इन दिनों कुछ राज्य सरकारों ने अपनी हनक दिखाने के नाम पर जानबूझकर केंद्र सरकार से पंगा मोल लेना फैशन बना लिया है। ऐसे में बंगाल के तर्ज पर अब महाराष्ट्र में भी शिवसेना ने गुंडागर्दी करनी शुरू कर दी है। लेकिन कुछ लोग हैं जो शिवसेना की इस गुंडागर्दी को किसी भी स्थिति में स्वीकारने को तैयार नहीं है, और इन्ही में से एक है नितिन गडकरी ।
नितिन गडकरी ने उद्धव ठाकरे और शिवसेना के गुंडों को आईना दिखाया है हाल ही में केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके गुंडों पर राज्य के केन्द्रीय एजेंसियों, विशेषकर सड़क परियोजनाओं में टांग अड़ाने के प्रयासों को आड़े हाथों लिया। एक स्पष्ट पत्र में गडकरी ने उद्धव को चेतावनी दी कि यदि शिवसेना की गुंडई नहीं रुकी तो महाराष्ट्र में राष्ट्रीय राजमार्गों पर कार्य तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाएगा, जो महाराष्ट्र के लिए राजस्व की दृष्टि से बेहद हानिकारक होगा।
नितिन गडकरी ने यह वाशिम जिले में शिवसेना के विधायकों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में पहुंचाई जा रही बाधा की ओर इशारा करते हुए कहा। अपने पत्र में नितिन गडकरी ने कहा, “मुझे जानकारी मिली है कि स्थानीय शिवसेना प्रतिनिधियों ने काम रुकवा दिया है। अगर शिवसेना के सदस्य इस प्रकार से काम करेंगे तो आने वाले दिनों में स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। लोग भी काफी नाराज़ होंगे यदि परियोजनाएँ समय से पूरी नहीं हुई”
असल में जिस समस्या पर नितिन गडकरी ने प्रकाश डाला है, वो अकोला और नांदेड़ के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग को चार लेन में परिवर्तित करने की दिशा में चलाया जा रहा अभियान है, जिसमें गेदशी [Gedshi] से वाशिम तक एक 12 किलोमीटर का बाइपास निर्मित होना है, जिसे स्थानीय शिवसेना नेता रोककर बैठे हुए हैं। गडकरी ने ये भी बताया कि पेनगंगा नदी पर एक पुल को छोड़कर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मालेगांव से रिसोड [Risod] तक का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। जो कार्य अवरुद्ध है, वो केवल स्थानीय नेताओं की गुंडई के कारण है। आम तौर पर केंद्र सरकार को ‘आँखें दिखाने वाले’ उद्धव ठाकरे इस बार अचानक से भीगी बिल्ली बन गए, और उन्होंने नितिन गडकरी को पूरा आश्वासन दिया कि कोई भी अड़चन नहीं आएगी।
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उद्धव के पत्र अनुसार, “नितिन जी, आपके साथ हमारा रिश्ता थोड़ा अलग है। आप भी कर्मठ हो, हम भी हैं। हमारे शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ने कहा था कि जनता की भावना के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। इसलिए मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि जनभावना से जुड़े किसी भी कार्य में किसी प्रकार की कोई अड़चन नहीं आने दी जाएगी।”
असल में मुद्दा राजस्व का है, क्योंकि जब पैसा ही नहीं रहेगा, तो गुंडई किस काम आएगी? उद्धव इतने भी दरियादिल नहीं जो नितिन गडकरी के एक आह्वान पर तुरंत शांत हो जाएंगे। लेकिन वे ये भी जानते हैं कि नितिन गडकरी उन मंत्रियों में से नहीं है, जो किसी क्षेत्रीय नेता की गुंडई से भयभीत होकर राष्ट्रीय महत्व के परियोजनाओं को त्याग देंगे। वे तो उलटे सुनिश्चित करेंगे कि चाहे आसमान फट जाए या जमीन निगल गए, पर उनका काम नहीं रुकना चाहिए।
इस बार उद्धव ठाकरे और उसके गुंडों को मुंह की खानी पड़ी है, और एक बार फिर नितिन गडकरी ने सिद्ध किया है कि राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को वे किसी भी कीमत पर पूरा करके ही दम लेंगे।