पूर्व टीएमसी नेता और कोलकाता हाई कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक कुमार देब, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल को हटाना चाहते थे। अब वह स्वयं बड़ी मुसीबत में फंस चुके हैं। न सिर्फ उनके बार काउंसिल के सदस्य उनका साथ छोड़ रहे हैं, बल्कि अब एल वकील ने पश्चिम बंगाल के Advocate general से अशोक कुमार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी।
दरअसल, कोलकाता हाई कोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक कुमार देब ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल को बीजेपी का आदमी बता कर, उन्हें हटाने के लिए देश के मुख्य न्यायधीश NV Ramana को पत्र लिखा था। हालाँकि, उन्होंने अब बार काउंसिल के सदस्यों की राय लिए बिना ही उनके नाम के साथ पत्र लिख दिया था। इस कारण बार काउंसिल के कई सदस्यों ने इस पत्र में कोई भागीदारी न होने की बात कही है।
अब बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक कुमार देब की मुश्किलों को और बढ़ाते हुए पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के एक वकील विजय कुमार सिंघल ने बुधवार को राज्य के Advocate general किशोर दत्ता से अशोक कुमार देब के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी है। कोर्ट की अवमानना यानि Contempt Of Court की कार्रवाई शुरू हो जाति है तो देब को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। विजय कुमार सिंघल ने दत्ता को पत्र लिखकर कहा कि देब का पत्र “जस्टिस बिंदल के आचरण पर बेबुनियाद आरोप लगाता है।”
बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने Narada स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई के विशेष न्यायालय द्वारा सुनाए गए निर्णय के विरुद्ध जाते हुए चार तृणमूल कांग्रेस नेताओं को दी गई जमानत याचिका पर रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं, इन चारों को अस्थाई तौर पर हाउस अरेस्ट में भेज दिया गया।
इसी से नाराज हो कर TMC से पांच बार विधायक रहे अशोक कुमार देब ने उन्हें ही मामले से हटाने की मांग की थी। हालाँकि, बार काउंसिल के निर्वाचित कार्यकारी निकाय के 22 सदस्यों में से सात ने देब के पत्र की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि इसकी सामग्री पर चर्चा करने के लिए परिषद की कोई बैठक नहीं हुई थी और देब ने जो लिखा वह बंगाल के सभी वकीलों की राय नहीं माना जा सकता है। अब यह देखना है कि बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक कुमार देब के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।