पेगासस मामले में योगी और फडणवीस ने तो कांग्रेस को लताड़ा था, शिवराज ने तो बखिया ही उधेड़ दी है

मामा जी ने कहके ले ली!

कांग्रेस जासूसी

कोरोना काल में कांग्रेस पार्टी भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ ही कर रही है। ऐसे में जब कोई मुद्दा नहीं है, तो पार्टी ने कांग्रेसी विचारधारा को विस्तार देने वाले मीडिया पोर्टल THE WIRE की खबर को बिना सत्यापित किए ही इजरायली पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए नेताओं की जासूसी का मुद्दा उठा दिया। जासूसी को लेकर कांग्रेसी मोदी सरकार के खिलाफ इतने आक्रोशित हैं कि मानों उनके कार्यकाल के दौरान कुछ हुआ ही नहीं। कांग्रेस के दावों की हवा निकालने का काम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) , मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने किया है। इन तीनों में भी सबसे आक्रामक रुख शिवराज सिंह चौहान का रहा है। शिवराज ने कांग्रेसी इतिहास की पोल पट्टी खोलकर रख दी है। नेहरू, इंदिरा से लेकर मनमोहन सिंह तक के कार्यकाल के दौरान हुए जासूसी के कांडों का काला चिट्ठा खोलकर उन्होंने कांग्रेस के सामने ऐसा सवाल खड़ा किया है, जिसका जवाब दे पाना कांग्रेस के लिए असंभव नजर आ रहा है।

पेगासस (Pegasus) के मुद्दे पर बीजेपी के प्रत्येक नेता कांग्रेस को आड़े हाथों ले रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर देवेन्द्र फडणवीस तक ने इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा बताया है। कांग्रेस के दावों की धज्जियां उड़ाते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक को इस मामले में घसीट लिया। शिवराज ने याद दिलाया कैसे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) से लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के. कामराज जैसे वरिष्ठ नेताओं की जासूसी की जाती थीं। शिवराज सिंह चौहान ने 90 के दशक का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंम्हा राव और सीताराम केसरी की जासूसी कर उन्हें निपटाने का काम सोनिया गांधी ने किया था।

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शिवराज सिंह चौहान ने ये तक आरोप लगा दिए कि दस साल के यूपीए कार्यकाल में कांग्रेस दफ्तर से लेकर दस जनपथ और पूरी लुटियंस दिल्ली में रहने वाले नेताओं की जमकर जासूसी की जाती थी। उन नेताओं के आस-पास हर पल जासूसों का एक घेरा रहता था। शिवराज ने कांग्रेस सरकार में जासूसी कांड गिनाते हुए सीताराम येचुरी, जयललिता, सपा नेता अमर सिंह, सीवी नायडू की फोन टैपिंग का मुद्दा भी उठाया। शिवराज ने यूपीए कार्यकाल के दौरान फोन टैपिंग के एक-एक मुद्दे को तारीख और नामों के साथ उजागर कर कांग्रेस को तगड़ी लताड़ लगाई। कांग्रेस द्वारा फैलाए जा रहे जासूसी कांड को पूरी तरह से विदेशी साजिश का हिस्सा बताया है।

आम तौर पर शिवराज सिंह चौहान को एक शांत स्वभाव के नेता माने जाते हैं, लेकिन जासूसी कांड को लेकर कांग्रेस ने जो एजेंडा चलाया है, उसके खिलाफ शिवराज का बयान अब तक बीजेपी के किसी नेता द्वारा दिए गए बयान से कहीं ज्यादा आक्रामक और मुखर हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘विपक्ष भारत की छवि को खराब करने का काम कर रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जब भी देश में कुछ महत्वपूर्ण होना होता है, विपक्ष भारत के खिलाफ माहौल बनाता है और साजिश का हिस्सा बनता है। राहुल गांधी कहते हैं कि आलू से सोना बनता है। ऐसे नेता की फोन टैपिंग करवा BJP क्या करेगी?’

शिवराज के इस वार की कांग्रेस ने कल्पना भी नहीं की होगी जब उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस का इतिहास अपने ही नेताओं की जासूसी कराने का रहा है। तीन मूर्ति भवन से लेकर सफदरजंग रोड और 10 जनपथ तक रहने वाले नेता जासूसों से घिरे रहे हैं। इन्होंने जासूसी करके ना केवल देश, बल्कि खुद अपनी ही पार्टी को कमजोर किया है। लाल बहादुर शास्त्री की जासूसी इंदिरा गांधी ने कराई। इसके बाद सोनिया गांधी ने पीवी नरसिम्हा राव सीताराम केसरी सीताराम की जासूसी कराई। अब राहुल और प्रियंका में भी जासूसी का DNA है। दोनों अब कांग्रेस में G 23 के नेताओं को निपटाने में लगे हुए हैं। मध्यप्रदेश में भी कमलनाथ को निपटाने का काम दिग्विजय सिंह ने किया।’

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शिवराज ने तो कांग्रेस की फर्जी जासूसी मुद्दे पर तो बखिया ही उधेड़ दी है। वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को कांग्रेस की अतंर्राष्ट्रीय साजिश से जोड़ दिया है। योगी ने साफ कहा किकांग्रेस पेगासस का मुद्दा उछालकर संसद की कार्यवाही को बाधित कर रही है। हमेशा ही कांग्रेस ने लोगों को असल मुद्दे से भटकाकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश की है, और अब यही वो जासूसी कांड में दोहरा रही है।’ योगी ने पीएम मोदी के संबोधन के दौरान संसद में विपक्षियों के रवैये को लेकर कहा कि जब पीएम नए मंत्रियों का परिचय दे रहे थे तो कांग्रेसियों ने उनका भी मान नहीं रखा। योगी ने याद दिलाया कि कैसे दिल्ली दंगो से लेकर किसान आंदोलन के दौरान कांग्रेस ने हिंसा भड़काने की कोशिश की थी।

पेगासस के जरिए कांग्रेस लोकतांत्रिक मुद्दों पर प्रहार कर रही है, ऐसे में योगी ने आरोप लगाया है कि असल में कांग्रेस जासूसी के मुद्दे को केवल देश की छवि को बर्बाद करने के लिए हवा दे रही है।  इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस ने भी कांग्रेस के फर्जी जासूसी एजेंडे पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में पेगासस और एनएसओ के जरिए जासूसी के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस पर ही हमला बोल दिया।

उन्होंने कहा कि जब तक वो मुख्यमंत्री थे तब तक जासूसी का कोई भी कांड नहीं हुआ, और जो भी टैपिंग हुई, वो वैध प्रक्रिया के तहत ही की गई। उन्होंने कहा कि 45 देशों में जासूसी की संभावना जताई गई है, जबकि वैश्विक चर्चा केवल भारत की ही हो रही है। फडणवीस ने कहा कि संसद की कार्यवाही से एक दिन पहले खबर का प्रकाशन और उस पर सदन में हंगामा ये संकेत देता है कि कांग्रेस ने ये पूरा प्रकरण एक साजिश के तहत रचा है।

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फोन टैपिंग को लेकर उन्होंने कहा कि टेलीग्राफ के नियमों के तहत फोन टैपिंग करने और निजी बातों को सुनने के कुछ विशेष नियम हैं। सरकार उन नियमों के पालन के जरिए ही काम करती है, इसलिए ये सभी आरोप बेबुनियाद है। NSO और पेगासस के जरिए जासूसी के मुद्दे पर कांग्रेस ने जिस तरह से भ्रम फैलाने की कोशिश की है, उसकी काट के लिए योगी आदित्यनाथ ने तो आक्रामकता दिखाई ही है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण शिवराज सिंह चौहान का वक्तव्य है।

नेहरू काल से लेकर यूपीए तक में अनेकों जासूसी कांड हुए हैं। मनमोहन काल के दौरान तो 9,000 लोगों तक की जासूसी होने की बातें सामने आईं थीं। ऐसे में जब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे तो उन्होंने राष्ट्रहित के लिए फोन टैपिंग को सही ठहराया था। उनका कहना था कि सरकार के दायरे से कोई भी वार्तालाप बाहर नहीं होनी चाहिए। इसके विपरीत अब कांग्रेस जिस पेगासस को मुद्दा बनाकर जासूसी और लोकतंत्र की हत्या की बात कर रही है, असल में उसी कांग्रेस के हाथ लोकतांत्रिक हत्याओं के खून से रंगे हुए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने नेहरू से लेकर यूपीए के शासन के दौरान हुई जासूसी और वरिष्ठ नेताओं को बर्बाद करने का पूरा कच्चा चिट्ठा खोल दिया है, जिसका जवाब कांग्रेस का शायद ही कोई नेता दे सकेगा।

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