नियमों को ताक पर रखकर संविधान की धज्जियां उड़ाना तो जैसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आदत बन गई है। राज्य में राजनीतिक हिंसा से लेकर भ्रष्टाचार तक के मामलों में विपक्ष ममता को घेरता रहता है। वहीं अब विधानसभा में पीएसी के अध्यक्ष पद की नियुक्ति को लेकर ममता ने एक और बार संविधानिक मूल्यों की बलि चढ़ी दी है। नियमों का उल्लंघन कर बीजेपी से टीएमसी में आए मुकुल रॉय के खिलाफ जिस विधानसभा में कार्रवाई होनी चाहिए थी ममता के शासन काल में उन्हीं मुकुल रॉय को पीएसी का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण बीजेपी के पीएसी के उम्मीदवार और विधायक अशोक लाहिरी भी हैं, जो कि एक कुशल अर्थशास्त्री है। ममता जानती हैं कि यदि अशोक लाहिरी पीएसी के प्रमुख बन जाते, तो उनकी मुसीबतें बढ़ सकती है।
पश्चिम बंगाल के ममता राज में वो होता है, जो पूरे देश के लिए अप्रत्यशित होता है और इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में सामने आया है। दरअसल, बंगाल विधानसभा की पब्लिक अकाउंट कमेटी का अध्यक्ष मुकुल रॉय को नियुक्त कर दिया गया है जिसको लेकर बीजेपी भड़क गई है। संविधानिक नियमों की बात करें तो विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में पीएसी की कमान विपक्षी पार्टी के मुखिया को दी जाती है, लेकिन ममता ने इन सभी मूल्यों की धज्जियां उड़ी दी है।
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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार को जमकर लताड़ा है। उन्होंने कहा, “आज तक विपक्ष की तरफ से ही PAC का चेयरमैन बनाया जाता था, लेकिन अध्यक्ष ने इस परंपरा को ही तोड़ दिया है। बीजेपी के किसी भी विधायक ने मुकुल रॉय के नाम का प्रस्ताव नहीं दिया था। ऐसे में उन्हें पीएसी अध्यक्ष के तौर पर मुकुल रॉय को चुना जाना अनैतिक है।” ममता सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, “2017 से पश्चिम बंगाल सरकार ने कैग से ऑडिट नहीं कराया है। साल 2012-13 से जीटीए का ऑडिट नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार में विपक्ष बाधा न बने इसीलिए पीएसी का चेयरमैन पद हमें नहीं दिया गया। अशोक लाहिरी जैसे देश के दिग्गज अर्थशास्त्री हमारे पास हैं, फिर मुकुल रॉय जैसे फेलियर शख्स को अध्यक्ष बनाए जाने की क्या जरूरत थी।”
ममता ने लाहिरी को नजरंदाज कर मुकुल रॉय को पीएसी का प्रमुख बनाया, लेकिन असल में इसके पीछे उनका डर है। लाहिरी बीजेपी विधायक होने के साथ ही एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री हैं, जिन्हें बीजेपी बंगाल में आर्थिक तौर पर ममता सरकार के खिलाफ हमला बोलने के लिए स्वीकृति दे चुकी है। हाल ही में जब बंगाल मे बजट पेश किया गया तो केन्द्र के अनुदान और राज्यों के अनुदान दोनों से चल रही योजनाओं को लेकर पार्दर्शिता लाने की मांग कर लाहिरी ने ममता सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ा दी थी। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को केन्द्र द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देनी ही चाहिए।” ये लाहिरी का विधानसभा में पहला दिन था, लेकिन अपने प्रश्नों के जरिए ममता को बैकफुट पर ला दिया था।
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ममता को पता है कि यदि वो विपक्ष के कोटे से बीजेपी विधायक आशोक लाहिरी जैसे अर्थशास्त्री को पीएसी का चेयरमैन बनने देंगी, तो राज्य में आर्थिक दृष्टि से सवालों की एक ऐसी फेहरिस्त खड़ी हो जाएगी, जिसका जवाब देना ममता के लिए ही मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में ममता ने संविधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाते हुए पहली बार सत्ता पक्ष के ही नेता मुकुल रॉय को पीएसी का चेयरमैन बना दिया है।
दूसरी ओर मुकुल रॉय हाल ही में बीजेपी से तृणमूल कांग्रेस में गए हैं। ऐसे में बीजेपी उनकी विधायकी को लेकर पहले ही विधानसभा में दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग कर रही हैं। भले ही विधानसभा स्पीकर विमान बनर्जी ने बीजेपी की मांगों को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया हो, लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी कोर्ट का रुख भी कर सकती हैं जो कि ममता और मुकुल रॉय दोनों के लिए मुसीबत बनने वाला है। वहीं फिलहाल, राजनीतिक गणित इस बात को साफ जाहिर कर रहा है कि ममता के मुकुल रॉय को पीएसी चेयरमैन बनाने के पीछे बड़ा कारण अशोक लाहिरी से उनका डर है।