अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक चरम पर है। इस बीच अफगानिस्तान के कंधार इलाके में गए भारत के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई है। दानिश सिद्दीकी की हत्या कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में एक झड़प के दौरान तालिबान के आतंकियों द्वारा की गई गोलीबारी में हुई है।
रोहिंग्या मामले पर कवरेज के लिए दानिश सिद्दीकी को पुलित्ज़र अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वह मौजूदा वक्त में अंतरराष्ट्रीय एजेंसी Reuters के साथ कार्यरत थे और अफगानिस्तान में जारी हिंसा के कवरेज के लिए गए थे।
दानिश सिद्दीकी की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने दानिश की तालिबान द्वारा बर्बर हत्या पर शोक जताते हुए कहा कि ‘मैं सिद्दीकी के परिवार और हमारे मीडिया परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं अपनी सरकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वतंत्र मीडिया तथा पत्रकारों की सुरक्षा के लिए अटूट प्रतिबद्धता को दोहराता हूं।’
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विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सुरक्षा परिषद में ‘Protection of Civilians in armed conflict: Preserving humanitarian space’ पर बोलते हुए कहा कि भारत पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटो जर्नलिस्ट की हत्या की कड़ी निंदा करता है।
भारत की लिबरल और वामपंथी मीडिया ने भी दानिश सिद्दीकी की मौत पर ट्विटर पर शोक व्यक्त किया है, लेकिन उनके शोक में दानिश के परिवार के लिए सद्भावना कम और दक्षिणपंथियों के प्रति घृणा ज्यादा नजर आ रही है। भारत के वामपंथियों ने कट्टर इस्लामिस्ट संगठन तालिबान को दानिश की मौत का जिम्मेदार न ठहरा कर बीजेपी और RSS के लिए खिलाफ ट्विटर पर मोर्चा खोल दिया। इतना ही नहीं NDTV के पत्रकार रवीश कुमार ने तो फेसबुक पोस्ट पर दानिश की मौत का जिम्मेदार बंदूक से निकली गोलियों को ठहराया है। रवीश कुमार की पोस्ट में दानिश की हत्या का जिम्मेदार आतंकी संगठन तालिबान का जिक्र तक नहीं है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्विटर पर दानिश सिद्दीकी की हत्या पर शोक जताया। राहुल गांधी भी तालिबान की बर्बरता की निंदा करने से बचते दिखे।
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कारवां पत्रिका से जुड़ी वामपंथी पत्रकार विद्या कृष्णन तो दानिश सिद्दीकी की मौत में भी तुच्छ एजेंडा चलाने से बाज नहीं आईं। विद्या ने दानिश की मौत की तुलना हिंदी जगत के दिवंगत पत्रकार रोहित सरदाना से करते हुए लिखा, “रोहित सरदाना एक मामूली और निम्न स्तर का पत्रकार था वहीं दानिश उच्च कोटी के पत्रकार थे।“
Rohit Sardana was the ass wart of Indian journalism.
Danish is.. was… the best among us. https://t.co/Lt64HPhbr5
— Vidya (@VidyaKrishnan) July 16, 2021
दानिश सिद्दीकी की हत्या ने एक बार फिर से वामपंथियों के पाखंड को उजागर करके रख दिया है। सोशल मीडिया पर लिबरलों ने दानिश की मौत का असल जिम्मेदार पाकिस्तान और तालिबान को बताने की जगह बाकी सभी को दोषी करार दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के वामपंथी नेता और पत्रकार कट्टर इस्लामिस्ट संगठन तालिबान और तालिबान के प्रजनक पाकिस्तान का ज़िक्र भी नहीं कर सकते।