असम की हिमंता सरकार ने नागरिकता (संशोधन) कानून और एनआरसी के तहत अहम फैसला लेते हुए गोरखा समुदाय को सीएए और एनआरसी संबन्धित अभियोजन और कानूनी पचड़े से बाहर रखने का फैसला किया है। असम मंत्रिमंडल ने बुधवार को निर्णय किया कि राज्य में गोरखा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ विदेशी न्यायाधिकरण में नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध दर्ज वर्तमान मामलों को भी वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
Decisions taken in our weekly Cabinet meeting today will provide relief to Gorkha community, ensure land rights of indigenous people, initiate major recruitment drive in Education Dept including appointment in Bodo, Garo and Hindi mediums, etc. pic.twitter.com/Ko3cyQshCx
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) August 4, 2021
असम के मुख्यमंत्री, हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया, “आपको यह जानकर और खुशी होगी कि असम कैबिनेट ने आज फैसला लिया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 1955 के तहत किसी भी गोरखा नागरिक पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और साथ ही गोरखाओं से संबंधित सभी लंबित अभियोजन को विदेशियों के न्यायाधिकरण से वापस लेने का निर्णय लिया गया है। “
यह कदम असम सरकार द्वारा सदिया जनजातीय बेल्ट में संरक्षित समुदायों की सूची में गोरखाओं को शामिल करने के दो सप्ताह बाद सामने आया है। 20 जुलाई को, असम सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर सूचित किया था कि मोरन, मटक, अहोम, चुटिया और गोरखा समुदाय को सदैया ट्राइबल बेल्ट में संरक्षित वर्गों की सूची में शामिल किया गया है, बशर्ते वे इस क्षेत्र के स्थायी निवासी हों। हिमंता बिस्वा सरमा का ट्वीट दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता के जवाब के रूप में आया, जिन्होंने अधिसूचना के लिए सीएम को धन्यवाद दिया था। भारतीय गोरखा परिसंघ के महासचिव नन्दा किराती दीवान ने इस फैसले का स्वागत किया है और ट्वीट कर अपना आभार वक्त किया है।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 24 सितंबर, 2018 को नोटिस जारी कर कहा था कि “गोरखा समुदाय जो संविधान की शुरुआत के समय भारतीय नागरिक थे, या जो जन्म से भारतीय नागरिक हैं, या जिन्होंने पंजीकरण या देशीयकरण के अनुसार भारतीय नागरिकता हासिल की हैI नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधान विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 2 (A) के साथ-साथ विदेशियों के पंजीकरण अधिनियम, 1939 के संदर्भ में “विदेशी” नहीं हैं, इसलिए ऐसे मामलों को विदेशी न्यायाधिकरण को नहीं भेजा जाएगा”।
बता दें कि गोरखाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन के अनुसार असम में करीब 25 लाख गोरखा हैं। समुदाय के लगभग 22,000 लोगों को ‘संदिग्ध वोटर’ के रूप में चिह्नित किया गया है। करीब एक लाख गोरखा अंतिम NRC लिस्ट में जगह बनाने में असफल रहे थेI दरअसल, ‘संदिग्ध वोटर’ असम में मतदाताओं की एक श्रेणी है, जिन्हें नागरिकता की कमी के कारण मताधिकार से वंचित कर दिया गया है और चुनाव लड़ने और वोट डालने से रोक दिया गया है।
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