इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी सरकार जो भी फैसला लेती है, उसके पीछे दूरदर्शिता होती है। कैबिनेट विस्तार को लेकर भी पीएम मोदी ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया है। इसमें महाराष्ट्र की राजनीति का पीएम मोदी ने अपने विस्तार में ध्यान रखा है, जहां से कैबिनेट में चार नए मंत्री शामिल किए गए हैं, इनमें से तीन ऐसे हैं जो कि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना को छोड़कर बीजेपी में आए हैं। वहीं, इस समय जो राजनीतिक स्थिति है वो अप्रत्याशित है। वहां कब क्या हो जाए, ऐसे में पीएम मोदी ने महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी का खास ध्यान रखते हुए मंत्रिमडल का विस्तार किया है।
मोदी कैबिनेट के पहले विस्तार में सबसे पहले शपथ लेने वाले मंत्री की बात करें तो वो महाराष्ट्र से आने वाले बीजेपी के सांसद नारायण राणे (Narayan Rane) ही थे। उन्हें मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण मंत्रालय यानी MSME दिया गया है। राणे को महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा चेहरा माना जाता है, जो पहले कांग्रेस में थे फिर शिवसेना में गए और आज की स्थिति में बीजेपी के कद्दावर नेता बन गए हैं। उनका राज्य के कोंकण क्षेत्र में विशेष प्रभाव माना जाता है, ऐसे में कैबिनेट में अहम पद देकर इस क्षेत्र में अपना वोट बैंक पुख्ता करने की तैयारी की है।
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राणे को मंत्री पद मिलने को लेकर उनके बेटे नीतीश राणे ने शिवसेना पर तंज भरे अंदाज में हास्यासपद ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, “रेमडेसिविर के बाद महाराष्ट्र में बरनॉल के लिए बड़ी डिमांड है। खासकर शिवबंधन पहनने वाले लोगों में। कल से काफी सारा स्टॉक खत्म हो चुका है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे जी कृपया मामले को देखें। आपसे विनम्र निवेदन है।”
राणे के अलावा मोदी मंत्रिमंडल में पूर्व बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे के करीबी डॉ भागवत कराड (Bhagwat Karad) को भी शामिल किया गया है। उन्हें पिछले साल ही बीजेपी ने राज्य सभा भेजा था। वो औरंगाबाद मराठावाड़ा से ताल्लुक रखते हैं। यहां के ग्रामीण इलाकों में एनसीपी की काफी मजबूत पकड़ मानी जाती है। मंत्रिमंडल में महाराष्ट्र से तीसरा नया नाम कपिल पाटील (Kapil Patil) का है जो कि 2014 में एनसीपी से बीजेपी में आए थे, वो ठाणे जिले से आते हैं जो कि शिवसेना का मजबूत किला माना जाता है। जल्द ही तीन प्रमुख महानगर पालिका के चुनाव हैं जिनमें बीएमसी के चुनावों के अलावा ठाणे भी शामिल है। ऐसे में अपने मुख्य टारगेट शिवसेना को झटका देने के लिए पीएम मोदी ने लगभग एक साल पहले ही प्लानिंग कर ली है।
वहीं, नए मंत्रियों में चौथा नाम डॉ. भारती पवार (Bharati Pawar) का है, जो साल 2019 में बीजेपी में शामिल हुईं थीं और दो साल के भीतर ही मंत्री बन गईं। वो एनसीपी के पूर्व मंत्री और शरद पवार के करीबी अर्जुन तुलसीराम पवार (Arjun Tulshiram Pawar) की बहू हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सांसद के तौर पर कोरोनाकाल में बेहतरीन प्रदर्शन भी किया है और लोगों की मदद को साथ ही अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया है, जिसके चलते मोदी सरकार में उन्हें मंत्री पद दिया गया है। पीएम मोदी के पूरे मंत्रिमंडल को देखें तो एक सबसे महत्वपूर्ण बात ये ही है कि चार में तीन नेता किसी अन्य पार्टियों से आए हैं।
महाराष्ट्र की डांवाडोल राजनीतिक स्थिति की बात करें तो एनसीपी शिवसेना और कांग्रेस महाविकास अघाड़ी सरकार तो चल रही हैं, लेकिन उनके बीच आए दिन कई मुद्दों पर दरार सामने आती है। कई शिवसेना नेता तो अब खुलकर बीजेपी के साथ पुनः गठबंध करने की बात करने लगे हैं। वहीं बीएमसी चुनावों को लेकर अघाड़ी गठबंधन में मतभेद भी देखने को मिल रहा हैं। ऐसे में संभावनाएं हैं कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद होने के कारण ही गठबंधन में दरार पड़ सकती है।
ऐसे में बीजेपी एक साथ दो चालें चल रही है। एक ओर वो केन्द्र में महाराष्ट्र को प्रतिनिधित्व देकर बीजेपी की राज्य में स्थिति को मजबूत करना चाहती है दूसरी ओर पार्टी की कोशिश अघाड़ी गठबंधन की कमजोर कड़ियों को तोड़ने की है। बागियों को मंत्री बनाकर बीजेपी ने सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं को संदेश दिया है कि उन्हें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में राजनीतिक सफलता नहीं मिल सकती, जबकि बीजेपी में काम के आधार पर नेताओं की पदोन्नति भी की जाती है।
ये वो सारी रणनीति है, जिसके चलते ये कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने गैर-चुनावी राज्य होने के बावजूद महाराष्ट्र से चार मंत्री बनाकर राज्य को राजनीतिक रूप से साधने की प्लानिंग की है जिसके परिणाम बीजेपी के लिए सार्थक साबित हो सकते हैं।