इसरो जासूसी मामले में अदालत ने बुधवार को केरल के पूर्व डीजीपी सीबी मैथ्यूज की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। सीबीआइ ने पूर्व डीजीपी समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वर्ष 1994 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी सिलसिले में अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, अपहरण व साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को आदेश दिया था कि नारायणन से जुड़े जासूसी मामले में आरोपी पुलिस अधिकारियों की भूमिका के बारे में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट सीबीआइ को सौंपी जाए। सीबीआई ने बुधवार को केरल के दो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों एस विजयन और थंपी एस दुर्गा दत्त की जमानत याचिकाओं का विरोध किया, क्योंकि ये दोनों ही उस विशेष जाँच टीम (SIT) के सदस्य थे, जिसने ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायण को गिरफ्तार किया था।
भारत को तकनीकी रूप से कमजोर करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने उस समय विदेश संबंध सीनेट समिति के सदस्य होने के नाते समिति में एक संसोधन पेश करते हुए, वर्ष 1992 में रूस को धमकाया था कि यदि रूस भारत के साथ हुए $ 250 मिलियन के क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बरकरार रखता है तो अमेरिका की ओर से दी जाने वाली 24 अरब डॉलर की अंतरराष्ट्रीय सहायता पर रोक लगा दी जाएगी, जो अमेरिका मास्को को प्रदान करने जा रहा था।
1. In 1992 Joe Biden blocked the help of Russia to India in which they were helping India to make a cryogenic engine for India’s space program pic.twitter.com/RYPKNcK6Vc
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) June 17, 2021
2. But India has continued their space program anyhow. 1994 CIA has destroyed all space programs by making false charges against Scientist Nambi Narayan and his team.
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) June 17, 2021
उस समय सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा था। जिस वजह से रूस को अमेरिकी सीनेट के संशोधन का पालन करना पड़ा। तब बाइडन ने ही इसको खतरनाक बताते हुए भारत की मेहनत पर पानी फेरने की साजिश रची थी । रूस की मजबूरी को अपना शस्त्र बनाते हुए बाइडन ने कहा था कि- “मुझे विश्वास है कि आर्थिक सहायता खोने के जोखिम को परखते हुए रूसी नेता इस बिक्री को रोकने में ही समझदारी समझेंगे।”
अंततः अमेरिका ने रूस से भारत को 7 क्रायोजेनिक इंजन देने कि अनुमति तो दी पर कोई भी हस्तांतरण नहीं होने दिया जिसकी वजह से भारत के अंतरिक्ष मिशन को हानि हुई, परंतु इसके बावजूद भारत ने फिर भी अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को पूर्ण रूप दिया । फिर 1994 में सीआईए ने वैज्ञानिक नंबी नारायण और उनकी टीम के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार किया। तिरुअनंतपुरम से मालदीव एक महिला को गिरफ्तार किया गया था, जिसका नाम मरियम राशिदा था। उसपर इसरो के स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन कार्यक्रम की पूरी संरचना के बारे में खुफिया जानकारी दुश्मन देश पाकिस्तान को बेचने का आरोप था, जिसके डाइरेक्टर नंबी नारायण थे और इसी की मूल धारणा थी कि कैसे भी स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन कार्यक्रम को नष्ट किया जाए।
सीबीआई ने तब अपनी जांच में कहा था कि केरल में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों सहित तत्कालीन 16 अन्य शीर्ष पुलिस अधिकारी, जो नारायणन की अवैध गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे, उन पर आपराधिक साजिश, अपहरण और मनगढ़ंत सहित विभिन्न अपराधों के लिए केस दर्ज किया गया था। सबूत के तौर पर, भारतीय दंड संहिता के तहत, इस मामले का एक राजनीतिक पहलू भी था, कांग्रेस के एक वर्ग ने इस मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय के करुणाकरण को निशाना बनाया था। जिसके कारण उनको इस्तीफा देना पड़ा।
इस पूरे प्रकरण में भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता और जो बाईडन की भूमिका पर संशय उठा जिसको नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। उस दौरान नंबी नारायण और उनके साथियों को आरोपी बनाने का काम आर बी श्रीकुमार समेत अन्य अफसरों ने किया। उस वाकय के समय सीआइए और पुलिस अधिकारी भी संदिग्ध पाए गए थे। नंबी नारायण के खिलाफ लगे अनर्गल आरोपों में उन्हें न सिर्फ आरोपमुक्त किया गया, बल्कि कोर्ट ने केरल सरकार को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये देने को कहा। कोर्ट ने कहा कि नारायण को पूरे केस के दौरान बहुत अपमान सहना पड़ा है। पैनल का गठन करते ही उन अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए, जिनकी वजह से नंबी नारायण को उत्पीड़न और बेइज्जती का सामना करना पड़ा था।