ज़ोमैटो आईपीओ को पहले दिन पूरी तरह से सब्सक्राइब किया गया है, जिसमें खुदरा निवेशकों ने भारी मात्रा में निवेश किया है। लगभग एक दशक पहले विकसित होने वाला भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम अब परिपक्व हो रहा है। ज़ोमैटो, पेटीएम जैसी कई कंपनियों ने पिछले एक दशक में निवेशकों के साथ-साथ ग्राहकों का विश्वास हासिल किया है और स्टॉक मार्केट लिस्टिंग के लिए जा रही हैं।
इस साल पेटीएम और मोबिक्विक सहित कई और स्टार्टअप आईपीओ के लिए जाएंगे और वे खुदरा निवेशकों के साथ-साथ संस्थागत निवेशकों के बीच काफी चर्चा पैदा कर रहे हैं। अगर निवेशक खुदरा निवेशकों तक सीमित होता तो विश्लेषकों इसे भावुक निवेश करार देते, लेकिन कंपनी में निवेश किए गए लगभग हर म्यूचुअल फंड ने दिलचस्पी दिखाई है, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय स्टार्टअप का समय वास्तव में आ गया है।
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म्यूचुअल फ़ंड कंपनिया आमतौर पर किसी पुराने या केवल फायदे वाली कंपनी में निवेश करती है, पर ज़ोमैटो के साथ ऐसा नहीं हुआ है। बता दें कि ज़ोमैटो वर्तमान समय में घाटे में चल रहा है उसके बावजूद बड़ी मात्र में निवेशकों और म्यूचुअल फ़ंड कंपनयियों ने ज़ोमैटो पर भरोसा जताया है।
Money control से वार्ता के दौरान निवेशक आशीष वर्मा ने बताया, ‘ज़ोमैटो देश का दिग्गज डिलीवरी पार्टनर है। देश की फूड डिलीवरी इंडस्ट्री में इसकी 45% हिस्सेदारी है। कंपनी का घाटा 2400 करोड़ रुपए से कम होकर 490 करोड़ रुपए पर आ गया है। कंपनी का फूड डिलीवरी बिजनेस मुनाफे में आया है। फूड एग्रीग्रेटर की GoV 24 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।’
आशीष वर्मा का कहना है कि, ‘ज़ोमैटो के वैल्युएशन महंगे हैं लेकिन टिकने योग्य हैं। बेहतर मार्केट पोजीशन और टेक प्लेटफॉर्म की वजह से कंपनी खास बन जाती है। कंपनी बेहतर User Experience मुहैया कराती है।’
HEM SECURITIES की आस्था जैन का कहना है कि इस आईपीओ में पैसे लगाए जा सकते हैं। कंपनी के पास मजबूत डिलिवरी नेटवर्क है। फूड डिलिवरी में सबसे अधिक मार्केट शेयर हैं। 4 साल से लगातार मार्केट शेयर में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जल्दी ही कंपनी मुनाफे में आ सकती है। आगे का इसका आउटलुक अच्छा दिख रहा है।
जब उपभोक्ता कंपनियों में निवेश करने की बात आती है तो खुदरा निवेशक हमेशा आगे बढ़ते हैं क्योंकि वे इन कंपनियों को अपना मानते हैं। भारत में ज़ोमैटो के करोड़ों ग्राहक और नियमित ग्राहक हैं और इन कंपनियों से व्यक्तिगत लगाव को देखते हुए खुदरा निवेशकों के इन कंपनियों पर दांव लगाने की अधिक संभावना है।
इतना ही आज भारत में तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है। भारत में 42 फीसदी जनता के पास स्मार्ट फोन है। वहीं, 98 प्रतिशत से ज्यादा जनता के पास आधार कार्ड है, ऐसे में ज़ोमैटो का सेवा का लाभ उठाना और उसमें यकीन करना लाजिमी है।
इस बीच सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह है कि भारत के खुदरा निवेश भारतीय startups पर काफी ज्यादा भरोसा जाता रहें है। ऐसे में अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों के लिए यह खतरे कि घंटी साबित हो सकती है।
इससे पहले पीयूष गोयल ने कहा था कि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी इंडिया इंक की है कि भारतीय स्टार्टअप अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को सस्ते में न बेचे और इसलिए उन्हें अपनी संपत्ति का एक हिस्सा स्टार्टअप्स को फंड करने के लिए आवंटित करना चाहिए।
गोयल ने रिसर्जेंस टाइकॉन दिल्ली-एनसीआर में चार दिवसीय वर्चुअल इवेंट में कहा, “मैं अपने भारतीय व्यापारियों से अपील करता हूं कि वे अपनी संपत्ति का एक हिस्सा इस उद्देश्य के लिए समर्पित करें, आपके मूल्यांकन का 1% घरेलू फंड में भारतीय startup में निवेश करते है तो यह startup अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के पास नहीं जाएंगे।
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भारतीय startup का ecosystem दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ecosystem है, जिसमें करीबन 40,000 startup हैं। इसमें 40 के लगभग unicorn कंपनिया हैं। ऐसे में जाहिर है कि इन startup को आगे बढ़ने के लिए बड़ी मात्रा में निजी निवेश की ज़रूरत है। ज़ोमैटो में जिस प्रकार से खुदरा निवेशक और म्यूचुअल फ़ंड कंपनिया निवेश करने के लिए उमड़ी है, उसे यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत में startups का भविष्य उज्ज्वल है।