हर-रोज भारत तकनीक और उपकरणों की क्षेत्र में नई बुलंदियों को छू रहा है। प्रोघोगिकी के रूप से स्मार्ट और आधुनिक तकनीक से लैस उपकरणों के बेहतर उपयोग से भारत, शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव की लहर लाने में सफल हुआ है। ये बदलाव डेटा- आधारित इनोवेशन द्वारा संचालित है। डेटा स्टोरेज कर, उसे विकसित प्रोघोगिकी समाधानों से माध्यम से दोहन किया जाता है। जिससे, आम जनमानस का जीवन आसान और समृद्ध बनता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है – आधार कार्ड। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान युग में डेटा सोना है, और डेटा स्टोरेज सोने की खदान है। भारत इस नए दौर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। साल 2025 तक भारत को एक ट्रिल्यन- डॉलर की डिजिटल अर्थव्यस्था बनने में कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती है। ऐसे में यह भी कहना गलत नहीं होगा कि, अगर डेटा स्टोरेज सोने की खदान है तो भारत सोने की खदान का खनिक है।
ORF की रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत के पास 500 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ ही डिजिटल उपभोक्ताओं का तेज़ी से बढ़ता बाज़ार है; विशिष्ट पहचान संख्य़ा (यूआईडी) पर आधारित, दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम ‘आधार’ (Aadhaar) है जिसके तहत 1.2 बिलियन से अधिक लोगों की पहचान की जा चुकी है; और इसके पास एक संपन्न व सुरक्षित ई-भुगतान तंत्र (e-payment ecosystem) है जिसके तहत, एक महीने में औसतन एक बिलियन से अधिक एकीकृत भुगतान संबंधी लेनदेन (unified payment interface transactions) होते हैं।
आपको बता दें कि भारत डेटा खनिक के क्षेत्र में सबसे ऊंचाई पर पहुँचने वाला है और इसके पीछे मोदी सरकार की 7 साल की कड़ी मेहनत है। मोदी सरकार ने भारत के हर दुर्लभ क्षेत्र को आधुनिकरण कर, उसमें नया उत्साह भर दिया है। भारत को यह सफलता कड़ी मशक्कत के बाद मिली है। अगर भारत सरकार के तीन सबसे बड़ी क्रांतियों की बात करें तो पहली है- आधार कार्ड, दूसरी डेटा सुरक्षा कानून और तीसरी है, हाल ही में लाए गए नए IT रुल्स। इसके अलावा भारत सरकार के लिए टेलीकॉम क्षेत्र, कृषि क्षेत्र और स्वास्थ्य क्षेत्र में आधुनिकरण करना चुनौतीपूर्ण काम था।
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अगर हम बात करें आधार कार्ड की तो , आज सभी को मालूम है कि आधार कार्ड के मामले को सुप्रीम कोर्ट तक घसीटा गया था। अंततः UIDAI (आधार कार्ड) और भारत सरकार की जीत हुई थी। आधार कार्ड के माध्यम से भारत सरकार लाख लोगों को राशन मुहैया करा पा रही है। आधार कार्ड के माध्यम से दशको से बैंकिंग सेवा से वंचित रही जनता को बैंकिंग सेवा से जोड़ा गया है। नतीजन भारत सरकार द्वारा आवंटित राशि की पाई- पाई उनके बैंक खताओं में आसानी से पहुँच जाती है।
डाटा सुरक्षा कानून कितना ज़रूरी है इसका अनुमान आप इस आधार पर लगा सकते है कि, व्यक्तिगत डाटा सुरक्षा विधेयक 2019 की समीक्षा कर रही 30 सदस्यों की संयुक्त संसदीय समिति ने 66 बैठकों और 160 घंटे की चर्चा- किसी भी विधेयक के लिए सबसे ज़्यादा घंटों तक चली चर्चा- के बाद 89 संशोधन, एक अतिरिक्त उपधारा और अनुसूची में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है। बता दें कि डिजिटल दुनिया में व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित करने के लिये एक फ्रेमवर्क की सिफारिश किये जाने हेतु जुलाई 2017 में न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति की स्थापना की गई थी।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 यह कहता है कि अपने व्यक्तिगत डेटा से संबंधित व्यक्तियों की गोपनीयता की सुरक्षा प्रदान करने के लिए, व्यक्तिगत डेटा के प्रवाह और उपयोग को निर्दिष्ट करें, व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच विश्वास का एक संबंध बनाएं, उन व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करें जिनके व्यक्तिगत डेटा संसाधित होते हैं, डेटा के प्रसंस्करण में संगठनात्मक और तकनीकी उपायों के लिए एक ढांचा बनाने के लिए, सोशल मीडिया मध्यस्थ, सीमा पार हस्तांतरण, व्यक्तिगत डेटा प्रोसेसिंग करने वाली संस्थाओं की जवाबदेही, अनधिकृत और हानिकारक प्रसंस्करण के लिए उपाय, और डेटा सुरक्षा प्राधिकरण स्थापित करने के लिए भारत का मानदंड बनाना उक्त उद्देश्यों के लिए और आकस्मिक चिकित्सा के साथ जुड़े मामलों के लिए। यह कानून भारत के नागरिकों का डेटा देश के बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगता है।
दुर्भाग्यपूर्ण, भारत सरकार ने इस महत्वाकांक्षी कानून के लिए भी बड़ी लड़ाई लड़ी है। प्रशांत भूषण जैसे activist के अलवा विपक्ष के नेताओं ने भी इसका पुरजोर विरोध किया है। संभवतः यह कानून जल्द ही पारित किया जाएगा और आम जनता को डेटा सुरक्षा प्रदान कि जाएगी।
अब रही बात नए IT डिजिटल मीडिया नियम की, तो आपको बता दें यह नियम कई कड़े प्रावधान लाने के साथ ही नागीरकों का डेटा भी भारत के बाहर जाने पर रोक लगता है। यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोड़ से भी बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह कानून सोश्ल मीडिया पर चल रहें देश विरोधी गतिविधियों पर नज़र रखता है और इस प्रकार से गतिविधि को प्रकरण बनने से रोका जा सकता है। इसके कई उदाहरण है, जैसे कि हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ATS ने डेटा के माध्यम से अलकायदा के आंतकियों को पकड़ा है, इसके अलावा केरल से ISIS के लिए गुटबाजी कर रहें है आतंकियों को भी तकनीक के माध्यम से पकड़ा गया था।
भारत सरकार ने डेटा स्टोरेज के माध्यम से आयुष्मान भारत योजना की पहल की थी। मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना (ABY) में समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलती है। ABY को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) भी कहा जाता है। इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य योजना है और यह भी डेटा खनन की वजह से संभव हो पाया है।