यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को बढ़ती जनसंख्या को मद्देनज़र रखते हुए अपने राज्य के लिए नई जनसंख्या नीति 2021-30 का ऐलान किया है। भाजपा सरकार द्वारा और उसमें भी योगी सरकार द्वारा सर्वप्रथम इस नीति को अमल में लाने की पहल और सुगबुगाहट से कोई भी आश्चर्यचकित नहीं है, क्योंकि ये उन मूल नीतियों में शामिल है जो भाजपा हमेशा से अपने घोषणापत्र में रखती आई है।
हतप्रभ होने की बात तब आई जब महाराष्ट्र से एक मुखर आवाज़ वहाँ के पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) सुप्रीमो शरद पवार को जनसंख्या नीति से जुड़ा बयान आया। पवार का यह बयान ऐसे दिन आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का मसौदा जारी किया। राकांपा प्रमुख ने कहा कि- “देश की अर्थव्यवस्था, स्वस्थ जीवन स्तर और संतुलित वातावरण को बनाए रखने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।”
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इसके क्या सियासी मायने हो सकते हैं और किन अटकलों पर मुहर लगती है इसकी गुत्थम-गुत्था शुरू हो चुकी है और महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में पहले ही ओह-पोह की स्थिति कम नहीं थी के ये नई उथापुथल मच गई। ये तो सबको पता है की महाविकास अघाड़ी के तहत राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा मिलकर सरकार चला रहे हैं उसमें कई दिनों से वाद-विवाद भी चल रहा है।
अब ऐसे में शरद पवार के बयान को महाविकास अघाड़ी के खिलाफ देखा जा रहा है, क्योंकि उनकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस इस जनसंख्या नीति का विरोध कर रही है और वहीं दूसरी ओर शरद पवार इसका सपोर्ट कर रहे हैं। खैर ये पहली बार नहीं है कि शरद पवार ने BJP को सपोर्ट किया हो अभी कुछ दिनों पहले भी उनका कृषि बिल के समर्थन में बयान आया था जिसके बाद उनकी पार्टी NCP को शरद पवार के फैलाये रायते को समटना पड़ा।
इसी कारणवश अब अटकलें ये लगाई जा रही हैं कि भाजपा और राकांपा एकजुट होकर महाविकास अघाड़ी को महाविनाश अघाड़ी में परिवर्तित कर शिवसेना और कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य को गर्त में न भेज सकते हैं। उसी के साथ, दूसरी ओर माना तो यह जा रहा है कि ये मात्र एक नीति विशेष का समर्थन करने के उद्धेश्य से दिया गया बयान है और अन्य पार्टियां भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लागू करने की पक्षधर हैं।