गणपति बप्पा मोरया जयकारे का महत्व
गणेश निराकार देव हैं- भक्त के सुख के लिए एक शानदार रूप में समाहित। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार वह भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। उनके नाम में ही बहुत बड़ा अर्थ समाहित है। गण का अर्थ है समूह। ब्रह्मांड परमाणुओं और विभिन्न ऊर्जाओं का एक समूह है। यह ब्रह्मांड अराजकता में होता यदि संस्थाओं के इन विविध समूहों को नियंत्रित करने वाला कोई सर्वोच्च प्रभुत्व नहीं होता। परमाणुओं और ऊर्जाओं के इन सभी समूहों के स्वामी गणेश हैं। वह सर्वोच्च चेतना हैं जो सभी में व्याप्त हैं और इस ब्रह्मांड को नियंत्रण में लाती है। इसीलिए तो पूरा जग गणपति बप्पा मोरया (Ganpati Bappa Morya) के जयकारे से गुंजायमान रहता है।
भगवान गणेश का बड़ा पेट उदारता और पूर्ण स्वीकृति का प्रतिनिधित्व करता है। उनका उठा हुआ हाथ सुरक्षा को दर्शाता है। इसका अर्थ है, ‘डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूं’, और निचला हाथ उनके देने के साथ-साथ झुकने के निमंत्रण को दर्शाता है।
यह इस बात का भी प्रतीक है कि हम सब एक दिन पृथ्वी में विलीन हो जाएंगे। उनका एक ही दांत है जो एक-नुकीलेपन का प्रतीक है। इस विश्वास के बल पर ही हर दुख के समय में गणपति बप्पा मोरया का उद्घोष सारे कष्टों से विमुक्त कर देता है।
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हाथी के सिर वाले भगवान गणेश, चूहे जैसी छोटी चीज पर यात्रा करते हैं?
क्या यह असंगत नहीं है? यहां फिर से गहरी प्रतीकात्मकता झलकती है। चूहा बंधी हुई रस्सियों को काटता और कुतरता है। चूहा उस मंत्र की तरह है जो अज्ञान के आवरणों को काट सकता है, जिससे गणेश द्वारा प्रस्तुत परम ज्ञान की प्राप्ति होती है। दूसरी ओर प्रभु गणेश इस सवारी से यह सीख भी देते हैं कि सूक्ष्म ही सही पर यदि विश्वास कायम है तो वो सूक्ष्म रूप आपको भवसागर पार कराने कि क्षमता रखता है। ये विश्वास और अटूट आस्था गणपति बप्पा मोरया जैसे जयकारे को पूर्णतः प्रमाणित करता है।
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भक्त गण भगवान गणेश को गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ अपने घर ले आते हैं, तथा पूरी आस्था से मूर्ति की स्थापना करते हैं। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी घर पर आते है तो ढेर सारी सुख, समृद्धि और खुशियां लेकर आते हैं। हालाँकि, जब वो हमारे घर से प्रस्थान करते हैं तो हमारी सारी बाधाएँ तथा परेशानियों को साथ ले जाते हैं।
भगवान गणेश को बच्चे बहुत प्रिय हैं और उनके द्वारा उन्हें मित्र गणेश बुलाते हैं। ये उत्सव 10 दिनों के लिये अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है, लोगों का समूह गणेश जी की पूजा करने के लिए पांडाल तैयार करता है। पूजा की समाप्ति के समय गणेश विसर्जन में लोगों की भारी भीड़ विघ्नहर्ता को खुशी-खुशी विदा करती है। अंत में आप सभी लोग मिलकर गणपति बप्पा मोरया बोलिए।