तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने अपनी प्रवृत्ति के अनुसार ही हिन्दुओं के खिलाफ एजेंडा चलाना शुरु कर दिया है। एक तरफ जहां हिन्दुओं के धार्मिक हितों को ताक पर रखा जा रहा है, तो दूसरी ओर ईसाई धर्म के लोगों के स्थलों के कब्जों को नजरअंदाज किया जा रहा है। हालिया मामले की बात करें तो तमिलनाडु के कोयंबटूर में कुमारसामी नगर के मुथन्ननकुलम झील के पास 7 हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों को नगर निगम द्वारा अचानक ही तोड़ दिया गया। इसको लेकर लोगों ने विरोध दर्ज कराया। विकास कार्यों के नाम पर मंदिरों को ध्वस्त करने वाला नगर निगम 1,500 साल पुराने एक मंदिर पर कब्जा करने वाले ईसाईयों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है।
स्टालिन सरकार को लेकर हमेशा ही कहा गया है कि ये हिन्दुओं के प्रति अपनी नफरत जाहिर करते हुए दबे पांव ईसाईयों और अन्य अल्पसंख्यक धर्मों के लोगों का तुष्टीकरण करने में लगी रहती है। कुछ ऐसा ही इस बार भी हुआ है; कोयंबटूर के नगर निगम ने कुमारसामी नगर के मुथन्ननकुलम झील के पास बने प्राचीन हिन्दू मंदिरों पर बुलडोजर चलवा दिया।
इसके पीछे विकास कार्यों और जमीन के कब्जे का हवाला दिया गया है; जोकि जनता की समझ से परे है। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अब तक करीब 2,400 घरों को ध्वस्त कर दिया है।
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कुमारसामी नगर निगम का कहना है कि झील के आस-पास करीब 31.25 करोड़ रुपए के खर्च से विकास परियोजनाएं प्रस्तावित हैं और ये मंदिर अवैध निर्माण के तहत बनाए गए हैं, इसलिए इन्हें तोड़ दिया है। खबरों के मुताबिक कार्यकारी अभियंता एस. रविचंद्रन और सहायक नगर योजना अधिकारी के. सत्य की देखरेख में बुलडोजर और टैंकों की मदद से अम्मान कोविल, बन्नारी अम्मन कोविल, अंगला परमेश्वरी, करुपरायण कोविल, मुनीस्वरन कोविल और कुछ अन्य मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। गौरतलब है कि विकास परियोजनाओं के नाम पर पहले ही 2,400 परिवारों को बेघर करते हुए उनके मकानों पर बुलडोजर चलवाए जा चुके हैं।
Coimbatore Authorities have Demolished 7 Temples in Tank bund, Muthannankulam after Relocating aprox 300 Families from 14 Acre area by marking it as Enchroachedpic.twitter.com/Abs9p5xkHZ
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) July 14, 2021
कुमारसामी नगर निगम की इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था, जोकि विरोध करने वाले करीब 150 लोगों पर जबरन कार्रवाई कर रहा था। इस मामले में अधिकारियों ने कहा, “झील का कुल क्षेत्रफल 90 एकड़ है, जिसमें से 15 एकड़ पर कब्जा कर लिया गया था। हमने सभी अतिक्रमण हटा दिए हैं और जमीन बरामद कर ली है। मंगलवार को हमने झील पर स्थित सात मंदिरों को ध्वस्त कर दिया है, जबकि उनकी देखभाल का आश्वासन देने के बाद जनता को छह मूर्तियां दी गईं, निगम कार्यालय में एक और मूर्ति रखी है।”
इस मामले का हिन्दुओं ने काफी विरोध किया है। हिन्दूवादी संगठन के नेता केसी धनपाल ने कहा, “जब हम निगम से मूर्तियों की पूजा के लिए एक वैकल्पिक स्थल उपलब्ध कराने की मांग कर रहे थे, उसी दौरान सुबह छह बजे कुमारसामी नगर निगम ने मंदिरों को गिराना शुरू कर दिया।” वहीं विश्व हिन्दू परिषद ने कुमारसामी नगर निगम की इस कार्रवाई के विरोध के लिए गांधी मैदान में जुटने की बात कही है। इस मुद्दे पर डीएमके सरकार ने लोगों के विरोध करने के अधिकार तक छीन लिए हैं। वीएचपी का कहना है कि उन्हें पूजा करने के लिए कोई भी वैकल्पिक स्थान भी नहीं दिया गया है।
गौरतलब है कि हिन्दू देवी-देवताओं की जमीन को कब्जाने में और उनके मंदिरों को गिराने में डीएमके सरकार जितनी दिलचस्पी ले रही है, ईसाईयों के मामले में उतनी ही अधिक उदासीन है।
चेन्नई से 95 किलोमीटर दूर चेंगलपट्टू के अचरपक्कम इलाके में चर्च माफिया ने वज्रगिरी पर्वत पर बने 1,500 साल पुराने शिव मंदिर पर कब्जा कर रखा है, लेकिन इस मुद्दे पर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार चुप्पी साधे बैठी है। ऐसे में हिन्दुओं ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर कर रखी है।
हिन्दुओं के मंदिरों को गिराने के लिए कुमारसामी नगर निगम के अधिकारी इतने आतुर थे, कि वो सुबह 6 बजे ही बुलडोजरों के साथ पहुंच गए, लेकिन जहां ईसाईयों ने मंदिर में पर कब्जा कर रखा है वहां डीएमके सरकार उदासीनता की पराकाष्ठा पार कर रही है। ये दिखाता है कि स्टालिन हिन्दुओं के प्रति अपनी नफरत पुनः जाहिर कर रहे हैं, जबकि ईसाईयों के प्रति उनकी तुष्टीकरण की नीति जारी है।