CCP फंडिंग और नक्सल लिंक- वामपंथी पत्रकारों द्वारा फैलाये गए Pegasus scandal का सच ये रहा

पेगासस स्पाईवेयर

भारत में पेगासस स्पाईवेयर की चर्चा सुर्खियों में छाई हुई है। खबर यह है कि पेगासस स्पाईवेयर के माध्यम से भारत के नेताओं दुनिया भर के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों पर नजर रखी जा रही थी। उनके निजी फोन कॉल टैप किए जा रहें है, उनके व्हाट्सऐप पर निगरानी रखी जा रही है। अर्थात, मोबाइल फोन के जरिए जासूसी की जा रही है।

बता दें कि पेगासस एक स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है जिससे किसी की जासूसी की जा सकती है। इसे इजरायल की एक कंपनी NSO Group ने तैयार किया है और ये कंपनी साइबर वेपन्स बनाने के लिए जानी जाती है। वैश्विक स्तर पर देखें तो द वाशिंगटन पोस्ट और द गार्डियन ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए की जा रही जासूसी का खुलासा किया है, लेकिन भारत में डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म The Wire ने इसके बारे में अपनी रिपोर्ट छापी।

The Wire ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार को पेगासस स्पाईवेयर द्वारा जासूसी करने का ज़िम्मेदार ठहराया है। The Wire जो कि, फेक न्यूज फैलाने के कारण दिल्ली कोर्ट के चक्कर काट रहा है, उसने दावा किया कि मोदी सरकार के खिलाफ़ लिखने और बोलने वाले वाले पत्रकारों और विपक्ष के नेताओं समेत 40 लोगों की जासूसी की जा रही है।

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हालांकि, The Wire के इस बेबुनियाद और मनगढ़ंत कहानी को ध्वस्त होते देर नहीं लगी। भारत सरकार ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि, भारत एक मजबूत लोकतंत्र हैं, जो अपने नागरिकों की निजता की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी कारण से हमने पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल और आईटी नियमों को पेश किया था, ताकि निजी डाटा की सुरक्षा की जा सके।

भारत सरकार ने The Wire द्वारा छापी गई तथ्यहीन रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा, ‘भारत जैसे लोकतंत्र में प्राइवेसी एक मौलिक अधिकार है। ऐसे में जो रिपोर्ट सामने आई है वह पूरी तरह से गलत है, रिपोर्ट को अपने अनुसार तैयार किया गया जिसमें जांचकर्ता-ज्यूरी सब वह खुद ही हैं। सरकार ने संसद में भी इस बारे में सफाई दी है कि ऐसी किसी भी तरह की गतिविधि में भारत सरकार संलिप्त नहीं है।’

सरकार ने ये भी कहा कि इससे पहले भी इस तरह का दावा किया गया था, जिसमें वाट्सएप के ज़रिए पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल की बात कही गई थी। वो रिपोर्ट भी तथ्यों पर आधारित नहीं थी और सभी पार्टियों ने दावों को खारिज किया था। वाट्सएप ने तो सुप्रीम कोर्ट में भी इन आरोपों से इनकार कर दिया था।

सरकार के दावों से हटकर The Wire जैसी संस्था की बातों को मानना बेवकूफी होगी। The Wire के उपर दर्जनों फर्जी खबर फैलाने अथवा समाज में अराजकता फैलाने के मामले दर्ज हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि विदेशों में यह खबर The Washington Post, The Guardian जैसे नामचीन अखबारों में प्रकाशित हुई है। वहीं भारत में यह खबर एसी संस्था में छापी गई है जो फेक न्यूज के लिए जानी जाती है।

अगर हम बात करें पनामा लीक्स की तो, वह खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस जैसा योग्य अखबार ने किया था। वैसे ही अगर हम राडिया टेप मामले के बारे में बात करें तो इसका जिक्र सबसे पहले डेक्कन हेराल्ड और द इंडियन एक्सप्रेस में हुआ था। ऐसे में इतने बड़े खुलासे के लिए The Wire को चुनना गले से नहीं उतरता। स्पष्ट है केवल सरकार को घेरने के लिए नैरेटिव सेट किया जा रहा था।

The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार फॉरबिडन स्टोरीज, एक पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संगठन, और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास इस लीक की सूची पहले से ही पहुंची हुई थी और उसके बाद पेगासस स्पाईवेयर प्रोजेक्ट में शामिल मीडिया भागीदारों के साथ इस लिस्ट को साझा किया गया है। अगर The Guardian की रिपोर्ट को आधार मानें तो फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल  ने लिस्ट बाकी मीडिया संस्थानों में साझा किया है। ऐसे में द इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे और हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकरों के नाम भी The Wire द्वारा छापी गई रिपोर्ट में है। तो सवाल यह उठता है कि फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल  ने यह लिस्ट सीधे द इंडियन एक्सप्रेस एवं अन्य अखबारों को क्यों नहीं  सौंपा?

इस बीच दिलचस्प बात यह है कि, NSO कंपनी जो पेगासस स्पाईवेयर बनाती है, उसने ऐसी इसी रिपोर्ट का पुरजोर विरोध किया है। इतना ही नहीं कंपनी ने मीडिया पोर्टल्स को फेक न्यूज फैलाने के लिए मानहानि का दावा ठोकने की चेतवानी दी है।

इस खबर की टाइमिंग पर भी सवाल उठते हैं। हाल ही में The Newsclick नामक एक डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म पर भारतीय जांच एजेंसी ED ने शिकंजा कसा है। ED ने दावा किया है कि Newsclick चीन से निवेश प्राप्त करता था और चीन के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता था। इस मामले में गौतम नौलखा, अभिसार शर्मा का नाम भी सामने आया था। अब जब ईडी ने न्यूज़क्लिक को भारत को अस्थिर करने के लिए विदेशी धन प्राप्त करने के लिए बेनकाब किया है तो दरबारी पत्रकार और वामपंथी मीडिया पेगासस स्पाईवेयर मामले में सरकार को घेर कर अपनी गलतियों पर परदा डालने की कोशिश कर रहे हैं।।

गौरतलब है कि, The Wire भी The Newsclick के तर्ज पर काम करता है और भारत सरकार के खिलाफ़ प्रोपेगेंडा का प्रसार करता है। इसके साथ ही अपना धन crowdfunding के जरिए बंटोरता है। इन सारी गतिविधियों का निष्पक्ष विश्लेषण करें तो यह निष्कर्ष सामने आता है कि, यकीनन The Wire को Newclick की भांति एक्सपोज होने डर सता रहा है, जिसको काउंटर करने के लिए The Wire ने पहले से ही मनगढ़न कहानी तैयार कर लिया है।

The Wire द्वारा प्रकाशित पेगासस स्पाईवेयर रिपोर्ट भारत सरकार के खिलाफ साजिश नजर आती है, ताकि मोदी विरोध में अपना एजेंडा साध सकें। इस बात का एक और पुख्ता प्रमाण है। दरअसल, The Wire ने  जनता को भ्रमित करने के लक्ष्य से अपनी रिपोर्ट में केवल उन्हीं देशों का नाम लिखा है जहां लोकतंत्र नहीं है जैसे कि सऊदी अरब, मोरोको, UAE और Azerbaijan. The Wire अपनी रिपोर्ट में भारत को इन देशों के साथ जोड़कर यह संदेश देना चाहता है कि मोदी सरकार में भारत के लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है जबकि हकीकत यह है कि रिपोर्ट में यूरोपियन देशों का सीधे तौर पर जिक्र है।

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भारत सरकार डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म के नए IT नियमों लेकर आई है, जिसका अनुपालन करने के लिए The Wire जैसी संस्थाएं आनाकानी कर रहीं है। The Wire की इस रिपोर्ट ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि फेक न्यूज पेडलर जैसी डिजिटल मीडिया संस्थानों पर लगाम कसना क्यों जरूरी है।

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