भारत अमेरिका को पीछे छोड़, उत्पादन और विनिर्माण के लिए अब विश्व में दूसरी सबसे बड़ी पसंद बनकर आया है। हाल ही में आये सूची में भारत, चीन के बाद विनिर्माण के लिए सबसे बढ़िया हब बनकर उभरा है।
कुशमैन एंड वेकफील्ड ग्लोबल विनिर्माण जोखिम सूचकांक 2021 के अनुसार, भारत दुनिया भर में दूसरे सबसे अधिक मांग वाले गंतव्य के रूप में उभरा है। इससे निर्माताओं द्वारा अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्रों से अधिक भारत में रुचि दिखाया जाएगा। कुशमैन और वेकफील्ड द्वारा जारी सूचकांक यूरोप, अमेरिका और एशिया प्रशांत के 47 देशों के वैश्विक विनिर्माण के लिए सबसे फायदेमंद स्थानों का आकलन करता है। इस लिस्ट में अमेरिका तीसरे स्थान पर है, उसके बाद कनाडा, चेक गणराज्य, इंडोनेशिया, लिथुआनिया, थाईलैंड, मलेशिया और पोलैंड हैं। पिछले साल की रिपोर्ट में, अमेरिका दूसरे स्थान पर था जबकि भारत तीसरे स्थान पर था।
रैंकिंग को चार प्रमुख मापदंडों के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जिसमें विनिर्माण को शुरू करने की देश की क्षमता, प्रतिभा और श्रम की उपलब्धता सहित कारोबारी माहौल, बाजारों तक पहुंच, परिचालन लागत और राजनीतिक, आर्थिक तथा पर्यावरण जैसे जोखिम शामिल को शामिल किया जाता है।
भारत की बढ़ती रैंकिंग का श्रेय, भारत की परिचालन स्थितियों (ऑपरेटिंग कंडीशन) और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता (कॉस्ट कॉम्पिटीटिवनेस) को दिया जा सकता है। आउटसोर्सिंग आवश्यकताओं को पूरा करने में देश की नीतिगत सफलता के कारण वर्ष दर वर्ष रैंकिंग में वृद्धि हो रही है।
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परिचालन के लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है। देश में रिकार्ड स्तर पर सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। देश के हर कोनों को जोड़ा जा रहा है। मालगाड़ी के सुचारू रूप से संचालन के लिए भारत में डेडिकेटेड फ्रिट कॉरिडोर का निर्माण तेजी से चल रहा है जिससे रेल से आने वाला सामान 25 घण्टे के बजाए 12 घण्टे में आ जाएगा। यह रेल नेटवर्क सिर्फ मालगाड़ी के लिए होगा।
यही नहीं, भारत में निवेशकों के भय को दूर किया गया है। अब यह बीतें दिनों की बात हो गई है कि राजनीतिक और सामाजिक विरोध प्रदर्शनों में कोई शोरूम को तोड़कर चला जाये और नुकसान निवेश करने को उठाना पड़े। विनिर्माण को मजबूत करने के लिए सरकार समय-समय पर बदलाव लेकर आ रही है, जिसमें हाल ही में आया PLI स्किम महत्वपूर्ण है। TFI ने पहले ही बताया था कि केंद्र सरकार ने रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज चीन को हटाने के लिए PLI योजना लेकर आई।
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सरकार द्वारा सुलभता की प्रतिबद्धता का प्रमाण इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में देखा जा सकता है। वर्ष 2014 में, जब बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार संभाला था, तब भारत विश्व बैंक की इज ऑफ डूइंग बिजनेस में 142 वें स्थान पर था। वर्ष 2015 में, सरकार ने 2020 तक शीर्ष 50 में प्रवेश करने का लक्ष्य रखा। पिछले साल, दिवाला, जीएसटी और अन्य क्षेत्रों से संबंधित आर्थिक सुधारों के बाद, देश 23 स्थान की छलांग लगाकर 77 वें स्थान पर पहुंच गया। फिलहाल वह 63वें स्थान पर है। मात्र 6 सालों में इतनी बड़ी छलांग दिखाता है कि जल्द ही शीर्ष 50 में भारत का नाम होगा।
इज ऑफ डूइंग बिजनेस के 10 मापदंडों में से छह में सुधार के द्वारा भारत की रैंक को ऊपर उठाया गया था। इसमें व्यवसाय शुरू करना, निर्माण परमिट प्राप्त करना, सीमाओं के पार व्यापार करना, दिवालियेपन का समाधान करना, करों का भुगतान करना और बिजली प्रदान जैसे पैमानों पर बदलाव किया गया था। तब विश्व बैंक ने यह भी कहा था, “प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।”
भारत की स्थिति में हो रहे सुधार को भले ही देश की दलगत राजनीति में स्थान न दिया जाता हो लेकिन बुनियादी सुविधाओं में बदलाव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नजरअंदाज नहीं किया जाता है। इन्हीं बदलावों के कारण आज भारत दुनिया भर के उद्योगपतियों के लिए पसंदीदा स्थान बनकर उभर रहा है। ये काम भारत के आर्थिक ताकत बनने की नीवं है।