महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में काफी समय से उथल-पुथल मची है। अब यह सियासी घमासान बयानबाजी से बढ़कर महाराष्ट्र विधानसभा तक पहुंच चुका है। सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। हंगामे के बाद स्पीकर ने बीजेपी के 12 विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया, वहीं दूसरी ओर स्पीकर ने हंगामे के मुख्य कर्ताधर्ता शिवसेना के विधायकों को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद से महाराष्ट्र विधानसभा की स्पीकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
विधानसभा में कार्यवाहक स्पीकर का पद संभाल रहें भास्कर जाधव ने बीजेपी विधायकों पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि जब सदन स्थगित हो चुका था तब विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और वरिष्ठ बीजेपी नेता चंद्रकात पाटिल अपने बाकी विधायकों के साथ मेरे कार्यालय में घुसे और मेरे साथ बदतमीजी की। इसके बाद उन्हें विधान सभा से निलंबित कर दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपने साथ हुए इस व्यवहार को लेकर तीखे तेवर दिखाए हैं। बीजेपी विधायक आशीष सेलार ने तो शिवसेना की तुलना तालिबान से करते हुए कहा कि ‘सरकार ने तो तालिबान को भी शर्मिंदा कर दिया है। स्पीकर के चैंबर में शिवसेना के विधायकों द्वारा गाली-गलौज किया किया। इसके बाद भी हमने स्पीकर की मर्यादा का ख्याल करते हुए माफी मांग ली। उन्होंने कहा कि शिवसेना के लोगों में मेरा सामना करने की हिम्मत नहीं है। सेलार ने आगे कहा, ‘मुझे नो बॉल पर आउट किया गया है।‘
बीजेपी विधायकों के निलंबन के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सफाई देते हुए कहा, “स्पीकर के चैंबर में शिवसेना विधायकों ने हंगामा खड़ा किया था। उन्होने स्पीकर के साथ बदतमीजी की, लेकिन सजा हमें मिल रही है। मैं अपने विधायकों को अध्यक्ष के कक्ष से बाहर ले आया था।“ फडणवीस ने आगे बताया कि बेशक स्पीकर के चैंबर में माहौल में गर्मी आ गई थी। उसके बाद बीजेपी विधायकों ने स्पीकर से अपने बर्ताव के लिए माफी भी मांगी। माफी मांगने के बाद मामला शांत हो गया था।
फडणवीस ने आगे कहा, “स्पीकर द्वारा लगाया गया आरोप झूठा है और विपक्षी सदस्यों की संख्या को कम करने का प्रयास है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि हमने स्थानीय निकायों में ओबीसी कोटे पर सरकार के झूठ को उजागर किया है।“ पूर्व मुख्यमंत्री ने स्पीकर पर आरोप लगया कि उनका पक्ष ‘एकतरफा’ था।
इससे यह स्पष्ट होता है कि कार्यवाहक स्पीकर ने जानबूझकर बीजेपी के नेताओं के ऊपर एक्शन लिया है। दरअसल, यह हंगामा ओबीसी आरक्षण कोटा को लेकर चल रही बहस के दौरान हुआ था। बीजेपी का आरोप है कि महाविकास अघाड़ी सरकार ने अपने ढुलमुल रवैये के कारण ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया है। यह मसला बीजेपी के पक्ष में जाते देख शिवसेना विधायक तिलमिला गए और उन्होने विधानसभा में हंगामा खड़ा कर दिया। नतीजतन, विधानसभा में विवाद बढ़ गया और इसका भुगतान बीजेपी विधायकों को करना पड़ा है।
और पढ़ें- जब तक फडणवीस महाराष्ट्र में हैं, तब तक भाजपा-शिवसेना का गठबंधन असंभव है
इस घटनाक्रम को भारतीय जनता पार्टी ने अपने खिलाफ साजिश करार दिया है। महाराष्ट्र 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी। ऐसे में माना जा रहा है कि विधानसभा में बीजेपी के नंबर को कम करने के मकसद से स्पीकर ने शिवसेना के निर्देश से निलंबन का फैसला लिया है। इससे एक बात साफ है कि शिवसेना और स्पीकर ने अपनी शक्ति का गलत उपयोग किया है।