राफेल मामले की जांच के लिए फ्रांस की हां, अब मोदी सरकार कांग्रेस की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती करने के लिए तैयार है

राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस की होनी वाली है तगड़ी बेइज्जती!

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महा खबर

लगता है कांग्रेस का मन अभी बेइज्जती कराने से भरा नहीं है। इसलिए अब केंद्र सरकार ने कांग्रेस की वैश्विक बेइज्जती का एक प्रकार से ‘प्रबंध कराया है।’ राफेल के खरीद को लेकर कांग्रेस ने पिछले कई वर्षों से जो रायता फैलाया है, उसपर अब फ्रांस सरकार ने जांच पड़ताल की स्वीकृति दे दी है।

हाल ही में राफेल प्लेन खरीद के मुद्दे पर फ्रांस  सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। इस जांच के लिए उन्होंने फ्रांस के जज को भी नियुक्त किया है। कहा जाता है कि राफेल जेट की खरीद में कथित तौर पर घोटाला हुआ है, जिसके बारे में फ्रांस की समाचार वेबसाइट ‘मीडिया पार्ट’ ने अक्सर ही अपने रिपोर्ट्स में उल्लेख किया है।

अब फ्रांस सरकार ने इस विषय पर जांच बिठाने की बात क्या कर दी, जिसके बाद कांग्रेस की बांछें खिल गई। एक बार फिर पार्टी ने राफेल के ‘घोटाले’ की जांच की बात दोहराई है। पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के अनुसार, “फ्रांस में राफेल सौदे के लिए जज की नियुक्ति हुई है। फ्रांस में मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रथम दृष्टया राफेल सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। फ्रांस में भ्रष्टाचार पर जांच शुरू हुई है पूर्व राष्ट्रपति फ्रानसुआ ओलांद, मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन की भूमिका की भी जांच होगी। कांग्रेस राफेल पर जेपीसी जांच की मांग करती है”।

इसी को कहते हैं, रस्सी जल गई, पर बल नहीं गया। 2015-16 सत्र के दौरान तत्कालीन फ्रांस सरकार और तत्कालीन भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के बीच 36 राफेल जेट्स की खरीददारी का समझौता हुआ था। उस समय फ्रानसुआ ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति हुआ करते थे, लेकिन भारत में कुछ अच्छा हो, यह भला कांग्रेस को कैसे बर्दाश्त कैसे हो सकता है?

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लिहाजा राफेल जेट की खरीददारी को लेकर कांग्रेस ने एक काल्पनिक घोटाले का सृजन किया, जिसमें उसका सहयोग किया फ्रेंच मीडिया पोर्टल मेडियापार्ट ने। इसी पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में दोनों देशों के बीच हुई हुए राफेल सौदे की जांच औपचारिक तौर पर 14 जून से शुरू हो गई थी। वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन उस समय वित्त मंत्री थे।

राफेल घोटाले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने 2018 में काफी हो हल्ला मचाया था, लेकिन 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उसके खोखले दावों की धज्जियां उड़ा दी थी। तत्कालीन मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने राफेल मामले में दायर सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था, ‘हमें नहीं लगता कि मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की कोई जरूरत है’।

अनेकों स्त्रोतों से ये सिद्ध हो चुका है कि राफेल घोटाला जैसा कुछ नहीं है, इसके बावजूद सबकी तसल्ली के लिए फ्रांस सरकार ने एक और जांच कमेटी बिठाई है, लेकिन अगर इस कमेटी की रिपोर्ट में भी कुछ सामने नहीं आता है, तो न केवल मोदी सरकार निष्कलंक सिद्ध होगी, बल्कि कांग्रेस पार्टी की सार्वजनिक बेइज्जती का भी प्रबंध सुनिश्चित किया जाएगा।

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