निसंदेह भारत ने पिछले वर्ष हिंसक झड़प में चीन को न केवल मुंहतोड़ जवाब दिया है, बल्कि गलवान घाटी में उसे छठी का दूध भी याद दिला दिया। स्वयं चीन को नाक-भौं सिकोड़ते हुए इस बात को स्वीकारना पड़ा है कि पिछले वर्ष गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत ने चीन को उसकी नानी याद दिला दी थी। अब भारत चीन को उसी की माँद, यानी दक्षिण चीन सागर में पछाड़ने के लिए अपने ब्रह्मास्त्र यानी अपनी नौसेना के साथ कूच करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
चौंकिए नहीं, ये बात शत प्रतिशत सत्य है। हिमालय में चीन को धूल चटाने के बाद अब दक्षिण चीन सागर में भारत चार युद्धपोत भेजने वाला है। यह युद्धपोत क्वाड के अंतर्गत होने वाले युद्ध अभ्यास का हिस्सा होंगे, जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भाग लेने जाएंगे।
सीएनएन की रिपोर्ट के अंश अनुसार, “सोमवार को भारत के रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि भारत चार युद्धपोतों की एक श्रृंखला दक्षिण चीन सागर में दो महीनों के लिए भेजेगा, जो क्वाड के सहयोगियों– अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेंगे। इसके लिए भारत ने कोई स्पष्ट निकासी की तारीख नहीं दी है।
इस टास्क फोर्स में एक गाइडेड मिसाइल विनाशक, एक गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, एक सबमरीन रोधक कॉरवेट और एक गाइडेड मिसाइल कॉरवेट भी शामिल है। यह अनेकों युद्ध अभ्यास में भाग लेंगी, विशेषकर मालाबार 2021 के युद्ध अभ्यास में भी, जहां अमेरिकी, जापानी और ऑस्ट्रेलियाई नौसेनाएँ भी हिस्सा लेंगी”।
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इसके साथ ही भारतीय नौसेना की एक अन्य टुकड़ी सिंगापुर, वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस इत्यादि के साथ भी दक्षिण चीन सागर में युद्ध अभ्यास करेगी।
ध्यान देने वाली बात यह है कि ये सभी वो देश हैं, जिनके साथ चीन का छत्तीस का आंकड़ा रहा है, और दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर यह तनातनी तो कुछ ज्यादा ही तीखी है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत एक विशेष उद्देश्य से दक्षिण चीन सागर में आया है। वह चीन को न केवल परखना चाहता है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी देना चाहता है– अगर तुम एक कदम भी हमारे विरुद्ध आगे बढ़ोगे, तो हम तुम्हारे विरुद्ध हर तरफ से मोर्चा खोल सकते हैं।
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अभी इसी दिशा में सरकार ने एक अहम निर्णय भी लिया था, जब मोदी सरकार ने राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक के गठन का निर्णय किया। TFI पोस्ट के ही रिपोर्ट के अंश अनुसार,
“साउथ ब्लॉक के सूत्रों के अनुसार भारतीय नौसेना के एक सेवारत या हाल ही में सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल को इस पद के लिए नियुक्त किया जाएगा। समुद्री सुरक्षा समन्वयक, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन काम करेगा और समुद्री सुरक्षा डोमेन पर सरकार का प्रमुख सलाहकार होगा। यह ध्यान देने योग्य है कि हमारा पड़ोसी देश चीन, जोकि हिंद महासागर में भारत के लिए खतरा बन गया है, वो 21वीं सदी में समुद्र की चुनौतियों से निपटने के लिए अपने शासन ढांचे को पुनर्गठित करने में कामयाब रहा है। हालांकि, भारत इस मामले में पिछड़ गया था”।
ऐसे में भारत के दक्षिण चीन सागर में युद्धपोत भेजने के पीछे की मंशा स्पष्ट है– चीन ने यदि भारत की ओर आँख उठाने का भी प्रयास किया तो भारत सूद समेत उसकी आवभगत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।