TMC सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाने के लक्ष्य से अब मिशन 2024 लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर दी है। फिर चाहे पीएम मोदी के विरोध में सारे विरोधी फ्रंट को ही क्यों न अपनाना पड़े, ममता इस बार कोई कमी छोड़ना नहीं चाहती हैं। ममता बनर्जी ने वर्ष 1998 में तृणमूल कांग्रेस का गठन किया था। तब से अपने रसूख को अन्य विपक्षी पार्टियों के सामने प्रकट करने के उद्देश्य से ममता ने पश्चिम बंगाल की सत्ता 2011 में न केवल हासिल की बल्कि लगातार 3 चुनावों में जीत दर्ज़ की।
लेकिन जिस राह को अपनाते हुए सत्ता का सुख आज ममता भोग रही हैं वो राह हमेशा ही हिंसा और लहू से भरी रही है। अब जब 2021 में फिर से ममता सत्ता पर काबिज़ हुई हैं, उनकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं। नतीजतन अब ममता एक नया मोदी विरोधी फ्रंट खड़ा करने की जुगात में लग गयी हैं।
ज्ञात हो कि बीते जून माह में NCP प्रमुख शरद पवार ने अपने दिल्ली आवास पर कुछ ऐसा ही जमघट तैयार किया था जिसमें तमाम मोदी और भाजपा सरकार विरोधी चेहरे शामिल थे। अब जब शरद पवार इस कवायद में सुस्त नज़र आ रहे हैं तो ममता ने इस मोर्चे को बुलंद करते हुए राजधानी दिल्ली का रुख किया है।
शहीदी दिवस के बहाने अब पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी मिशन 2024 के तहत दिल्ली कूच कर चुकी हैं। इससे पूर्व बंगाल चुनाव में रणनीतिक तौर पर ममता के साथीदार रहे कथित राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) उनके लिए रेड कार्पेट बिछाने के मकसद से शरद पवार, सोनिया व राहुल गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। इन मुलाकातों का मूल मकसद 2024 के चुनावों में ममता को पीएम मोदी के समक्ष विपक्ष का चेहरा बनाते हुए चुनाव में उतरने की योजना है।
बंगाल चुनाव में ममता की पुनः वापसी ने विरोधी दलों का ममता के प्रति जो रवैया था उसे काफी हद तक बदल दिया है। यही एक बड़ा कारण है कि कई प्रमुख विपक्षी नेता ममता को 2024 में आधिकारिक विपक्षी पीएम पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं।
टीएमसी पिछले काफी दिनों से उन मुद्दों को साधने में लगी हुई है, जिनमें वो स्वयं को कमजोर आँकती है। जैसे कि, अपने संगठन का गठन, जिनमें गुजरात राज्य की संगठन संरचना पर बल देते हुए टीएमसी फिलहाल सुर्खियों में है। पीएम मोदी-अमित शाह के गढ़ में टीएमसी अपना वजूद कायम करने में जुट गयी है और ऐसा ही अन्य चुनावी राज्यों में भी है।
ममता को कांग्रेस इस फ्रंट का प्रमुख चेहरा बनाने से रोकने की हरसंभव कोशिश करेगी क्योंकि यह वो पार्टी है जो हमेशा “किंग” बनना पसंद करती आई है “किंगमकेर” नहीं। वहीं पीके इसे साधने के लिए ममता के ब्रह्मास्त्र साबित हो सकते हैं। ममता जिस गठजोड़ को स्थापित करना चाह रही हैं उसमें आ रहे रोडों को वो Emotional अत्याचार से निपटा रही हैं। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुआ, कब किसके चिट्ठे खुल जाएँ और किसे सरकारी दामाद बन जेल जाना पड़ जाए कोई नहीं कह सकता, जिसकी वजह से विपक्षियों में डर का माहौल रहता है। इसी के तहत ममता उन सभी विपक्षियों को ये लोलिपॉप देने में लगी हैं कि विपक्ष मजबूत नहीं किया तो फिर मोदी सरकार आ जाएगी और डर का माहौल कायम रहेगा।
ममता बनर्जी का एक ही कहना है “मोदी को हटाना है, सबको साथ आना है।” इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता को पीएम बनने का लालच है, तभी तो वो जिनके विरोध में खड़ी होकर टीएमसी बनाने चलीं थीं, आज उनसे ही “साथ आने” की उम्मीद कर रही हैं, जैसे कि वाम दल। अभी तो ममता का नाम पीएम पद के लिए विपक्षी दावेदार के तौर पर केवल उड़ ही रहा है, तब भी समाजवादी पार्टी उन्हें समर्थन देने में नहीं चूकी। सपा से राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने सीधे कह दिया कि यदि ममता 2024 में विपक्ष का चेहरा बनती हैं, तो सपा उनका समर्थन करेगी।
टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा है कि, “राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विरोध करने वाली कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ काम नहीं करना चाहिए और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी दलों के व्यापक गठबंधन का प्रयास करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि, “तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी, आम चुनावों में प्रमुख भाजपा विरोधी ताकत होंगी और भाजपा को सत्ता से बाहर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।”
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ममता अपने आगे कांग्रेस की बलि चढ़ाने की भरपूर कोशिश कर रही है, अगर कांग्रेस ममता बनर्जी के मन की मुराद पूरी करती है तो विपक्ष एक साथ आएगा, लेकिन फिलहाल यह मुश्किल जान पड़ता है। वहीं जिस रणनीति के तहत ममता बनर्जी दिल्ली की सत्ता के सुख के लिए कोई भी कारण बनाकर दौरे करने में लगी हुई हैं, देखते हैं नंदीग्राम से चुनाव हारने वाली ममता बनर्जी, पीएम की कुर्सी के अपने सपने को कैसे साकार करेंगी।