वाट्सऐप के वकील ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं को नई प्राइवेसी पॉलिसी के लिए साइन-अप करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी पर रोक लगा दी गई है, और कंपनी अपने उपयोगकर्ताओं की सेवाओं पर रोक नहीं लगाएगी।
इसका मतलब ये हुआ कि जिन लोगों ने अभी तक नई प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं किया है, उन्हें डी-प्लेटफ़ॉर्म नहीं किया जाएगा।
कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी का यह फैसला कम से कम तब तक रहेगा जब तक कि नया डेटा सुरक्षा बिल कानून नहीं बन जाता है।
वाट्सऐप ने इस मसले पर 180 डिग्री पर अपना रूख बदला है। इससे पहले वाट्सऐप ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इसके बिल्कुल विपरीत दलील दी थी। जिसमें उसने कहा था कि व्यक्तिगत खातों के उपयोगकर्ताओं को या तो नई प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार करना होगा या उनकी सेवाओं पर रोक लगा दी जाएगी और अंततः उन्हें वाट्सऐप छोड़ने के लिए कहा जाएगा।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार और वाट्सऐप के बीच जनवरी के महीने से तनातनी चल रही है। केंद्र सरकार ने जनवरी में वाट्सऐप से जवाबदेही मांगते हुए पत्र लिखा था कि वाट्सऐप द्वारा लाई गई नई यूजर पॉलिसी भारतीय उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का हनन करती है। भारतीय उपयोगकर्ताओं को अपनी प्राइवेसी और अपना डेटा प्रिय है।
केंद्र सरकार ने फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी वाट्सऐप से जवाबदेही तय करने हेतु 14 सवालों वाला पत्र लिखा था, लेकिन वाट्सऐप ने दिल्ली उच्च न्यायलाय में अपना पक्ष रखते हुए साफ किया था कि वो अपने नई प्राइवेसी पॉलिसी के साथ आगे बढ़ेगा।
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तो आखिर क्या बदल गया? जिससे वाट्सऐप को u- turn लेना पड़ा! दरअसल, हाल ही में मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में विस्तार किया। इस दौरान मोदी सरकार ने कुछ बड़े उलटफेर भी किए। जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि सोशल मीडिया को लेकर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट और अडिग है।
ऐसे में भारत सरकार ने पूर्व टेक्नोक्रेट अश्विनी वैष्णव को IT मंत्रालय का दायित्व सौंपा है। अश्विनी वैष्णव ने अपना पद सभालते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चेतवानी देते हुए कहा कि अगर भारत में रहना है और अपना व्यापार चालना है तो केंद्र सरकार द्वारा बनाए नए नियमों का अनुपालन करना होगा।
TFI ने इस मामले पर अपना पक्ष रखते हुए लिखा था कि वाट्सऐप की यह है हेकड़ी ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली है। ये यूजर्स की प्राइवेसी के नाम पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते आए हैं।
इन सब के बीच सबसे अहम बात यह है कि भारत सरकार के पास राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे बेहद मजबूत तर्क और आधार हैं, जिसके जरिए वो आसानी से वाट्सऐप को अपने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर सकती है।