कुछ मीडिया संस्थान एजेंडा चलाने की पराकाष्ठा को पार चुके हैं। वो उन लोगों का पक्ष भी रखने लगते हैं, जिनका पक्ष रखना भी संभवतः आतंकवाद और अलगाववाद की श्रेणी में आता है। यही नहीं जब ये लोग सरकार या एक विचारधारा विरोधी होने के चलते दूसरे पहलू को बचने का प्रयास करते हैं तो धूर्तता की पराकाष्ठा पार कर जाते हैं, और एक दंगाई का बचाव पुलिस कर्मियों से भी अधिक बड़े शान से करते है। ओसामा बिन लादेन को एक पति और सामान्य पिता बताने वाले वामपंथी मीडिया के ध्वजवाहक The Quint ने दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल के माथे पर गोली रखने वाले दंगाई शाहरुख पठान के साथ भी कुछ ऐसा ही किया है। The Quint के पत्रकारों ने उस दंगाई के सार्वजनिक जीवन से अलग उसकी दुनिया को जनता के सामने रखने में इतनी अधिक दिलचस्पी दिखाई है, कि महिमामंडन ही शुरू कर दिया है।
दरअसल दिल्ली दंगों को भड़काने में एक विशेष भूमिका शाहरुख पठान नामक दंगाई की भी है, जिसने जाफराबाद इलाके के पुलिस कॉन्स्टेबल पर सरेआम पिस्तौल तान दी थी। इतना ही नहीं, जब इस व्यक्ति की तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे तो, इसे और मुस्लिम कौम के नाम को बचाने के लिए रवीश कुमार जैसे पत्रकारों ने इसे हिन्दू बताया तथा इसे अनुराग मिश्रा बताते हुए हिंदुओं के खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाया।
हालांकि, बाद में दिल्ली पुलिस ने इस दंगाई का पूरा कच्चा चिठ्ठा खोल दिया। यही नहीं इस व्यक्ति की दिल्ली दंगों और हिंसा में एक विशेष भूमिका भी सामने आई। यही कारण है कि हत्या एवं आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज केस में इस शख्स को जमानत तक नहीं मिल सकी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसकी जमानत याचिका को लेकर कहा था कि, “शाहरुख पठान के वीडियो क्लिप ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया था।”
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इसके विपरीत The Quint के पत्रकारों को इस व्यक्ति में एक मासूम लड़का दिख रहा है। हालांकि ये वही कथित मासूम लड़का है जिस पर आरोप है कि उसने दिल्ली दंगों और जाफराबाद की हिंसा के दौरान 8 राउंड फायरिंग भी की थी। The Quint के अनुसार शाहरुख पठान का गोलीकांड वाला वीडियो वायरल होने से पहले वो अपनी अम्मी के हाथों से बनी बिरियानी खाने का इंतजाम कर रहा था। The Quint ने अपनी इस रिपोर्ट को लेकर ये कहा है कि शाहरुख पठान के परिजनों और दोस्तों से मिलकर उन्होंने ये पता लगाने के प्रयास किए हैं कि क्या वो आक्रोशित व्यक्ति था, जिसका कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड था या नहीं।
इतना ही नहीं, शाहरुख की 60 वर्षीय अम्मी के पहलू को रखते हुए The Quint ने ये बताने की कोशिश की है, कि कैसे शाहरुख पठान एक आदर्श व्यक्ति था, जो अपनी अम्मी के प्रति प्रेम से ओत-प्रोत रहता था। रिपोर्ट के अनुसार शाहरुख अच्छा दिखना चाहता था, वो अच्छे कपड़े पहनता था, बालों में Gel लगाता था। शाहरुख की अम्मी ने बताया, “वो TikTok वीडियो बनाता था एवं अधिकतर स्वयं को आईने में देखता रहता था। वह मॉडलिंग करने का शौक रखता था और तस्वीरें लेता था। वह मासूम और सरल दिमाग वाला व्यक्ति था।” इस रिपोर्ट में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि कैसे शाहरुख पठान दो कमरों के मकान में माता-पिता के साथ रहने वाला गरीब व्यक्ति था।
इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कैसे शाहरुख की अम्मी उस दंगे वाले दिन को याद कर सहम जाती हैं, और पछताने लगती हैं कि काश उस दिन नमाज अदा करने से दो मिनट पहले शाहरुख को खाना परोस दिया होता। Quint को सिख से मुस्लिम बने पिता समर अली ने बताया कि दंगों को लेकर जब शोर हुआ तो शाहरुख पठान वहां फंस गया था। उन्होंने कहा, “हमने उसके साथ गए लड़कों से पूछा कि क्या हुआ था। उन्होंने बताया कि जब वे वापस भाग रहे थे, तो शाहरुख भीड़ में फंस गया था, जहां उसे खुद के लिए बचाव करना था। वहां हर तरह से रास्ते बंद थे।”
शाहरुख के अब्बू ने उसकी करतूतों का बचाव करते हुए कहा कि उसने जो कुछ किया आत्मरक्षा के लिए किया। उन्होंने कहा, “जब वह भीड़ में था, तो शाहरुख ने अपने सामने एक आदमी को पिस्तौल के साथ देखा। खुद को बचाने के इरादे से, उसने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल किया और उस आदमी के टखनों के ऊपर से लात मारी। पिस्तौल वाला व्यक्ति फिसल गया और पिस्तौल उसके हाथों से गिर गया। तभी शाहरुख ने पिस्तौल उठा लिया और फिर हवा में गोली मार दी, जिससे पूरी भीड़ तितर–बितर हो गई। इसी क्रम में उसे चोट भी लगी।” उस दंगाई के पिता मानते हैं कि उनके बेटे ने अनेकों लोगों की जान बचाई थी।
The Quint ने बताया कि कैसे शाहरुख पठान एक निचले तबके से आया है। उसके घर में सामान्य फर्नीचर है और शाहरुख़ का भाई फैज तबलीगी जमात में है जो कि इस्लाम का प्रचार-प्रसार करता है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि शाहरुख के घरवालों के पास पैसे नहीं हैं, पर शाहरुख़ जिम जाता था। उसके अब्बू-अम्मी इतने डरे हुए हैं कि उनको भी अपनी गिरफ्तारी का डर है।
स्पष्ट तौर पर कहें तो The Quint में ये दिखाने के प्रयास किए गए हैं कि कैसे शाहरुख पठान इस दंगों के जाल में फंस गया, बल्कि वो एक साधारण व्यक्ति था।
8 राउंड फायरिंग करने वाले आरोपित, और सोशल मीडिया पर वायरल हुई कॉन्स्टेबल के सिर पर बंदूक रखने वाली तस्वीरों के बावजूद अगर कोई मीडिया संस्थान किसी को बचाने के प्रयास करे, तो ये भी एक बड़े जिगर का काम है। इसके विपरीत The Quint के इतिहास को देखें, तो ये कहा जा सकता है कि The Quint को दंगाइयों और आतंकवादियों के मानवीय चरित्र को दिखाने में बड़ा मजा आता है। यही Quint ही है, जिसने कि दुनियाभर में आतंक का नंगा नाच कर चुके आतंकी संगठन अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को एक पिता और पति बताकर उसके पारिवारिक जीवन का महिमा मंडन किया था।
Osama bin Laden,proud father of 23 kids & husband of 5, peace activist inspired by Gandhi, staunch climate activist, innocent child who had Tom & Jerry & cute cat videos on his laptop,dies at 54
That's not one of the fake #WaPoDeathNotices,that's a real Death Notice by @TheQuint pic.twitter.com/x8dEtTUilq
— Sir Jadeja fan (@SirJadeja) October 28, 2019
ओसम बिना लादेन जैसे आतंकी को सामाजिक संरक्षण देने वाले The Quint से और कोई आशा भी नहीं की जा सकती है, कि वो सच को सच की भांति दिखाएगा। The Quint अपने इतिहास के आधार पर पुनः खरा उतरा है, और दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपियों में शामिल शाहरुख पठान का महिमा मंडन कर उसने उसकी छवि को सुधारने का जिम्मा ले लिया है। ये दर्शाता है कि अब The Quint दंगाइयों और आतंकियों के लिए PR (Public Relation) का काम भी करने लगा है।