हाल ही में तालिबान ने अफगानिस्तान पर दो दशक के बाद पुनः आधिपत्य जमाया है। इसमें पाकिस्तान का तो योगदान रहा ही है साथ ही साथ अमेरिकी प्रशासन की अकर्मण्यता का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है, जिसने न स्वयं अफगानिस्तान को सशक्त बनने दिया, और न ही मुसीबत आने पर अफगानिस्तान की सहायता की। इसमें एक योगदान केरल का भी है, जिसके लड़ाके तालिबान को कथित तौर पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, और जिसे अनदेखा करने की भूल बिल्कुल नहीं की जा सकती।
हाल ही में शशि थरूर ने अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कब्जा जमाए जाने पर एक चौंकाने वाला ट्वीट किया। शशि थरूर के ट्वीट अनुसार, “ऐसा प्रतीत होता है कि इन तालिबानियों में दो मलयाली भी हैं। एक व्यक्ति 8वें सेकेंड पर ‘Samsarikette’ नामक शब्द कहता है और दूसरा उसे समझता भी है।” शशि थरूर स्वयं तिरुवनंतपुरम से सांसद हैं, ऐसे में वे इस विषय से काफी परिचित भी हैं।
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शशि थरूर ने जाने-अनजाने में केरल के उस पहलू पर प्रकाश डाल दिया, जिसके बारे में बात करने से बड़े से बड़ा वामपंथी कतराता है। कहने को केरल में 100 प्रतिशत साक्षरता है, लेकिन उसका सर्वाधिक योगदान खेल, संस्कृति या रोजगार में नहीं बल्कि आतंकवाद पैदा करने में है। जिस बात के लिए कभी कश्मीर घाटी कुख्यात थी, अब उसी बात के लिए केरल चर्चा में बना हुआ है।
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यह हम नहीं कह रहे, बल्कि केरल के निवासी स्वयं अपने कृत्यों से इस बात को सिद्ध कर रहे हैं। पिछले वर्ष TFI ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे केरल राज्य इस्लामिक स्टेट नामक आतंकी संगठन का गढ़ बनता जा रहा है। इस बात की पुष्टि एक बार फिर हुई है, जब ये सामने आया है कि अफ़ग़ानिस्तान के काबुल शहर में स्थित गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले में केरल के एक युवा आतंकवादी का भी हाथ था।
काबुल में सिख गुरुद्वारे पर हुए हमले में मोहम्मद मुहसिन नामक युवक उन तीन आत्मघाती हमलावरों में शामिल था, जिन्होंने काबुल में स्थित गुरुद्वारे पर आत्मघाती हमला किया था। इसमें 28 सिख श्रद्धालु मारे गए थे और कई अन्य घायल भी हुए थे। इस्लामिक स्टेट के लिए काम करने वाली मैगज़ीन, अल नाबा ने तीनों आत्मघाती हमलावरों की तस्वीर जारी की थी।
इसी मैगज़ीन के जरिए मुहसिन के माता-पिता ने अपने बेटे की पहचान की। एक अफसर की माने तो टेलीग्राम एप पर उस उग्रवादी की मां को मैसेज भी आया था कि उसके बेटे को काबुल के हमले में शहादत मिली है। अब भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियां ये पता लगाने में लगी हुई हैं कि कहीं बाकी हमलावर भी भारतीय तो नहीं थे।”
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बात यहीं तक सीमित नहीं है। एनबीसी न्यूज करेस्पॉन्डेंट रिचर्ड एंजेल (Richard Engel) ने रविवार (15 अगस्त 2021) को एक वीडियो शेयर किया जिसमें तालिबान द्वारा काबुल जेल से रिहा किए गए कैदी दिखाई दे रहे हैं। केरल से भागकर ISIS में शामिल हुई निमिशा फातिमा भी उनमें से एक है। फातिमा ने इस्लामिक स्टेट (ISIS) में शामिल होने के लिए भारत छोड़ दिया था।
Prisoners leaving Kabul jail after being broken out by Taliban. pic.twitter.com/B84F2UrtEA
— Richard Engel (@RichardEngel) August 15, 2021
इसकी पुष्टि केरल के न्यूज पोर्टल मातृभूमि में भी की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे 21 भारतीय थे जो अफगानिस्तान ऐसे ही उद्देश्य के लिए गए थे। निमिशा फातिमा भी उनमें से एक है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि रिहा किए गए ये कट्टरपंथी किसी दूसरे तरीके से भारत आ सकते हैं, ऐसे में बंदरगाह और सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
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ऐसे में सवाल यही है कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है कि केरल से लोग जानकर आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं ? पहले बड़ी संख्या में केरल से कट्टरपंथी ISIS में शामिल होने गए और अब ऐसा ही तालिबान के केस में देखने को मिल रहा है। केरल के साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है, जबकि पूरे देश से ऐसी ख़बरें नहीं आती हैं ?
इसके बाद भी केरल के प्रशासन ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की आड़ में जानबूझकर इस चिंताजनक विषय को नजरअंदाज किया। अभी तो हमने PFI नामक संस्था की भूमिका पर चर्चा भी नहीं की है, लेकिन केरल ने जो मुसीबत देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खड़ी की है और जिस प्रकार से वह ISIS और तालिबान के उत्थान में अपना ‘योगदान’ दे रहा है, उसे नजरअंदाज करना भी बहुत घातक होगा।