अमरिंदर ने CAA का विरोध किया, अब चाहते हैं कि पीएम मोदी अफ़ग़ानिस्तान से सिखों को निकालें

पहले पीठ में छुरा घोंपा, अब हितैषी बनने का नाटक जारी है!

अमरिंदर सिंह सीएए

स्वयं के दोषों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना कांग्रेस की आदत बन गई है। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा जो आतंकवाद का तांडव हो रहा है, उससे संपूर्ण विश्व में दहशत की स्थिति है। भारतीयों को अफ़ग़ानिस्तान से निकालने के लिए मोदी सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है, ऐसे में वहां मुस्लिम समेत हिन्दू, बौद्ध, सिखों सभी के साथ अन्याय हो रहा है। सिखों के साथ हो रहे अन्याय के संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मन में अचानक प्रेम पनप उठा है, और अमरिंदर समेत कांग्रेस ने मांग की है, कि मोदी सरकार अफ़ग़ानिस्तान में फंसे सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, तथा उन्हें भारत लाए। इसके विपरीत कुछ महीनों पहले सीएए पर कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के रवैए को देखें तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने असल में सिखों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है।

तालिबान के कब्जे में जा चुका अफ़ग़ानिस्तान अराजकता का पर्याय बन गया है। एक तरफ जहां अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है, तो दूसरी ओर वहां इस्लामिक कट्टरता ने अपनी जड़े पुनः मजबूत कर ली हैं। ऐसे में हिन्दुओं और सिखों के साथ अन्याय चरम सीमा को पार कर रहा है। इसी बीच वहाँ के एक गुरुद्वारे में फंसे 200 सिखों को बचाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से उन्हें को भारत लाने की मांग की है।

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कैप्टन की गुहार

कैप्टन ने सिखों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर कहा, “मैं भारत सरकार तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर से मांग करता हूं कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां के गुरुद्वारे में फंसे 200 सिखों समेत भारतीयों को राहत बचाव के अंतर्गत भारत लाने के प्रयास करें। हमारी सरकार इस मामले में उनका पूर्ण सहयोग करेगी।” उन्होंने लिखा, “अफ़ग़ानिस्तान का तालिबान के कब्जे में होना हमारे देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। इससे पाकिस्तान और चीन के संबंधों को भारत के खिलाफ मजबूती मिलेगी। चीन ने पहले ही उइगर मुस्लिमों को लेकर मलेशिया की मदद मांगी है। ये अच्छे संकेत नहीं है, अब हमें सीमा पर और सचेत रहने की जरूरत है।

केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी मोदी सरकार से सवाल कर रही है कि सरकार ने अफ़ग़ानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए क्या कदम उठाएँ हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने ये भी सवाल उठाए हैं कि अभी तक भारत सरकार अपने राजनयिकों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर क्यों नहीं निकाल पाई हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “कांग्रेस पार्टी (Congress) भारत के हितों की रक्षा करने के लिए मजबूती से खड़ी है और अफगानिस्तान में सरकार के पूर्ण पतन और तालिबान के अधिग्रहण पर हमारी सरकार से परिपक्व राजनीतिक और कूटनीतिक प्रतिक्रिया की उम्मीद करती है।उन्होंने सवाल उठाए कि आखिर अपने नागरिकों और राजनयिकों को बचाने के लिए भारत सरकार क्या कदम उठा रही है।

कांग्रेस ने किया था सीएए का सबसे पहले विरोध

स्पष्ट है कि कांग्रेस इस वक्त अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों और पीड़ितों के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाते हुए उनके प्रति अपना प्रेम जाहिर कर रही हैं, लेकिन असल में इन सभी को भारत लाने के फैसले का सबसे पहले कांग्रेस ने ही विरोध किया था। मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून इसीलिए लाई थी, जिससे भारत की सीमा से सटे देशों में प्रताड़ित हिन्दू, जैन, सिख, पारसी आदि धर्म के लोगों को आसानी से नागरिकता दी जा सके। इसके विपरीत उस वक्त इस कानून का सबसे अधिक विरोध कांग्रेस ने ही किया था, जिसके कारण दिल्ली देश के कई क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने हिंसा का तांडव किया था।

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अमरिंदर सिंह ने सीएए के विरुद्ध करवाया था प्रस्ताव पारित

वो कैप्टन अमरिंदर सिंह जो आज अफ़ग़ानिस्तान में फंसे सिख समाज के लोगों को भारत लाने की मांग कर रहे हैं, असल में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिखों को नागरिकता का अधिकार देने वाले केंद्रीय कानून सीएए के विरुद्ध पंजाब की विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराया था।

जब सरकार सीएए लेकर आई थी तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास मौका था कि वो अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद सिखों को बचा सके और अपना समर्थन दें। ऐसा नहीं है कि जो हाल अब वहाँ बसे सिखों का होने वाला है वो पहले नहीं होता था। अफ़ग़ानिस्तान से सिखों पर अत्याचार और महिलाओं के रेप की खबरें पिछले कई वर्षों से आ रही हैं। उन्हें बचाने के लिए ही सरकार ने सीएए कानून को तैयार किया था परंतु तब कैप्टन अमरिंदर सिंह के मन में सिखों के लिए सहानुभूति नहीं थी। अगर होती तो कैप्टन अमरिंदर सिंह सीएए के विरुद्ध पंजाब विधान सभा में प्रस्ताव क्यों पारित करवाते। आज जब सिखों के साथ अफ़ग़ानिस्तान में अत्याचार हो रहा है, तो कैप्टन का सिखों के प्रति प्रेम जागृत हो गया है। वास्तविकता तो यह है कि सीएए का विरोध करके कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिखों की ही पीठ में छुरा घोंपा है।

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