असम के नए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा बीजेपी के उन फायर ब्रांड नेताओं में आते हैं, जो लगतार हिन्दुत्व के मुद्दे पर मुखरता से बयान देने के साथ ही उस पर अमल भी कर रहे हैं। पहले वित्त मंत्री के तौर पर और अब मुख्यमंत्री बनकर हिमंता ने हिन्दुओं को अपने पाले में लाने की तैयारी कर ली है। इसका सटीक उदाहरण असम विधानसभा में पेश किया गया गौ संरक्षण अधिनियम है, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में गौ संरक्षण को विस्तार देना और मवेशियों की तस्करी पर रोक लगाना है। दिलचस्प बात ये है कि गौ संरक्षण विधेयक के पास होने के बाद हिन्दू, सिख और जैन मंदिरों के पांच किलोमीटर के दायरे में बीफ की बिक्री नहीं हो सकेगी।
असम का मवेशी संरक्षण अधिनियम मवेशियों के संरक्षण को सुनिश्चित करने में विफल रहा। ऐसे में हिमंता राज्य में एक नया बिल लेकर आए हैं। इस बिल के प्रभावी होने पर बीफ खाने की प्रक्रियाओं समेत मवेशियों की तस्करी और उनको मारने के मामलों में कमी आने की संभावनाएं हैं। गौ संरक्षण विधेयक को प्रस्तावित हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं। गौ संरक्षण विधेयक के कानून में बदलने के साथ ही असम में मवेशियों के अवैध परिवहन और बांग्लदेश में होने वाली मवेशियों की तस्करी पर लगाम भी लगेगी। गौरतलब है कि मवेशियों की तस्करी असम में पहले ही एक अहम मुद्दा रहा है।
हिन्दू, सिख और जैन धर्म के लोग मुख्य तौर पर गैर- मांसाहारी धर्म वाले माने जाते हैं। गाय इन सभी के लिए पूजनीय मानी जाती हैं। ऐसे में अब इन सभी के मंदिरों के आस-पास के पांच किलोमीटर के दायरे में किसी भी तरह के बीफ की दुकान नहीं होगी। इसके साथ ही इस प्रस्ताविक विधेयक में कहा गया, “जिले के भीतर ऐसे मवेशियों की बिक्री और खरीद के उद्देश्य से रजिस्टर किए गए जानवरों को बाजार से मवेशियों के परिवहन के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।”
गौरतलब है कि सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने गौ संरक्षण वालों को लेकर हमेशा ही मोर्चा संभाला है। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि गाय हमारी माता है और उसकी रक्षा के लिए सरकार कानूनी कदम उठाएगी।
अपने बयान के अनुसार ही अब हिमंता ने गौ संरक्षण को लेकर विधेयक पेश कर दिया है। गौ संरक्षण विधेयक के अनुसार, सराकरी मान्यता प्राप्त बूचड़खानों को मवेशियों को काटने की अनुमति दी जाएगी। इतना ही नहीं, अगर अधिकारियों को वैध दस्तावेज नहीं मिलते हैं तो नया कानून राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के ट्रांसपोर्ट पर रोक लगाएगा। हालांकि, एक जिले के अंदर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, जो कि एक सहज नियम प्रतीत होता है।
सज़ा को लेकर भी हिमंता सरकार ने बेहद सख्त रुख जाहिर किया है। गौ संरक्षण विधेयक के मुताबिक कानून गैर-जमानती होगा और इसके तहत अपराधियों को कम से कम तीन साल की सजा और 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं, एक ही अपराध में यदि कोई दो बार दोषी पाया जाता है तो सजा भी कानून के अनुसार दोगुनी कर दी जाएगी। सजा के ये प्रावधान गौ संरक्षण के मुद्दे पर हिमंता सरकार की संवेदनशीलता को प्रतिबिंबित कर रहे हैं। भले ही विपक्ष इस बिल का पुरज़ोर विरोध कर रहा है, लेकिन ये माना जा रहा है कि ये बिल विधानसभा में पारित होकर कानूनी अस्तित्व में अवश्य आएगा।