केजरीवाल की कॉपी करने में लगे हैं ‘भूमिपुत्र’ के बेटे अखिलेश यादव, अंत की ओर सपा की राजनीति

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2022 विधानसभा चुनाव

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीति का एक ही फॉर्मूला है, सरकारी पैसे से मुफ्त में सुविधाएं बांटकर, वोटों के निजी राजनीतिक हित साध लो। इसी नीति पर चलने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी तैयार हैं। उन्होंने हाल ही में आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह से मुलाकात की थी, जिसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए आप और सपा के बीच गठबंधन के कयास लगने लगे थे। ऐसे में सपा के घोषणापत्र को लेकर खबरें हैं कि वो 2022 विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली, पेंशन और रोजगार के मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल करेगी। ये इस बात का संकेत हैं कि गठबंधन की नीति के चलते ही अखिलेश, केजरीवाल के इशारों पर घोषणापत्र बना रहे हैं।

राजधानी दिल्ली में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल मुफ्त बिजली-पानी के वादे पर फिर चुनाव जीते हैं। पंजाब में भी व़ो मुफ्त दो सौ यूनिट बिजली देने का वादा कर आए हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा से गठबंधन करने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी, जिसके बाद अब 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर खबरें हैं कि पार्टी के घोषणापत्र में मुफ्त में बांटने वाली चीजों से संबंधित वादों की भरमार होगी, जिसके जरिए अखिलेश 2022 में पुनः सत्ता हासिल करने के सपने देख रहे हैं।

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सपा के घोषणापत्र से संबंधित खबरें है कि पार्टी 2022 विधानसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा करेगी। इसके अलावा महिलाओं को पेंशन के साथ ही पार्टी युवाओं को 10 लाख रोजगार देने का वादा भी कर सकती है।  समाजवादी पार्टी मुफ्त के वादों के दम पर आम आदमी पार्टी की मिली जीत को उदाहरण मान रही है। हालांकि, पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी मुफ्त की चीजों के जरिए अपनी राजनीतिक चमक बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं, जिसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के छात्रों को दिए गए घटिया लैपटॉप ही है।

युवाओं को साईकिल, लैपटॉप और टेबलेट के नाम पर अखिलेश ने जनता के वोटों के लिए राजनीतिक रिश्वतें देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन मुफ्त बिजी और पेंशन के स्तर की स्कीम दिखाती है कि अब उनके घोषणापत्र में अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक मॉडल की झलक दिखेगी। संजय सिंह और अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद दोनों के बीच गठबंधन के कयास तो लगने‌ ही लगे थे, लेकिन अब घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की बात संकेत है कि अखिलेश यादव ने चुनावों के लिए गठबंधन न होने के बावजूद दिल्ली के सीएम की मदद लेनी शुरू कर दी है।

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राजधानी दिल्ली में केजरीवाल ने जनता के टैक्स के पैसों से ही मुफ्त बिजली पानी और स्वास्थ्य के नाम पर वाहवाही लूटी थी। स्वास्थ्य के नाम पर बनी मोहल्ला क्लीनिक की असलियत कोरोना काल में सबके सामने आ गई। वहीं बिजली पानी के मुद्दे पर भी अनेकों गड़बड़ियां हैं। यही कारण है कि दिल्ली की जनता अनजाने में ही काठ की हांडी को दोबारा आग में चढ़ाकर पछता रही है।

ऐसे में अखिलेश घोषणापत्र के लिए राय लेकर अपनी पार्टी के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनता 2019 के लोकसभा चुनावों में पहले ही 6 हजार रुपये प्रतिमाह मुफ्त मिलने की स्कीम को नकार चुकी है। यदि सपा राजनीतिक रिश्वत देने वाली आप के साथ गठबंधन करती है तो संभावनाएं हैं कि अखिलेश यादव की अकाल राजनीतिक मृत्यु के जिम्मेदार केजरीवाल ही हो जाएं।

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