कल्याण सिंह: पहले और सबसे शुद्ध हिंदू हृदय सम्राट थे

उनके देहांत से देश को, हिन्दुत्व को, और सनातन धर्म को एक बड़ी क्षति हुई है जिनकी शून्यता हमेशा ही खलेगी।

कल्याण सिंह

कल दिनांक 21 अगस्त को, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी का निधन हो गया। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के अतरौली कस्बे में पैदा हुए कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में सबसे कम समय में सबसे अधिक लोकप्रियता प्राप्त करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई। कल्याण सिंह का व्यक्तित्व और उनके कार्यों को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। “न खेद, न पश्चाताप, न प्रायश्चित” यह शब्द थे यशस्वी कल्याण सिंह के, जब उनसे प्रश्न हुआ कि क्या उन्हें बाबरी के विध्वंस पर पश्चाताप है या नहीं। यह सत्य भी था कि राम जन्मभूमि पर बनाई गई अवैध मस्जिद के टूटने पर कल्याण सिंह को एक प्रतिशत भी पश्चाताप नहीं था। ना कभी उन्होंने बाबरी विध्वंस को दुख अथवा शर्म का कारण माना। उनका मानना था कि 6 दिसंबर 1992 राष्ट्रीय गर्व का दिवस है। अगर यह कहा जाए कि कल्याण सिंह हिंदुत्व की परिभाषा थे तो गलत नहीं होगा। नमन है मां भारती के ऐसे सपूत को जिन्होंने अपनी शर्तों पर जीवन जिया। कल्याण जी सिर्फ सदी के नेता नहीं है बल्कि सभ्यतागत नेता थे और रहेंगे।

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि, ‘उनकी भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में कल्याण जी ने अहम भूमिका निभाई। देश की हर पीढ़ी इसके लिए उनकी आभारी रहेगी। भारतीय मूल्यों में वे रचे-बसे थे और अपनी सदियों पुरानी परंपरा को लेकर उन्हें गर्व था।’

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण जी के निधन पर शोक जताते हुए इसे राष्ट्र के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि, ‘भारतीय राजनीति में शुचिता, पारदर्शिता व जनसेवा के पर्याय, अप्रतिम संगठनकर्ता और मुख्यमंत्री के रूप में उनकी सेवाओं को सदैव याद किया जाएगा। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका अग्रणी थी और राम मंदिर निर्माण को लेकर उनका अटूट विश्वास था। कल्याण सिंह ने समाज के गरीब, कमजोर, शोषित और वंचित वर्ग के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया।’

6 दिसंबर 1992 को जैसे ही एक विदेशी आक्रांता द्वारा, भारतीय संस्कृति के प्रत्यक्ष स्वरूप भगवान श्री राम के जन्म स्थल पर बनाई गई, एक मस्जिद टूटी, पूरे भारतवर्ष में कोहराम मच गया था। बाबर के वंशजों से भी अधिक उद्वेग और पीड़ा सेक्युलर हिंदुओं के मन में पैदा हो रही थी। विध्वंस के बाद हुए दंगों ने राजनीतिक विमर्श में हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़े सभी संगठनों के पक्ष को दुर्बल बना दिया था। एक ऐसे समय में जब अधिकांश हिंदू जनमानस एक विदेशी आतताई द्वारा भारत की पराजय के प्रतीक स्वरूप बनाई गई मस्जिद के टूटने का शोक मना रहा था, उस समय कल्याण सिंह अपने विचारों में बिल्कुल स्पष्ट थे, कि हिंदुओं ने भारत के राष्ट्रीय अपमान का बदला ले लिया है।

कल्याण सिंह का एक प्रसिद्ध भाषण ही उनके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है, जिसमें वह उस घटना की चर्चा करते हैं जब तात्कालिक केंद्रीय गृह मंत्री शंकर राव चौहान ने उस समय के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को फोन पर यह कहा कि कारसेवक गुंबद पर (बाबरी के) चढ़ गए हैं, तो इस पर कल्याण जी ने उत्तर दिया कि, ‘इसके आगे की घटना मैं आपको बताता हूँ, कारसेवकों ने गुंबद को तोड़ना भी शुरू कर दिया है।‘ कल्याण जी यहीं नहीं रुके उन्होंने साफ कहा कि वह कारसेवकों पर गोली नहीं चलवाएंगे। इसके लिए उन्हें अपनी सरकार का बलिदान देना पड़ा और यह पहले से जानते थे लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हजारों-हजार उत्साही राम भक्तों पर किसी भी प्रकार का बल प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी क्योंकि यह उन्हें अधर्म लगा।

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कल्याण सिंह के व्यक्तित्व की विशालता का अनुमान उनके समय में, उनके साथ कार्य कर चुके किसी साधारण भाजपा कार्यकर्ता से बात करके भी लगाया जा सकता है। कल्याण सिंह जमीन से जुड़े और जनता के बीच रहने वाले एक जननायक थे। अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा से 1967 में पहली बार चुनकर आए कल्याण जी ने हिंदुत्व के बारे में गढ़े गए एक कपोल-कल्पित व्याख्यान को निराधार सिद्ध कर दिया। वह यह कि हिंदुत्व का विचार केवल उच्चवर्गीय हिंदुओं यानी ब्राम्हण, क्षत्रिय आदि के लिए ही एक राजनीतिक विमर्श है, इसका हिन्दू समाज के OBC और ST/SC वर्ग में कोई प्रभाव नहीं है।

नेहरूवादी दृष्टिकोण के विचारक हिंदुत्व के पुनरुत्थान से भयभीत थे, ऐसे में उन्होंने अपनी एक थ्योरी बना दी किंतु कल्याण जी ओबीसी वर्ग के लोधी समुदाय से आते थे। उनके नेतृत्व के कारण ही ओबीसी वर्ग का एक बड़ा तबका हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़ा। आज जो सबाल्टर्न हिंदुत्व देखने को मिलता है, इसको सफल बनाने में कल्याण सिंह का बहुत बड़ा योगदान है।

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कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश के विकास के लिए काम करने का पर्याप्त समय नहीं मिला था। उनके समय में शिक्षा की लचर व्यवस्था में आई कड़ाई आज एक प्रतिमान है। गुंडागर्दी से निपटने का जो योगी मॉडल आज उत्तर प्रदेश में देखने को मिलता है वस्तुतः वह कल्याण सिंह के शासन में पहली बार देखने को मिला था जब उत्तर प्रदेश के कुख्यात डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का कल्याण सिंह सरकार में एनकाउंटर किया गया।

ऐसे समय में जब एक हिन्दू विरोधी व्यवस्थित और मजबूत इकोसिस्टम आपके विरुद्ध हो, जब हिन्दू कहलाना शर्म का विषय रहा हो, जब देश में हर छोटे बड़े राजनीतिक दल का उद्देश्य सत्ता में अपनी हैसियत के हिसाब से भागीदारी पाने का हो, वैसे समय में, हर विपरीत हवा का डटकर सामना करना और हर बार अपनी पहचान को गर्व के साथ धारण करना, यह एक राजनेता को कल्याण सिंह बनाता है। कल्याण सिंह होना, मानसिक दासता का त्याग है, कल्याण सिंह होना एक उद्देश्य, रामकाज के प्रति असीम समर्पण है। कल्याण सिंह पहले और सबसे शुद्ध हिंदू हृदय सम्राट थे। उनके देहांत से देश को, हिन्दुत्व को, और सनातन धर्म को एक बड़ी क्षति हुई है जिनकी शून्यता हमेशा ही खलेगी। TFI परिवार की ओर से ऐसे हिन्दू हृदय सम्राट को श्रद्धांजली।

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