गुजरात में तीन विधानसभा चुनावों में जीत के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की छवि एक विकास पुरुष की बन गई थी, जिसके कारण उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने उन्हें अपना प्रधाननंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया, और पिछले 7 वर्षों से पीएम मोदी की छवि वैसी ही विकास पुरुष वाली है। इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के हृदय में भी शायद प्रधानमंत्री बनने की तीव्र इच्छा है, और बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के कारण कांग्रेस समेत गर्त में जा चुकीं विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि ममता पीएम मोदी को भी 2024 के लोकसभा चुनावों में हरा देंगी। इसमें कोई संशय नहीं है कि विपक्ष का नेता बनने की चाहत रखने वाली ममता कांग्रेस से आक्रोशित रहती हैं, लेकिन पीएम की कुर्सी तक पहुंचने के लिए वो कांग्रेस को भी अपने पाले में लाने के प्रयास कर रही हैं। हालांकि, उनके कदम कांग्रेस को भी बर्बाद ही करेंगे, लेकिन इन प्रयासों का फायदा बीजेपी के हिस्से आएगा, और बीजेपी की एक एतिहासिक प्रचंड जीत की राह सुनिश्चित होगी।
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद ममता बनर्जी की दिल्ली जाने की इच्छाएं बढ़ गई हैं। वो मुख्य उद्देश्य तो प्रधानमंत्री को हराने का बताती हैं, किन्तु उनका निशाना पीएम मोदी की कुर्सी पर ही है। कांग्रेस में राहुल गांधी की दयनीय राजनीतिक स्थिति के कारण अध्यक्षा सोनिया गांधी भी ममता के सहारे अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य को उज्जवल बनाने के प्रयास में हैं। ममता और सोनिया की मुलाकात इसका संकेत भी देती है, कि सोनिया ममता को विपक्ष की सबसे बड़ी नेता बनाने पर सहमत हो सकती हैं। वहीं मुलाकात के बाद ममता ने कहा है कि बीजेपी और पीएम मोदी को हराने के लिए विपक्ष को एक साथ आना होगा, क्योंकि वो अकेले बीजेपी को नहीं हरा सकतीं। उनका स्पष्ट ये संकेत था कि वो कांग्रेस से मदद मांग रही हैं, लेकिन कांग्रेस अपनी मजबूरियों के कारण पहले ही उन्हें समर्थन देने के संकेत दे चुकी है।
इसी तरह एनसीपी प्रमुख शरद पवार से लेकर डीएमके, आप, शिवसेना जैसी पार्टियों के नेताओं से मिलकर ममता बनर्जी अपने लिए सकारात्मक माहौल बनाने के प्रयास में हैं। इसके विपरीत सवाल ये उठता है कि क्या विपक्ष की सर्वोच्च नेता बनने के बावजूद वो पीएम मोदी को हरा पाएंगी? इसकी संभावनाएं कम ही हैं। इसके कई कारण हैं, जिसमें से बड़ी वजह ममता बनर्जी की छवि है। ममता ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम तुष्टीकरण की सारी पराकाष्ठाएं पार कर रखी हैं। इतना ही नहीं, बंगाल में आए दिन होती हिन्दुओं की हत्याओं की खबरों और अपराधियों को मिलते राजनीतिक संरक्षण के मामलों ने ममता की छवि एक हिन्दू विरोधी नेता की बना दी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास विकास के मॉडल के लिए गुजरात का आर्थिक विकास था, किन्तु ममता के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। बंगाल आर्थिक और सामाजित विकास में बुरी तरह पिछड़ चुका है।
इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ा फैक्टर ये भी था, कि बीजेपी के पास राष्ट्रीय स्तर पर जनाधार था, लेकिन ममता की पार्टी टीएमसी का बंगाल के बाहर कोई अस्तित्व ही नहीं है। ममता का फॉर्मूला है कि बीजेपी से सीधी लड़ाई वाले राज्यों में कांग्रेस को और क्षेत्रीय दल वाले राज्यों में कांग्रेस से इतर क्षेत्रीय दलों को मजबूत करा जाए। स्पष्ट तौर पर कहें तो ममता क्षेत्रीय दलों का मोर्चा बनाने की सोच रही हैं, जिसमें कांग्रेस का भी समर्थन हो। ममता के फॉर्मूले से बीजेपी को ही फायदा होगा, क्योंकि जिन राज्यों में कांग्रेस से उसकी सीधी लड़ाई है, वहां उसे आसानी होगी; एवं प्रमुख क्षेत्रीय दलों वाले राज्यों अर्थात् उत्तर प्रदेश और बिहार पहले ही बीजेपी के लिए राजनीतिक गढ़ बन चुके हैं।
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ऐसे में ममता के फॉर्मले से सबसे बड़ा जनाधार का नुकसान कांग्रेस को होगा और कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कुछ राज्यों की एक क्षेत्रीय पार्टी बन कर बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगी; इसकी वजह केवल ममता का राष्ट्रीय राजनीतिक फॉर्मूला ही होगा। दूसरी ओर ममता भले ही मुख्य विपक्षी नेता बन जाएं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकास पुरुष और कड़े फैसले लेने वाले नेता की छवि के सामने ममता का राजनीतिक कद बौना ही साबित होगा। ममता को सबसे बड़ा नुकसान उनकी हिन्दू विरोधी छवि का होगा, क्योंकि बीजेपी की पूरी राजनीति ही बहुसंख्यक समाज पर निर्भर करती है।
ऐसे में स्पष्ट कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी बंगाल में भले ही बीजेपी को हरा चुकी हों, लेकिन देश की राजनीति में यदि वो विपक्ष की सबसे बड़ी नेता बनेंगी, तो बीजेपी की पहली सफलता राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की बर्बादी से होगी। वहीं दूसरी एवं सबसे बड़ी सफलता ये होगी कि ममता के पीएम मोदी के सामने खड़े होने के कारण ममता का बौना राजनीतिक कद पीएम मोदी और बीजेपी को एतिहासिक जीत का मार्ग प्रशस्त करेगा।