योगी सरकार ने हम दो हमारे दो के सिद्धांत को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया है,इसीलिए वह अपने नए जनसंख्या अधिनियम के साथ सामने आई है। सरकार द्वारा प्रस्तावित इस अधिनियम के अंतर्गत जो भी दो से अधिक बच्चे पैदा करेगा, वो सरकारी सुविधाओं से काफी हद तक वंचित रहेगा। सरकारी सुविधाओं के नाम पर जो अल्पसंख्यकों को खुली छूट मिलती थी, उसपर काफी हद तक लगाम लगाने की दिशा में ये योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा एक सार्थक प्रयास बताया जा रहा है। परंतु कुछ लोगों को इससे भी समस्या है। इन्ही में से एक है समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, जो अक्सर अपने विवादित बोल के लिए चर्चा में रहते हैं।
एक बार फिर जनाब के मुंह से विष ही निकला है। इनके बयान अनुसार, “बीजेपी सरकार चलाने में फेल हो गई है। वह नए-नए कानून लाकर जनता को उलझाना चाहती है। दुनिया को रब ने पैदा किया है। दुनिया में कितने लोग पैदा होंगे ये कुदरत के हाथ में हैं। कुदरत से नहीं टकराना चाहिए। पैदाइश अल्लाह का कानून है और कुदरत से टकराना ठीक नहीं है। इससे नुकसान ही होगा”।
कमाल की बात तो यह है कि शफीकुर्रहमान बर्क ने यह लाजवाब तर्क सीधा 11 जुलाई यानि विश्व जनसंख्या दिवस के उपलक्ष्य पर दिया है। अपने बेतुके बयान को उचित ठहराने के लिए शफीकुर्रहमान बर्क ने आगे कहा, “अगर आबादी ज्यादा घट गई और किसी मुल्क से लड़ाई हो गई तब क्या होगा? कुदरत से टकराना ठीक नहीं, इससे नुकसान ही होगा। सांसद ने कहा कि जो जनसंख्या कानून लाने की बात हो रही है उससे आवाम का हित नहीं होगा। अल्लाह को जिसे पैदा करना है उसे कौन रोक सकता है? वह तो पैदा होगा ही। चाहे गरीब हो या अमीर सभी को खाना अल्लाह के रहमों करम से मिलता है। जनसंख्या कानून से कोई लाभ नहीं होने वाला”।
ऐसा पहली बार नहीं जब समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क विवादों के घेरे में रहे हो। इससे पहले भी ये अपने बेतुके बयानों के लिए विवादों के घेरे में रह चुके हैं। जब लोकसभा में इन्होंने शपथ ली थी, तो शफीकुर्रहमान बर्क ने शपथ लेने के बाद बेवजह वन्दे मातरम न बोलने की बात कही और अपने तर्क देने लगे। उन्होंने कहा, ‘जहां तक वंदे मातरम का ताल्लुक है, यह इस्लाम के खिलाफ है इसलिए हम इसका अनुसरण नहीं कर सकते।’ शफीकुर्रहमान बर्क के इस कथन को पूरे संसद में भाजपा नेताओं ने शमर्नाक करार देते हुए जोर जोर से ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाया था, जिससे शफीकुर्रहमान बर्क बिना हस्ताक्षर किये ही जाने लगे तब उन्हें हस्ताक्षर के लिए याद दिलाया गया।
इसके अलावा कोरोना वायरस को लेकर भी यह बहुत बकवास कर चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इनके बयान से न सिर्फ इनकी धर्मांधता, बल्कि समाजवादी पार्टी की निकृष्ट सोच भी झलकती है।