पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर से मेडिकल ऑक्सीजन और उसकी कमी से हुई मौत सुर्ख़ियों में है। केंद्र ने स्पष्ट कहा था कि राज्यों ने दूसरी कोविड -19 लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई कोई मौत को रिपोर्ट नहीं किया है। बावजूद इसके विपक्षी पार्टियाँ और कुछ मीडिया चैनल यह झूठ फैला रहे हैं कि केंद्र ऑक्सीजन के कारण होने वाली मौत से इंकार कर रहा है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को इसे “पूरी तरह से झूठा” बता दिया और कहा कि “दिल्ली और देश भर में कई अन्य जगहों पर ऑक्सीजन की कमी के कारण कई मौतें हुईं।“
दरअसल, केजरीवाल सरकार ने मई में दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर किया था, जिसमें लिखा था कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। चार सदस्यों की कमीटी की रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करते हुए दिल्ली की सरकार ने कहा था कि जिन अस्पतालों से पूछताछ की गयी उसमें ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत की बात नहीं कही थी।
अब यह स्पष्ट है कि सत्येंद्र जैन अपने ही मुख्यमंत्री को एक्सपोज कर रहे हैं। देखा जाये तो यह केजरीवाल ही थे जिनके वजह से दिल्ली में दूसरी लहर के दौरान मौत का तांडव हुआ था। अब इस झूठ के बाद भी दिल्ली की जनता केजरीवाल को सत्ता में बैठाती है तो दिल्ली वालों की हालत के लिए कोई और नहीं वे स्वयं जिम्मेदार होंगे।
सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से मौते हुई। इसके लिए कोई और नहीं बल्कि केजरीवाल जिम्मेदार थे।
पिछले ही महीने सुप्रीम कोर्ट की ऑक्सीजन ऑडिट समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली की सरकार ने आवश्यकता से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की थी। ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा।
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यदि वो 900 मिट्रिक टन बर्बाद हुई ऑक्सीजन सही समय पर देश के अलग-अलग 12 राज्यों के अस्पतालों में पहुंचती, तो शायद ऑक्सीजन से हुई मौतों का आंकड़ा बेहद कम ही रह जाता।
दिल्ली में भी वही हालात बने रहे और हजारों टन ऑक्सीजन और ventilators केंद्र और अन्य राज्यों द्वारा आवंटित किये जाने के बाद भी दिल्ली में लोग ऑक्सीजन की कमी से मरते रहे। यही नहीं केजरीवाल ने ये आंकडे भी केंद्र को नहीं दिये।
मौतों के आंकड़ों को केंद्र तक पहुँचाना राज्यों का काम है। जो आंकड़े राज्य सरकार, केंद्र को भेजती है वही जनता के सामने पेश किए जाते है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि दिल्ली में ऑक्सीजन के आभाव में जान-माल को नुकसान हुआ तो क्यों केंद्र को सौंपी सूची में राज्य सरकारों ने “शून्य” का आंकड़ा दिया गया?
अरविंद केजरीवाल ने झूठ बोलने और अपनी जिम्मेदारी किसी अन्य पर थोपने की सीमा पार कर ली है। वह उन लोगों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिनकी मृत्यु ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई।
सत्येंद्र जैन का यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोरोना की दूसरी लहर में केजरीवाल सरकार द्वारा किये गए अक्षमीय अपराधों की सच्चाई को स्पष्ट करता है। यही नहीं केजरीवाल ने ऑक्सीजन के नाम पर ऐसा खेल खेला कि, अगल-बगल के राज्यों में भी ऑक्सीजन की कमी हो गयी और कई लोगों की मृत्यु भी हो गयी। हैरानी की बात यह है कि इतनी मौते होने के बावजूद ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत के आंकडे की रिपोर्ट केंद्र को नहीं दी गयी। अब अगर इन सब के बावजूद भी दिल्ली की जनता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाती है तो सबसा बड़ा मजाक दिल्ली वालों का ही बनेगा।