Al Jazeera के कथित एक्सपोज़ की खुली पोल, क्यों इस्लामिक मुखपत्र भारत के मॉरीशस ठिकाने को बना रहा निशाना

अल-जज़ीरा की भारत के प्रति नफरत छिपी नहीं है, इस बार भी वही कर रहा था, बहुत बुरा ‘पिटा’।

अल जज़ीरा भारत

वैश्विक मीडिया में कुछ ऐसे चैनल हैं, जो जानबूझकर भारत को उकसाने के लिए भ्रामक रिपोर्टिंग करते हैं। खुद के देश में चाहे जो हो पर भारत के बारे में उल्टा सीधा लिखे बगैर इनके हृदय को चैन नहीं मिलता। एक ऐसा ही न्यूज़ संस्थान है अल जज़ीरा, अल जज़ीरा लगातार भारत के ख़िलाफ़ प्रोपगैंडा चलाता रहता है। इस्लामिक दुनिया के मुखपत्र को हिंदुस्तान और हिंदुस्तान की संस्कृति से एक अजीब प्रकार की चिढ़ है। वक्त-वक्त पर उसकी वो चिढ़ उसके लेखों में दिखती भी रहती है।

कोरोना महामारी की कवरेज हो, कोरोना से होने वाली मौतों की कवरेज हो, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने का मुद्दा हो या फिर भारत का कोई और बड़ा मुद्दा हो, अल जज़ीरा हर बार भारत के ख़िलाफ़ एजेंडा चलाता है। इसके चक्कर में कई बार अल जज़ीरा को सोशल मीडिया पर लोगों ने ख़ूब खरी-खोटी सुनाई हैं और भारत सरकार ने पाबंदियां भी लगाईं हैं लेकिन अल जज़ीरा है कि मानता ही नहीं। इस बार तो अल जज़ीरा ने हद ही कर दी, पूरा माहौल बनाकर भारत के ख़िलाफ़ एजेंडा सेट किया लेकिन वो बहुत बुरी तरह से फुस्स हुआ है।

अल जज़ीरा ने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर एक आर्टिकल पब्लिश किया। इसे ट्विटर पर शेयर करते हुए अल जज़ीरा ने लिखा, “मॉरीशस के एक द्वीप को भारत गुपचुप तरह से नौसैनिक बेस में परिवर्तित कर रहा है। हमारी स्वतंत्र जांच में सामने आया है कि कैसे भारत के इस निर्माण से द्वीप के स्थानीय निवासियों के लिए स्थिति बद से बदतर हो सकती है”

बचपन में आपने वो कहानी तो सुनी ही होगी, ‘कौवा कान ले गया! कौवा कान ले गया!’ अल-जज़ीरा का यह कथित इंवेस्टिगेशन उस कहानी का ही रूपांतरण है। आखिरकार इस कट्टरपंथी मुखपत्र को भारत के एक नौसैनिक बेस से किस बात की समस्या है? न तो ये गुप्त बेस है, और न ही इस पर गुपचुप तरह से काम चल रहा है। भारत Agalega द्वीप पर 2015 से मॉरीशस के साथ एक आधिकारिक करार के अंतर्गत कार्य कर रहा है। इसमें गुप्त या साज़िश जैसा क्या है?

अल-जज़ीरा के इस प्रोपगैंडा को ध्वस्त करने में ट्विटर यूजर्स ने देर नहीं लगाई। आभास मलदहियार नामक ट्विटर यूजर ने कहा, “अल-जज़ीरा इंवेस्टिगेशन्स, 2015 में प्रधानमंत्री के मॉरीशस दौरे के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनमें से एक Memorandum नंबर 4 भी था। कृपया इसे ध्यान से पढ़ने का कष्ट करें और ये दिखाना बंद करें कि इससे पहले ‘साजिशों’ की ट्वीट करने वाला व्यक्ति कितना बड़ा बेवकूफ था!” –

 

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अल जज़ीरा की भ्रामक रिपोर्टिंग पर आक्रामक रुख अपनाते हुए TFI Post की संपादक शुभांगी शर्मा ने ट्वीट किया, “यहाँ कोई सीक्रेट नहीं है। ये भारतीयों के लिए गर्व की बात है, जलन तो केवल चीन को होगी। अपनी कहानी में राज़ का तड़का लगाना मार्केटिंग के लिए बढ़िया उपाय था, परंतु इससे आपकी स्टोरी सच नहीं हो जाएगी। रहेगी वो फ़ेक न्यूज़ ही, और शायद इसीलिए भारत से आपको धक्के मारकर निकाला गया था”

अल जज़ीरा का भारत के परिप्रेक्ष्य में इतिहास काफी खराब रहा है। इस चैनल ने समय-समय पर भारत विरोधी कंटेन्ट को बढ़ावा दिया है। अनुच्छेद 370 से लेकर CAA के विरोध में समय-समय पर भारत विरोधी तत्वों को अल जज़ीरा ने न केवल अपने मंच पर जगह दी है, बल्कि उनके विचारों को खुलकर बढ़ावा भी दिया है। 2015 में निरंतर भारत विरोधी प्रोपगैंडा प्रदर्शित करने के लिए भारत ने अल जज़ीरा पर पाँच दिन का प्रतिबंध लगाया था। इतना ही नहीं, 2018 में भारत ने अल जज़ीरा को मिलने वाले Security clearance को भी रोक दिया था।

ऐसे में मॉरीशस में भारत के एक नौसैनिक बेस के पीछे हाय तौबा मचाकर अल जज़ीरा ने कुछ प्राप्त नहीं किया, बस भारत के प्रति अपनी घृणा को एक बार फिर जगजाहिर किया है। एक आम नौसैनिक बेस की गतिविधियों के पीछे जिस प्रकार से अल जज़ीरा ने हाय तौबा मचाई है, उस पर क्रोध कम, हंसी ज्यादा आती है।

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