अफगानिस्तान पर तालिबान ने पुनः आधिपत्य जमा लिया है। अफगानिस्तान का नाम अब इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान से बदलकर इस्लामिक अमीरात [Emirate] ऑफ अफगानिस्तान हो चुका है। अफ़गान तालिबान के आतंक से लोग कितने भयभीत हैं ये हम काबुल एयरपोर्ट के हृदयविदारक दृश्यों से महसूस कर चुके हैं। अफगानिस्तान से इतर अगर भारत की बात करें तो भारत में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस समय भी अपनी निकृष्ट राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं, और इसका दोष भी हिन्दुत्व पर डालना चाहते हैं। हिंदुस्तान और सनातन के ख़िलाफ़ हमेशा से एजेंडा चलाने वाले वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों ने इस बार भी हिदुत्व को नहीं छोड़ा। जब इस्लामिक आतंकवाद की बात होनी चाहिए थी, ऐसे वक्त में ये वामपंथी हिंदू आतंकवाद का झूठ सेट करने की कोशिशों में लगे हैं।
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एक पूरा देश इस्लामिक आतंक के प्रकोप से कराह रहा है, लेकिन वामपंथियों को इसमें भी हिंदुत्व पर दोषारोपण करना है। आरफा खानम शेरवानी ने संघियों पर भारतीय मुसलमानों को निशाने पर लेने का आरोप लगाते हुए जो ट्विट किया वो यूं ही नहीं था बल्कि एक सुनियोजित अभियान का हिस्सा था, जिसके अंतर्गत किसी भी तरह हिन्दुत्व की नकारात्मक छवि पेश करनी है, और हिंदू आतंकवाद का झूठ से भरा नरेटिव सेट करने की कोशिश थी ।
उदाहरण के लिए स्वरा भास्कर को ही देख लीजिए। 50 प्रतिशत अभिनय, 75 प्रतिशत फेक न्यूज और 100 प्रतिशत वामपंथी प्रोपगैंडा फैलाने में विश्वास रखने वाली यह एक्ट्रेस ट्वीट करती है, “तालिबान के आतंक पर हम हैरान होकर हिन्दुत्व के आतंक पर शांत नहीं हो सकते। हमारे मानवीय आदर्श पीड़ित या पीड़ा पहुँचाने वाले की पहचान पर आधारित नहीं होनी चाहिए।”
We can’t be okay with Hindutva terror & be all shocked & devastated at Taliban terror.. &
We can’t be chill with #Taliban terror; and then be all indignant about #Hindutva terror!
Our humanitarian & ethical values should not be based on identity of the oppressor or oppressed.— Swara Bhasker (@ReallySwara) August 16, 2021
जिस समय चर्चा इस बात पर हो रही है कि अफगानिस्तान की स्थिति क्यों दयनीय हुई या फिर इस बात पर होनी चाहिए कि आखिर कौन अफगानिस्तान की इस स्थिति के लिए वास्तव में जिम्मेदार है, उस वक्त ये अर्बन नक्सल हिंदू आतंकवाद के सफेद झूठ का राग एक बार फिर अलाप रहे हैं।
स्वरा भास्कर इस खेल में अकेली नहीं थी। हिंदुओं के प्रति अपनी घृणा के लिए कुख्यात पत्रकार सबा नकवी ने ट्वीट किया, “सोचिए, अगर भारत शरण लेने आए अफ़गान से पूछे – हिन्दू हो या मुसलमान? ये है विश्व शांति को हमारा योगदान!”
Imagine India is asking fleeing Afghans, Hindu or Muslim?
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) August 16, 2021
मोदी सरकार पर तंज के साथ-साथ ये हिंदुओं के प्रति सबा की घृणा को स्पष्ट दर्शाता है। ऐसे ही एक अन्य पत्रकार हैं मीना कंदासामी, जो ट्वीट करती हैं, “जो जानना चाहते हैं कि तालिबान क्या है, वे अफगानिस्तान में वही हैं जो भारत में आरएसएस है!”। वे इतनी ज्यादा लिबरल हैं कि उन्होंने इस ट्वीट को ‘Restricted’ श्रेणी में भी रखा है यानी जिनका मीना ने स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया है, केवल वही उन्हे जवाब दे सकते हैं।
For everyone who wants the quickest way to understand the Taliban, they are more or less the RSS-equivalent in Afghanistan.
— Dr Meena Kandasamy (@meenakandasamy) August 16, 2021
ये वही वामपंथी और अर्बन नक्सल हैं, जो CAA के प्रति अपना विरोध जताएंगे, परंतु चाहेंगे कि भारत सरकार निर्विरोध अफगानी मुसलमानों को शरण दे। इसी विरोधाभास पर तंज कसते हुए TFI पोस्ट के एडिटर अजीत दत्ता ने एक व्यंगात्मक ट्वीट में लिखा।
“वे कहते हैं कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था हमसे बेहतर है, फिर कहते हैं कि अवैध शरणार्थियों को वापिस भेजना गलत है। वे कहते हैं कि हम हिंदू तालिबान में रहते हैं और फिर चाहते हैं कि हम निर्विरोध अफ़गान नागरिकों को शरण दें, क्योंकि तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। आखिर क्या बला है ये खान मार्केट गैंग?”
They say Bangladesh's economy is doing better than ours. In the same breath, they say it is inhuman to send illegal immigrants back.
They say we live in Hindu Taliban. In the same breath, they say we should give Afghans shelter since Taliban has taken over.
Khan Market Gang 🤡
— Ajit Datta (@ajitdatta) August 15, 2021
अजीत इस विश्लेषण में गलत भी नहीं हैं, क्योंकि यही खान मार्किट गैंग वैश्विक मीडिया के पोर्टल्स के लिए अपने लेखक भी सप्लाई करते हैं, वो लेखक ऐसे लेख लिखते हैं जोकि पूरी तरह से भारत के ख़िलाफ़ होते हैं।
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ऐसे ही लोग दानिश सिद्दीकी की हत्या पर तमाम बहाने ढूंढ रहे थे ताकि किसी भी तरह दोष पाकिस्तान/ तालिबान पर न आ सके। असल में वामपंथी बुझे हुए दीपक को बार-बार जलाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वे जानते हैं कि उनके दीपक में एजेंडे का तेल बिल्कुल भी नहीं बचा है।
वामपंथी पत्रकार और उनके कुछ पोर्टल हिंदू आतंकवाद का झूठ से भरा जो नैरेटिव वर्षों से सेट करने की कोशिश में लगे हैं, उसमें वो आजतक सफल नहीं हुए। इस वक्त जब पूरी दुनिया में तालिबानी आतंक को लेकर चर्चा हो रही है उस वक्त भी ये अर्बन नक्सल दोबारा से अपना हिंदू आतंकवाद का झूठ और निराधार एजेंडा लेकर आ गए हैं लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि हिंदू आतंकवाद एक झूठ से भरी परिकल्पना है इसके जैसी किसी चीज का कोई अस्तित्व ही नहीं है।