “बिहारियों के पास ज्यादा दिमाग नहीं होता है। लेकिन आप त्रिची पोनमलाई रेलवे वर्कशॉप को ही देख लीजिए, जहाँ 4000 बिहारी काम कर रहे हैं। इसी तरह पूरे तमिलनाडु में आप रेलवे में गेटकीपर के रूप में बिहारियों को देख सकते हैं।” इतना ही नहीं उन्होंने तमिलनाडु की जनता को फटकार लगाते हुए ये भी कहा कि मलयाली लोगों ने ज्यादा बुद्धिमान होने के बावजूद केन्द्र सरकार की नौकरियों में दिलचस्पी नहीं दिखाई और उसी का फायदा बिहारियों ने उठाया।
सटीक तौर पर कहा जाए तो मंत्री महोदय ने तमिलनाडु के मलयाली लोगों को बुद्धिमान बताने के साथ ही बिहार के लोगों का अपमान किया है। भले ही वो लालू यादव का नाम प्रयोग करके इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहे हो, लेकिन उनकी मंशा बिहारियों के अपमान की थी। ये पहली बार नहीं है कि बिहारियों के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक बयानबाजी हुई हो। महाराष्ट्र से लेकर दक्षिण भारत तक के कई राज्यों में बिहारियों और उत्तर प्रदेश के लोगों के प्रति इस तरह की हीन भावना रखना एक आम बात है। वहीं मंत्री नेहरू को बिहारियों के बारे में ऐसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने के पहले ये सोचना चाहिए कि बिहार भले ही देश का पिछड़ा राज्य हो, लेकिन वहां से आज भी सबसे ज्यादा IAS और PCS स्तर के अधिकारियों का चयन होता है।
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अन्य बातों को छोड़ भी दें और DMK के चुनावी कैंपेन पर ही नजर डालें तो उनका कैंपेन आईपैक कंपनी ने तैयार किया था, इसी कैंपेन के दम पर उनकी पार्टी को 2021 के विधानसभा चुनावों में जीत मिली। महत्वपूर्ण बात ये है कि आईपैक बिहार से आने वाले प्रशांत किशोर की कंपनी है। ऐसे में बिहारियों का अपमान करना उन्हें तो कतई शोभा नहीं देता। बिहारियों के इस अपमान को लेकर एक नया राजनीतिक मुद्दा खड़ा हो, और तमिलनाडु में DMK के लिए नई मुसीबतें खड़ी हों, उससे पहले बेहतर होगा कि अपने शर्मनाक बयान के लिए मंत्री केएन नेहरू माफी मांग लें।