24 जुलाई 2021 को भारत के मणिपुर से आई भारोत्तोलक साईखोम मीराबाई चानू ने इतिहास रच दिया। 2017 के विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मीराबाई चानू ने 202 किलो का भार उठाकर रजत पदक पर कब्जा जमाया, जो अपने आप में एक गौरवशाली क्षण था। लेकिन ये क्षण अब और भी अधिक गौरवशाली और अभूतपूर्व बन सकता है। यदि सब कुछ सही रहा, तो मीराबाई चानू का रजत पदक एक ऐतिहासिक स्वर्ण पदक में भी बदल सकता है।
वो कैसे? दरअसल, 49 किलो के महिला भारोत्तोलन वर्ग में चीन की हू शीहुई ने तहलका मचाते हुए ओलंपिक रिकॉर्ड सहित स्वर्ण पदक जीता। स्नेच में 94 किलो और क्लीन एंड जर्क में 116 किलो का कुल भार उठाते हुए उसने स्वर्ण पदक जीता। भारत की मीराबाई ने स्नेच में 87 किलो और क्लीन एंड जर्क में 115 किलो का भार उठाते हुए 202 किलो के कुल भार के साथ रजत पदक जीता। वहीं पर 194 किलो के कुल भार के साथ इंडोनीशिया की विंडी आईशा ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
लेकिन हू के प्रदर्शन पर अब प्रश्न उठने लगे हैं, क्योंकि अब डोपिंग रोधी एजेंसियों ने उनके सैंपल के टेस्टिंग की मांग की है। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, हू के सैंपल टेस्टिंग के लिए भेज दिए गए हैं। यदि हू इस टेस्ट में निर्दोष सिद्ध होती है, तो स्थिति यथावत रहेगी। लेकिन, यदि चीन की भारोत्तोलक डोपिंग टेस्ट में दोषी पाई जाती है, तो न केवल उसका स्वर्ण पदक जब्त होता है, अपितु मीराबाई चानू भारत के इतिहास में पहली महिला खिलाड़ी बन जाएगी, जिसने किसी भी स्पर्धा में देश को ओलंपिक स्वर्ण पदक जिताया है।
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लेकिन ये चीन के लिए कोई नई बात नहीं होगी। खेलों में, विशेषकर वेटलिफ्टिंग में डोपिंग बहुत आम बात है। अनेकों प्रतिबंध झेल चुका भारत यह बात भली-भांति जानता है, लेकिन चीन यही काम अनेकों बार करके दुनिया से इतनी सफाई से छुपाता आया है कि आज भी कई लोग चीन के अनेक करतूतों से अपरिचित हैं।
पूर्ववर्ती सोवियत संघ की भांति चीन भी किसी भी कीमत पर वैश्विक स्तर पर बादशाहत कायम करना चाहता है, और ओलंपिक को वह इसके लिए एक माध्यम मानता है। इसीलिए जैसे एक समय सोवियत संघ में कई खिलाड़ी किसी भी तरह विजयी होने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाते थे, चीन भी वही हथकंडे अपनाता है। अंतर बस इतना है कि वह आसानी से लोगों की पकड़ में नहीं आता है।
उदाहरण के लिए बीजिंग ओलंपिक से एक बहुत बड़ा घोटाला उजागर हुआ। 2017 में 8 से अधिक चीनी एथलीट डोपिंग के दोषी पाए गए, जिनमें 3 ओलंपिक पदकधारी वेटलिफ्टर भी शामिल थे। इनके नाम थे काओ ली, चेन शीशिया एवं लिउ चुनहोनोग। इनके कारण चीनी वेटलिफ्टिंग महासंघ पर Court of Arbitration for Sport ने 2017 में ही एक वर्ष का प्रतिबंध भी लगाया, और इनके ओलंपिक मेडल भी वापिस ले लिए गए।
अब हू शीहुई भी इसी ‘एलीट क्लब’ का हिस्सा बनती हैं या नहीं, ये तो समय ही बताएगा। पर यदि ये सच होता है, तो मीराबाई ने न केवल टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचा, बल्कि ईमानदारी से अपना पदक भी कमाया।