महिला एथलीट पिंकी प्रमाणिक की बायोपिक बनने जा रही है
देश में कई स्पोर्ट्स बायोपिक फिल्में बनी हैं, अब इस लिस्ट में एक और फिल्म शामिल होने वाली है। निर्माता अशोक पंडित भारत की पूर्व स्वर्णपदक विजेता महिला एथलीट पिंकी प्रमाणिक की बायोपिक बनाने जा रहे हैं। पिंकी प्रमाणिक एक महिला ट्रैक और फील्ड एथलीट थीं, जिन्होंने कई प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण और रजत पदक जीते थे। हालांकि, गोल्ड मेडलिस्ट पिंकी पर पुरुष होने और एक महिला एथलीट ने दुष्कर्म के गंभीर आरोप भी लगाये थे। यही नहीं, इस 22 वर्षीय एथलीट (Athlete) को 1000 पुरुष कैदियों के साथ पुरुषों की जेल में बंद कर दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, बायोपिक के माध्यम से अशोक पंडित उनकी कहानी को बड़े पर्दे पर लाएंगे, उन्हें इसकी मंजूरी मिल गयी है। हालांकि, बायोपिक फिल्म का शीर्षक अभी घोषित नहीं किया गया है, परन्तु जल्द ही पिंकी प्रमाणिक बायोपिक फिल्म की लीड कास्ट की घोषणा होगी। पिंकी प्रमाणिक की कहानी लिखने की जिम्मेदारी प्रियंका घटक को दी गयी है।
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अशोक पंडित ने ट्विटर पर यह घोषणा की। उन्होंने ट्वीट किया, “#AshokePanditProductions के लिए गर्व का क्षण है। यह सभी एथलीटों के लिए एक श्रद्धांजलि होगी। #AshokePandit #PinkyPramanik”
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अशोक पंडित ने सोशल मीडिया पर उनके नए प्रोजेक्ट पिंकी प्रमाणिक बायोपिक का समर्थन करने के लिए अपने प्रशंसकों को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने लिखा, “आपके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद। #AshokePandit #PinkyPramanik”
कौन है पिंकी प्रामाणिक, क्यों बन रही है बायोपिक ?
बता दें कि पिंकी प्रमाणिक एक भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट थीं, जो 400 मीटर और 800 मीटर की दौड़ में रेस किया करती थीं। प्रमाणिक ने राष्ट्रीय 4×400 मीटर रिले टीम के साथ, 2006 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत, 2006 एशियाई खेलों में स्वर्ण और 2005 के एशियाई इंडोर खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 2006 के दक्षिण एशियाई खेलों में रिले टीम के साथृ 400 और 800 मीटर स्पर्धा में भी जीत हासिल कर तीन स्वर्ण पदक जीते थे।
जब वह 17 साल की थीं, तब उन्होंने पहली सफलता के रूप में Asian Indoor Athletics Championships में दो कांस्य पदक जीते थे। उन्हें IAAF विश्व कप में एशिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। घरेलू स्तर पर, उन्होंने अखिल भारतीय ओपन राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीन बार जीत हासिल की थी।
उन्हें 2006 IAAF विश्व कप में एशिया महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था और 800 मीटर दौड़ में वो सातवें स्थान पर रही थीं। उन्होंने उस वर्ष बाद में अपने पहले एशियाई खेलों में भाग लिया, जिसमें 400 मीटर और रिले प्रतिस्पर्धा की।
पिंकी प्रामाणिक से जुड़ा विवाद!
2012 में पिंकी की महिला मित्र ने उन पर बलात्कार का आरोप लगा दिया, जिसके कारण उनके लिंग का निर्धारण करने के लिए चिकित्सा परीक्षण किया गया। प्रारंभिक निजी परीक्षणों में उनके पुरुष होने का दावा किया गया। हालांकि, प्रमाणिक ने इन परिणामों पर असहमति जताई और पुलिस ने अलग से सरकार के नेतृत्व वाले टेस्टिंग का आदेश दिया, परन्तु SSKM सरकारी अस्पताल में नतीजे अनिर्णायक रहे।
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कोर्ट ने तब Chromosome पैटर्न टेस्ट का निर्देश दिया था। नवंबर 2012 में हुए टेस्ट में पिंकी को “male pseudo-hermaphrodite” घोषित किया गया। हालांकि, मेडिकल रिपोर्ट से पता चला है कि प्रमाणिक penetrative sex करने में असमर्थ है।
बलात्कार और लिंग प्रतिनिधित्व के आरोपों के जवाब में उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, “जिस लड़की ने ये आरोप लगाया था, वह मेरी साथी नहीं थी और हम प्यार में नहीं थे। वह अपने प्रेमी और उसकी पांच साल की बच्ची के साथ किराए पर रहती थी। मैं पुरुष नहीं हूं। मैं हमेशा महिला रही हूं। मैं अब और अधिक पुरुष दिखती हूं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मेरे प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में, मुझे अन्य महिला प्रतिभागियों की तरह नियमित रूप से टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन दिए जाते थे।“ पिंकी को 25 दिनों तक पुलिस की हिरासत में रखा गया था। 2014 में कोलकाता हाइकोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था। अब देखना है इस कहानी को बायोपिक के रूप में अशोक पंडित किस तरह बड़े पर्दे पर उतारते हैं।