2014 के बाद से कांग्रेस पूरी तरह से हाशिए पर जाती दिखी। कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे पर भी इसका प्रभाव पड़ा। इसके बाद से कई विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई। इन हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन की बात बार-बार उठती रही। इसके साथ ही राज्य ईकाई में असंतोष और अंतर्कलह भी बढ़ती गई। ताज़ा मामला तेलंगाना कांग्रेस इकाई में नवनियुक्त अध्यक्ष पर हो रहे विवाद का है।
साल 2017 मेंरेवंत रेड्डी टीडीपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे। गत 7 जुलाई को रेवंत रेड्डी को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। इसके ख़िलाफ़ कांग्रेस के कई नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस नेताओं ने इसको लेकर रेवंत रेड्डी पर कई बड़े आरोप भी लगा दिए।
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2018 विधानसभा चुनावों में तेलंगाना में कांग्रेस की बुरी हार हुई। इसके बाद से कांग्रेस में तीन साल तक मंथन चला। इस लंबे मंथन के बाद 26 जून को कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एन. उत्तम कुमार को हटा दिया और रेवंत रेड्डी को कांग्रेस कमेटी की कमान सौंप दी।
बस यही एक निर्णय पार्टी की अंदरूनी कलह को बाहर लाने के लिए काफी था। सबसे पहला आरोप ये लगा कि रेवंत रेड्डी बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी से अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ करने वाले, लगभग डेढ़ दशक तेलुगु देशम पार्टी में रहते हुए दो बार विधायक बने व्यक्ति को कांग्रेस में आने के मात्र 4 साल बाद कैसे प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया ? कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि ये वरिष्ठों की अनदेखी और पार्टी के प्रति वर्षों से समर्पित नेताओं का अपमान है।
इसके बाद बवाल और बढ़ गया। रेवंत रेड्डी पर आरोप लगा कि 50 करोड़ रुपये देकर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पाई है। रेवंत रेड्डी पर ये आरोप कांग्रेस की राज्य इकाई के सचिव कौशिक रेड्डी ने लगाए हैं। कौशिक रेड्डी ने कहा, “रेवंत रेड्डी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के तेलंगाना प्रभारी मनिकम टैगोर को टीपीसीसी अध्यक्ष का पद पाने के लिए 50 करोड़ रुपये दिए हैं।”
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इसके बाद कौशिक रेड्डी ने अपना इस्तीफा कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को भेज दिया। इस्तीफे के बाद भी कांग्रेस ने कौशिक पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित करने का ऐलान किया।
आरोप का जवाब देते हुए मनिकम टैगोर ने कहा, “जो केसीआर के प्रति वफादार हैं वे हमेशा मुझ पर झूठे आरोप लगाते हैं क्योंकि मेरा प्राथमिक कर्तव्य टीआरएस को हराना है। मेरे वकील मानहानि के लिए कौशिक रेड्डी को नोटिस जारी करेंगे और शिकायत दर्ज की जाएगी।”
पैसे देकर अपनी तरफ समीकरण घुमाने के आरोप रेवंत रेड्डी पर पहली बार नहीं लगे हैं। टीडीपी में रहने के दौरान भी 2015 तेलंगाना विधान परिषद चुनाव में टीडीपी प्रत्याशी के लिए वोट खरीदने के आरोप लगने के बाद वो न्यायिक हिरासत में भी भेजे जा चुके हैं। एक तरफ कांग्रेस पूरी तरह से धरातल पर आ गई है। वहीं, दूसरी तरफ पार्टी की राज्य ईकाई में बवाल मचा है।