छोटा काशी हिमाचल एक आध्यात्मिक हिल स्टेशन – Choti Kashi
मंडी, जिसे हिमाचल प्रदेश राज्य की छोटी काशी (Choti Kashi) के रूप में जाना जाता है, वह 81 मंदिरों का एक मायावी शहर है। इसलिए, इसमें यह मजबूत आध्यात्मिक खिंचाव है जो आपको यहां पहुंचने के लिए विवश ही कर देता है। हालाँकि, यहाँ केवल यह पवित्र मंदिर नहीं हैं जो आपका ध्यान आकर्षित करते हैं; यह शहर झिलमिलाती झीलों और लुभावने परिदृश्यों से भी भरा हुआ है।
हिमाचल प्रदेश का जिला मंडी (छोटी काशी) का क्षेत्रफ़ल 3,950 वर्ग किलोमीटर है और इस जिले में पर 3374 गाँव है आमतौर पर यहाँ पर हिंदी, पहाड़ी मंडयाली भाषाएँ बोली जाती है। मंडी (छोटी काशी) की सरकारी आकड़ों के अनुसार जनसँख्या 999,777 जिसमे 498,065 पुरुष और 501,712 महिलाएं है।
छोटी काशी, वो छोटा पहाड़ी क्षेत्र (हिल स्टेशन) है, जो जगमगाती रेवलसर झील और माता कुआ रानी मंदिर के प्रशंसकों का गढ़ है। यहाँ घूमने आने वाले पर्यटकों का मूल उद्देश्य ही मन और आत्मा दोनों को नीरवता, अमन और शांत प्रदान करने का होता है। इसलिए इन दोनों जाने-माने दो सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थान सभी पर्यटकों की पहली पसंद होते हैं।
छोटी काशी सिख, हिंदू और बौद्ध समुदायों के लोगों द्वारा पूजनीय स्थान है। यह शहर पवित्र रेवलसर झील के चारों ओर समाहित होते हुए बसा है, जहां किनारे पर आपको पद्मसंभव की 12 मीटर ऊंची प्रतिमा मिलेगी – जो इस जगह का मुख्य आकर्षण है। ऐसी मान्यता है कि, गुरु पद्मसंभव (गुरु रिनपोछे) की आत्मा आज भी इस झील में नदी में बहने वाले एक छोटे से रूप में निवास करती है; यही कारण है कि झील सभी तिब्बतियों के लिए पवित्र है।
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छोटी काशी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर : Famous Temples of Choti Kashi in Hindi
छोटी काशी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में भूतनाथ मंदिर, शिकारी देवी मंदिर, त्रिलोकीनाथ मंदिर पंचवक्त्र मंदिर और एक गुरुद्वारा है जो सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह को समर्पित है।
भूतनाथ मंदिर – छोटी काशी – Bhootnath Temple Choti Kashi
छोटी काशी का सुप्रसिद्ध भूतनाथ मंदिर का निर्माण आज से पुरे 500 वर्ष पहले हुआ था और आपको जानकर आश्चर्य होगा की इतना ही समय छोटी काशी के अर्थात मंडी नगर की स्थापना को भी हो चूका है। इस नगर और पवित्र मंदिर का निर्माण वर्ष 1521 में राजा अजबर सेन जी के द्वारा करवाया गया था। भूतनाथ मंदिर की कथा भी काफी रोचक है, और यहाँ के निवासी बताते है की आज जहाँ पर मदिर स्थित है वहां पर आज से 500 साल पहले जंगल था और यहाँ पर गाय के चरने का स्थान था।
एक गाय प्रत्येक दिन आकर एक शिला पर दूध अर्पित करती थी, जिस कारण से वह गाय घर पर ना के बराबर दूध देती थी जिससे इस गाय के स्वामी को जिज्ञासा हुई और उसने गाय के चरने के स्थान पर रुक कर पड़ताल करनी चाही की कहीं और कोई व्यक्ति तो गाय का दूध नहीं दुह रहा है परन्तु जब उसे वास्तविकता का ज्ञान हुआ तो वह अचंभित हो गया और साथ ही यह बात पुरे राज्य में आग की तरह फैल गई।
जब पुरे राज्य में इस घटना की चर्चा जोरों पर थी तभी राजा को शिव जी ने स्वप्न में सम्पूर्ण घटनाक्रम से अवगत कराया और राजा ने भक्ति भाव से इस मंदिर का निर्माण करवाया। कहते है की मंदिर जी में विराजित शिवलिंग अनघढ़ है और प्राकृतिक है और वही शिवलिंग है जिस पर गऊ माता अपना दूध अर्पित करती थी। यह मूर्ति पूरी तरह से प्राकृतिक है।
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त्रिलोकीनाथ मंदिर – मंडी, हिमाचल प्रदेश – Trilokinath Temple Choti Kashi
जिस राज्य का राजा इतना धर्मात्मा हो उस राज्य की रानी साक्षात् लक्ष्मी स्वरूपा ही रही होगी और इसका प्रमाण मिलता है श्री त्रिलोकीनाथ मंदिर से। जी हाँ त्रिलोकी नाथ मंदिर जी का निर्माण छोटी काशी अर्थात मंडी के राजा श्री अजबर सेन जी की पत्नी और रानी सुल्तान देवी जी ने करवाया था। यह मंदिर व्यास नदी के दायें किनारे पुल के पार स्थित है और पंचवक्त्र मंदिर के सामने ही स्थित है जिसके बारे में आप आगे पढ़ेंगे।
मंदिर जी के गर्भ गृह में त्रिमुखी शिवजी की पार्वती माँ सहित मूर्ति है। त्रिलोकीनाथ मंदिर जी के परिसर में एक अत्यंत ही प्राचीन और छोटा मंदिर स्थित है जो की त्रिलोकीनाथ मंदिर जी से काफी समय पूर्व से स्थित जान पड़ता है। मंदिर जी का परिसर, मूर्तियां नक्काशी और दृश्य सभी मनोहारी है और छोटी काशी को वास्तविक काशी जितना ही रमणीय और जीवंत बनाती है।
पंचवक्त्र मंदिर – मंडी, हिमाचल प्रदेश
त्रिलोकीनाथ मंदिर के सामने और व्यास नदी के बायें तट पर बना मंदिर जी पंचवक्त्र शिव जी की भव्य प्रतिमा के कारण अद्भुत है और पंचवक्त्र मंदिर जी के सभामंडप के चारों स्तम्भों पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है जो अत्यंत ही मनोहारी है।
पंचवक्त्र मंदिर जी का निर्माण राजा श्री सिद्धसेन ने करवाया था, राजा सिद्धसेन की तंत्र विद्या में गहरी आस्था थी और कहते है की पंचवक्त्र शिव जी की मूर्ति तंत्र शास्त्र के अनुसार ही बनाई गई है। पंचवक्त्र शिव जी की मूर्ति शिव जी के पांच नामों क्रमशः ईशान, पुरुष, अघोर, काम संज्ञक और ब्रह्मा संज्ञक के प्रतिक के रूप में विराजित है, और पंचवक्त्र शिव जी की भव्य प्रतिमा मंदिर जी की प्रमुख विशेषता है।
मंडी को भव्य और रोचक परिदृश्य कुछ मजेदार गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग, नाइट सफारी, पर्वतारोहण और स्कीइंग बनाते हैं। वन्यजीव उत्साही (Wildlife Enthusiasts) शिकारी देवी वन्यजीव अभयारण्य (Shikari Devi Wildlife Sanctuary) में जा सकते हैं, जो तेंदुए, गोरल, मोनाल, काले भालू, भौंकने वाले हिरण, कस्तूरी मृग, हिमालयी काले भालू और हिमालयी पाम सिवेट सहित जानवरों की कई प्रजातियों का घर है।
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पराशर झील – मंडी
हिमाचल प्रदेश का जिला मंडी, में एक और आकर्षण, इसकी खूबसूरत पराशर झील है; और उस तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका ट्रेकिंग है। यहां पहुंचने के लिए आपको जंगलों से और छोटे गांवों से गुजरना होगा, लेकिन यह सब परिश्रम अंत में मिलने वाली सुख की अनुभूति के सामने कुछ नहीं है क्योंकि यह धौलाधार रेंज का 180-डिग्री दृश्य प्रस्तुत करता है जो झील को घेरता है। वहीं ट्रेक के लिए एक और रोचक स्थान समुद्र तल से 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जंझेहली भी है।
छोटी काशी (मंडी) कैसे पहुंचे – How to reach Choti Kashi in Hindi?
हिमाचल प्रदेश के इस भव्य क्षेत्र मंडी को छोटी काशी (Choti Kashi), नाम से भी विख्यात है यहां से निकटतम हवाई अड्डा भुंतर हवाई अड्डा (कुल्लू) है, जो मंडी से लगभग 60 किमी दूर है। दिल्ली, शिमला, धर्मशाला, पठानकोट और चंडीगढ़ जैसे प्रमुख शहर कुल्लू से हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं।
यदि आप मंडी अन्य मार्ग से जाना चाहते है तो आप भारत के विभिन्न जगहों से वाया दिल्ली मंडी पहुंच सकते है, आप अपने जिले से ट्रेन से या बस से दिल्ली आ कर यह से मंडी की ओर जाने वाली बस की यात्रा से आसानी से मंडी पहुंच सकते है। मंडी (छोटा काशी) एक सांस्कृतिक और पर्यटन नगरी है अतः आपको यहाँ पर कई धर्मशालाएं और अतिथिगृह आसनी से उपलब्ध हो जायेंगे। पुनः कोविड की महामारी के बीच यात्रा करने से बचें और नियमों का पालन करें।