सही समय पर चीन को बड़ा झटका, इस्पात निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत ने शुरू की PLI स्कीम

6,322 करोड़ रुपये की स्कीम से बदलेगी भारतीय इस्पात क्षेत्र की तस्वीर।

PLI स्कीम

भारत अब वैश्विक ताकत बनने की ओर बढ़ रहा है। इसी कड़ी में एक कदम सरकार ने तब बढाया जब प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेन्टिव (PLI) स्कीम को शुरू किया गया। इस स्कीम के तहत 6322 करोड़ रूपये की भारी-भरकम राशि को आवंटित किया गया। PLI स्कीम भारत की स्टील उत्पादक कंपनियों के लिए एक तोहफे से कम नहीं है। इससे हमारी देश को स्टील उत्पादन में बड़ी सहायता प्राप्त होगी और तो और लगभग साढ़े पांच लाख रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे

क्या है PLI स्कीम?

 23 जुलाई, 2021 को मोदी सरकार द्वारा PLI स्कीम को स्वीकृति दी गई। इसका नाम प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव है यानी कि उत्पादकता प्रभावित प्रोत्साहन। यह एक राशि है जो स्टील उत्पादकों को दी जाएगी। स्पेशलिटी स्टील के तहत दिए जाने वाले इस प्रोत्साहन से देश में स्टील से जुड़े सामान बनाने वाली कम्पनियों को लाभ होगा।

वर्तमान में हमारे देश मे स्टील ग्रेड के सामान बहुत कम बनते हैं और जो बनते हैं, वो मूल्यकीमत जोड़ने वाले सामान नही होते है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव से हमारे देश को बहुत तरीके से फायदा होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग ₹40,000 करोड़ का निवेश आएगा और हमारे देश से निर्यात बढ़ेगा।

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इस स्किम के तहत स्पेशलिटी स्टील ग्रेड के पांच किस्म के सामानों को आर्थिक प्रोत्साहन प्राप्त होगा जोकि 1) कोटेडप्लेटेड स्टील सामान 2) अधिक मजबूत दबाव झेल सकने वाली स्टील 3) रेल से जुड़े कारखाने 4) स्टील तार/ अलॉय स्टील उत्पाद और 5) बिजली से जुड़े स्टील के उत्पाद है।

PLI स्कीम 5 सालों तक प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी। पहली बार ऐसी राशि 2022-2023 के आधार पर 2023-2024 में दी जाएगी। इस 5 श्रेणियों को चुनने का कारण यह है कि भारत मे घरेलू उत्पाद की मांग है। हमारे यहां कुकर से लेकर घर निर्माण तक स्टील के सामान की मांग रहती है। ऐसे प्रोत्साहन से हम आयात में कटौती कर सकते हैं और खुद का सामान अपने ही देश मे बना सकते हैं। ऐसे में बाजार की हालत देखते हुए बाहरी निवेश भी खूब आएगा।

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कंपनी, जोकि कंपनी एक्ट 2013 के अंतर्गत पंजीकृत है और जो पिघलाने से लेकर आखिरी सामान भारत मे बनाते हैं, वो इसके तहत आवेदन कर सकते हैं। इससे हमारे देश मे ही अंतिम रूप से उत्पाद तैयार करने की विवशता हो जाएगी। मध्यम श्रेणी के उत्पादक भी इसका लाभ उठा पाएंगे। इसका लाभ उठाने के लिए 2 शर्तें हैं। पहली कि आपकी उत्पादकता में बढ़ोतरी होनी चाहिए और दूसरी यह है कि आपके पास नया निवेश होना चाहिए।

इसका लाभ क्या होगा?

भारत में इसे समझने के लिए हमें थोड़ा गणित का सहारा लेना पड़ेगा। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक हमारे देश में 2019 और 2020 में कुल उत्पादन 1 करोड़ 76 लाख टन का है, जिसका कुल मूल्य ₹97, 287 करोड़ रुपए है। जैसा कि PLI स्कीम से अनुमान लगाया जा रहा है। 2026-2027 में कुल उत्पादन 4 करोड़ 22 लाख टन होने का अनुमान है जिसकी कुल मूल्य ₹2 लाख, 42 हजार, 838 करोड़ रुपये है। ऐसे में सिर्फ मूल्य में ही 140% की बढ़ोतरी होगी। पांच साल में ऐसा हो जाने पर यह नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।

हमारे देश मे 2019-20 में कुल आयात किए गए सामान 37 लाख टन है। जिसका मूल्य ₹29 हजार 256 करोड़ रुपये है। 2026-27 में आयात सामान को 9 लाख टन करने का लक्ष्य है। जिसका मूल्य ₹7355 करोड़ होगा। इससे आयात में 76% की गिरावट दर्ज की जाएगी। PLI स्कीम के बाद आयात कम होगा और निर्यात बढ़ेगा। हमारे देश मे 2019-20 में 16 लाख टन सामान निर्यात किया था, जिसका मूल्य ₹9474 करोड़ था जिसको 2026-27 में बढ़ाकर 55 लाख टन करने का लक्ष्य है। निर्यात किए सामानों का मूल्य ₹ 33,024 करोड़ होगा। इससे पांच सालों में ही निर्यात में 244% की बढ़ोतरी होगी।

इससे स्पेशिलिटी स्टील ग्रेड के सामान 5 साल में ही दोगुने से ज्यादा हो जाएंगे। 2029-30 तक कुल बाहरी निवेश ₹ 39 हजार 625 करोड़ होने का अनुमान है। PLI स्किम के तहत तीन स्लैब बनाए गए हैं। जोकि 4 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक है। विभिन्न उत्पादों को उनकी श्रेणी के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

इस स्किम के दूरगामी परिणाम क्या होंगे?

चीन दुनिया में स्टील महाशक्ति है। वो दुनिया की कुल स्टील का आधा अपने देश मे बनाता है और दुनिया भर को बेचता है। कच्चा माल यानी ओर्स उसे ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त होता है। वैश्विक परिदृश्य में अभी चीन और ऑस्ट्रेलिया की तनातनी है। हाल ही में चीन ने आर्थिक नीतियों का हवाला देते हुए ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक पाबंदी लगाई है और कई नीतियों को बदला है। ऐसे में भारत के पास मौका है कि वह ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील से कच्चा माल लेकर खुद सामान बनाए। हमारे देश में मजदूरी की कीमत कम है। लोग ज्यादा है। हम तकनीकी रूप सें स्व विकसित देश हैं और इसका इस्तेमाल करके हम अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकते हैं।

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उद्योग जगत में इस फैसले के बाद ख़ुशी की लहर दौड़ गई है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “आज घोषित विशेष स्टील की योजना आत्मानिर्भर भारत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह एक ऐसे क्षेत्र के लिए एक और दूरदर्शी पहल है जहां भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त है और आज’ स्पेशियलिटी स्टील सेगमेंट को प्रोत्साहन देने की घोषणा पूरी वैल्यू-चेन को मजबूत करने की यात्रा को पूरा करेगी।”

FICCI के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा, “फिक्की विशेष इस्पात क्षेत्र के लिए पीएलआई का स्वागत करता है, जो स्वदेशी विकास का समर्थन करेगा, मूल्य श्रृंखला और व्यापार प्रवाह को मजबूत करेगा और तकनीकी क्षमताओं में निवेश को आकर्षित करेगा।

हमारे देश में स्टील के लिए अभी भी चीन पर निर्भर रहना पड़ता है। इसमें कोई दो राय नही है की ऐसे फैसलों से चीन पर हमारी निर्भरता खत्म होगी। मेक इन इण्डिया और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए ऐसे फैसले उदाहरण साबित होंगे।

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