साल 2024 में होने वाले आम चुनावों को लेकर विपक्षी दल अभी से ही सक्रिय दिखने लगे हैं। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी पांच दिनों के लिए दिल्ली दौरे पर आई हुई है। उनके दिल्ली आने के बाद से दिल्ली की सियासत में हलचल मची हुई है, वह अखबारों और टीवी चैनलों पर चर्चा का विषय बन गई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने यहां तक दावा कर दिया कि, ममता बनर्जी आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा होंगी। यह खबर कांग्रेसी खेमे को रास नहीं आई, क्योंकि उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि मीडिया राहुल गांधी को छोड़कर किसी और को विपक्ष का चेहरा बता सकती है।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि राहुल गांधी की अप्रूवल रेटिंग में भारी गिरावट आई है, यानी पहली के मुकाबले और ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। इसके पीछे का कारण है, ममता बनर्जी, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार है। राहुल गांधी भी भली-भांति जानते है कि, उन्हें पीएम मोदी से मुकाबला करने से पहले ममता बनर्जी से मुकाबला करना होगा।
ऐसे में राहुल, ममता का लाइमलाइट चुराने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे है। उदाहरण के तौर पर देखें तो राहुल गांधी ने हाल ही विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक बुलाई थी, जिसमें चर्चा का विषय था कि पेगासस मामले को दोनों सदन में उठाया जाए। आपको बता दें कि राहुल गांधी से पहले ममता बनर्जी इस मामले में सक्रिय नज़र आ रही है। राहुल गांधी अभी पेगासस मामले में चर्चा की बात कर रहे है और वहां ममता बनर्जी दो रिटायर्ड जज की जांच कमेटी गठित कर चुकी है।
दरअसल, राहुल गांधी अभी बीते कुछ दिनों से पेगासस मामले पर ट्विटर पर एक्टिव देखें थे, लेकिन जब उन्हें आभास हुआ कि, इस मुद्दे से जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता है तो उन्हें शशि थरूर ने भी यही सलाह इस मुद्दे को और न उछालने की सलाह दी। ऐसे में राहुल गांधी के सामने किसान आंदोलन का रेडी-मेड मुद्दा पहले से तैयार था। कांग्रेस सांसद यह मौका कैसे छोड़ सकते थे, और फिर उन्होंने ट्रैक्टर चलाकर पब्लिसिटी स्टंट किया। इतना कुछ करने के बाद भी राहुल गांधी हेडलाइन में जगह नहीं बना पाए।
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इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली आ चुकी थी और वह आते ही पेगासस मामले के माध्यम से राजनीतिक समीकरण बनाने लगी। इसके साथ ही राहुल गांधी ने भी किसान आंदोलन को छोड़ पेगासस मामले को दुबारा उठा लिया।
इससे साफ होता है कि, राहुल गांधी एक कन्फ्यूज्ड नेता है, जिनके पास राजनीतिक समझ का भारी अभाव है। वहीं ममता बनर्जी दिल्ली में विपक्षी पार्टियों के साथ, कांग्रेस को दरकिनार कर गठबंधन बनाने की फिराक में है। ममता बनर्जी का उल्लेख करते ही बंगाल चुनाव के बाद हुई अमानवीय हिंसा यादें भी ताज़ा हो जाती है।